बदल गई हत्या की धारा अब धोखाधड़ी करने वाला नहीँ कहलायेगा 420,जानिए तीन नए कानून में क्या हैं खास बातें ?

इस ख़बर को शेयर करें

three new laws:एक जुलाई से विभिन्न अपराधों के लिए एफआईआर नए कानून की धाराओं के तहत मामले दर्ज किए जाएंगे। तीनों कानून को पिछले साल 21 दिसंबर को संसद से मंजूरी मिल गई थी।

इंडिया पोल खोल को आर्थिक सहायता प्रदान करने हेतु इस QR कोड को किसी भी UPI ऐप्प से स्कैन करें।

तीन नए कानून की खास बातों पर एक नजर

आइपीसी में 511 धाराएं थीं, जबकि इसकी जगह लाई गई भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं हैं।

इंडिया पोल खोल के WhatsApp Channel को फॉलो करने के लिए इस WhatsApp आइकन पर टच/Click करें।

Google News पर इंडिया पोल खोल को Follow करने के लिए इस GoogleNews आइकन पर टच/Click करें।

सीआरपीसी में 484 धाराएं थीं, जबकि इसकी जगह लाई गई भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं हैं।

साक्ष्य अधिनियम में 166 धाराएं थी, जबकि भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 धाराएं हैं।

आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या के मामले में सजा दिए जाने का प्रावधान है। हालांकि, नए कानून में हत्या की धारा 101 होगी।

धोखाधड़ी के लिए धारा 420 के तहत मुकदमा चलता था। अब नए बिल में धाखाधड़ी के लिए धारा 316 लगाई जाएगी।
अवैध जमावड़े से संबंधित मुकदमा धारा 144 के तहत चलता है। अब नए कानून के अनुसार इस मामले पर दोषियों के खिलाफ धारा 187 के तहत मुकदमा चलेगा।

आईपीसी की धारा 124-ए राजद्रोह के मामले में लगती थी, अब कानून की धारी 150 के तहत मुकदमा चलेगा।
राजद्रोह की जगह देशद्रोह का इस्तेमाल किया गया है। लोकतांत्रिक देश में सरकार की आलोचना कोई भी कर सकता है, यह उसका अधिकार है लेकिन अगर कोई देश की सुरक्षा, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम करेगा तो उसके खिलाफ देशद्रोह के तहत कार्रवाई होगी। उसे जेल जाना पड़ेगा।

नए आतंकवाद कानून के तहत कोई भी व्यक्ति जो देश के खिलाफ विस्फोटक सामग्री, जहरीली गैस आदि का उपयोग करेगा तो वह आतंकवादी है। आतंकवादी गतिविधि वह है जो भारत सरकार, किसी राज्य या किसी विदेशी सरकार या किसी अंतरराष्ट्रीय सरकारी संगठन की सुरक्षा को खतरे में डालती है।

भारत से बाहर छिपा आरोपित यदि 90 दिनों के भीतर अदालत में उपस्थित नहीं होता है तो उसकी अनुपस्थिति के बावजूद उस पर मुकदमा चलेगा। अभियोजन के लिए एक लोक अभियोजक की नियुक्ति की जाएगी।

नाबालिगों से दुष्कर्म के लिए आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रविधान किया गया है। सामूहिक दुराचार के मामले में 20 साल की कैद या आजीवन कारावास का प्रविधान किया गया है।

हिट एंड रन से संबंधित धारा तुरंत नहीं होगी लागू

केंद्र सरकार ने भारतीय न्याय संहिता की धारा-106 (2) को फिलहाल स्थगित रखा है यानी हिट एंड रन से जुड़े अपराध से संबंधित ये प्रविधान एक जुलाई से लागू नहीं होगा। इस धारा के विरोध में जनवरी के पहले सप्ताह में देशभर में चालकों ने हड़ताल की थी और उसके बाद सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा था।केंद्र ने आश्वासन दिया था कि इस कानून को अखिल भारतीय मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के परामर्श के बाद ही अमल में लाया जाएगा।इस कानून के तहत उन चालकों को 10 साल तक की कैद और जुर्माने का प्रविधान है जो तेज गति और लापरवाही से वाहन चलाकर किसी व्यक्ति की मौत का कारण बनते हैं और घटना के बाद किसी पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को इसकी सूचना दिए बिना वहां से भाग जाते हैं।

पुलिसकर्मियों और अभियोजकों को मिल रही ट्रेनिंग
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार जुलाई के पहले देशभर के पुलिस कर्मियों, अभियोजकों और जेल कर्मियों के प्रशिक्षण का काम पूरा कर लिया जाएगा। इसके लिए तीन हजार प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण का काम पूरा किया जा चुका है। इसी तरह से ट्रायल कोर्ट के जजों के प्रशिक्षण का काम भी चल रहा है।

इंडिया पोल खोल के YouTube Channel को Subscribe करने के लिए इस YouTube आइकन पर टच/Click करें।


इस ख़बर को शेयर करें