न्याय व्यवस्था में अति आवश्यक सुधार की मांग 

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भगवानदीन साहू:छिंदवाड़ा , सामाजिक कार्यकर्ता भगवानदीन साहू के नेतृत्व में कई धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री और मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर न्याय व्यवस्था में सुधार की मांग की । ज्ञापन में बताया कि – हमारे देश का संविधान हमारे लोकतंत्र की आत्मा है । देश के 140 करोड़ लोगों को एक सूत्र में बांधे रखने में संविधान की महत्ता है । पर कुछ न्यायाधीश इस व्यवस्था को दीमक की तरह खाकर खोखला कर रहें हैं । देश में कुछ घटनाक्रम ऐसे हुए हैं जो आम लोगों को सोचने पर मजबूर करते हैं। सन 2010 में गुजरात के गृहमंत्री अमित शाह ( वर्तमान केंद्रीय-गृहमंत्री ) को जुलाई में गिरफ्तार किया गया। 29 अक्टूबर शुक्रवार को उनको उच्च न्यायालय से जमानत मिली । एक दिन बाद अचानक छुट्टी के दिन शनिवार सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश आफताब आलम ने स्वयं के घर पर विशेष सुनवाई करते हुए अमित शाह को 2 वर्ष के लिए गुजरात राज्य में प्रवेश के लिए प्रतिबंध लगा दिया । सन 1967 में कैलाशनाथ वांचू को देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बना दिया ! जबकि कैलाशनाथ वांचू के पास कानून की पढ़ाई की कोई डिग्री थी ही नहीं । सन 2012 में लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों ने पॉक्सो एक्ट कानून बनाया , जिसका पहला शिकार बने निर्दोष संत श्री आशारामजी बापू ! जिन पर जानबूझकर पॉक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार किया उन पर नाबालिग से छेड़छाड़ का आरोप हैं। । वहीं दूसरी ओर राजनीति से जुड़े पहलवान ब्रजभूषण सिंह , पत्रकार दीपक चौरसिया , कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदुरप्पा , UP के पूर्व मंत्री तुलसी प्रजापति , पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा के पोते ऐसे कई अनगिनत नाम हैं ; जिन पर पॉक्सो एक्ट में अपराध पंजीबद्ध किया परंतु आज तक इनको गिरफ्तार नही किया गया। जबकि पॉस्को एक्ट का तो नियम ही है कि प्रकरण दर्ज होते ही तुरन्त गिरफ्तारी । देश की बहुत सी राज्य सरकारों की पुलिस ने पॉक्सो एक्ट का मजाक बनाया । आतंकवादी से संबंध रखनेवाली तीस्ता सीतलवाड़ को तो फोन पर ही जमानत मिल जाती है । सम्पूर्ण विश्व में आध्यात्मिक क्रांति लाकर करोड़ों लोगों का जीवन उन्नत करने वाले निर्दोष संत श्री आशारामजी बापू को बिना किसी जमानत वर्षों से जेल !! वहीं राजनेताओं ओर आतंकवादियों को तुरंत बेल !! *यह न्याय सिद्धान्त का दुरुपयोग नही तो क्या है??!* यह सब घटनाक्रम विश्व के 7 अरब लोग देख रहें हैं । दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं अरविंद केजरीवाल, जिन पर आतंकवादी संगठन खालिस्तान से पैसे लेने का आरोप है और अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA के एजेंट होने के भी सबूत हैं , उन्हें न्यायालय बड़े गर्व से चुनाव प्रचार के लिए जमानत दे देता है । वहीं सनातन संस्कृति के रक्षक 88 वर्षीय वयोवृद्ध बापूजी को इलाज के लिए जमानत भी नही देता! यह न्याय व्यवस्था का दोगलापन समझ से परे है। वर्तमान न्याय व्यवस्था ने भ्रष्ट राजनेताओं , देश द्रोही , आतंकवादियों के लिए न्याय सुलभ है जैसे मापदंड तय किये हैं ! वहीं सनातन संस्कृति के रक्षक साधु संतों के लिए अलग मापदंड है क्योंकि केजरीवाल जैसे लोगो की सुनवाई न्यायालय तुरन्त करता है वही पूज्य बापूजी के केस में सिर्फ तारीख पर तारीख ही देता है । संविधान निर्माता बाबासाहब अंबेडकर जी एक दूरदर्शी व्यक्ति थे वो जानते थे इस देश में भविष्य में लोग इस संविधान का दुरुपयोग करेंगे इसलिए 2 सितंबर 1953 को राज्यसभा में उन्होंने कहा था इस संविधान को जला देना चाहिए । देश के बुद्धिजीवी वर्ग का मानना है कि जितना अत्याचार वर्तमान समय मे साधु संतों पर हुआ उतना गुलामी के कार्यकाल में भी नहीं हुआ । राष्ट्रपति जी , प्रधानमंत्री जी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इस न्याय व्यवस्था में सुधार लायें ऐसी प्रार्थना है।

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ये रहे उपस्थित 

वहीँ ज्ञापन देते समय आधुनिक चिंतक हरशूल रघुवंशी , शिक्षाविद विशाल चवुत्रे , राष्ट्रीय बजरंग दल के नितेश साहू , कुनबी समाज के युवा नेता अंकित ठाकरे , साहू समाज के ओमप्रकाश साहू , कलार समाज के सुजीत सूर्यवंशी , पवार समाज के प्रमुख हेमराज पटले , टेलीकॉम सेक्टर के प्रतिष्ठित व्यवसायी नितिन डोईफोड़े ,आई. टी. सेल के प्रभारी भूपेश पहाड़े , युवा सेवा संघ के अश्विन पटेल , ओमप्रकाश डहेरिया , सुभाष इंग्ले , अशोक कराड़े , बबलू माहोरे ,अखिल भारतीय नारी रक्षा मंच से दर्शना खट्टर , डॉ. मीरा पराड़कर , करुणेश पाल , छाया सूर्यवंशी , वर्षा आहूजा , जया भगत ,कल्पना सोनी मुख्य रूप से उपस्थित रहे ।

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