मोहन सरकार का बजट, किस पर कितना दिया ध्यान और किसे किया नजर अंदाज ?

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जबलपुर*: मोहन सरकार ने पहले बजट में  यह मैसेज दिया है कि लोकलुभावन योजनाओं की बजाय इन्फ्रास्ट्रक्चर पर फोकस रहेगा। वजह भी साफ है- निकट भविष्य में कोई चुनावी मजबूरी नहीं है।हां,धर्म पर खास ध्यान देते हुए सरकार ने अपना संवेदनशील चेहरा दिखाने का प्रयास जरूर किया है। एक घोषणा पर गौर कीजिए – सरकारी अस्पतालों में उपचार के दौरान मृत्यु होने पर पार्थिव देव को घर तक सम्मानजनक ढंग से पहुंचाने के लिए शांति वाहन सेवा शुरू की जाएगी।

सरकार ने किस पर कितना ध्यान दिया और किसे नजर अंदाज किया ?

*1* . *सरकार का सबसे ज्यादा फोकस किस पर रहा?*

– इन्फ्रास्ट्रक्चर। बजट का सबसे ज्यादा 15 फीसदी हिस्सा इसी पर खर्च होगा। सरकार मानती है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर के एक्सप्रेस वे पर ही प्रदेश के डेवलपमेंट की गाड़ी स्पीड से चल सकती है। हालांकि इस सेक्टर में किसी नए प्रोजेक्ट का ऐलान बजट में नहीं हुआ, लेकिन चुनाव पहले ही केंद्र व राज्य की साझेदारी से प्रदेश में एक्सप्रेस वे नेटवर्क के विस्तार पर काम शुरू हो गया था।

*2. महिलाओं का कितना ध्यान रखा गया?*

– क्या सरकार लाड़ली बहना योजना की राशि 1250 रुपए प्रति महीने से बढ़ाकर 1500 रुपए करेगी? बजट को लेकर यही एकमात्र सवाल चर्चा में था, क्योंकि विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कई अवसरों पर लाड़ली बहनों से वादा कर चुके थे – ‘मामा 1000 रुपए पर रुकने वाला नहीं है। राशि बढ़ाकर 3000 रुपए तक ले जाऊंगा।’चुनाव से पहले सरकार ने 1250 रुपए कर दिए। विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के संकल्प पत्र में भी इस योजना की राशि बढ़ाने को लेकर कोई बात नहीं कही गई, जिससे यह माना जाने लगा था कि राशि नहीं बढ़ेगी।बजट भाषण में वित्त मंत्री ने इस योजना की तारीफ जरूर की लेकिन राशि बढ़ाने का जिक्र नहीं किया। दरअसल, लाड़ली बहना योजना खजाने पर इतनी भारी पड़ रही है कि महिलाओं को लेकर दूसरी योजना के बारे में तो ठीक, इस योजना में रुपए बढ़ाने के बारे में सरकार सोच भी नहीं सकती।

*3. युवाओं का सरकार ने कितना ध्यान रखा?*

– पुलिस महकमे के अलावा टीचर्स की नई नियुक्ति का जिक्र कर बेरोजगार युवाओं को कुछ उम्मीदें जगाई हैं। इसके अलावा सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं की फीस में राहत देने की घोषणा भी की है। हालांकि, सरकार की मंशा साफ है कि युवा सिर्फ सरकारी नौकरी पर ही ध्यान न दें। अपना काम-धंधा शुरू करने की तैयारी करें, सरकार कर्ज दिलाने के लिए तैयार है।

*4. कर्मचारियों के लिए क्या कुछ खास किया?*

– उल्लेखनीय नहीं। रिटायर होने वाले कर्मचारियों के लिए जरूर तसल्ली वाली बात है कि अब उन्हें रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली राशि के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। ऑनलाइन सिस्टम तैयार किया जा रहा है जिससे भविष्य निधि सहित अन्य लाभ जल्द मिल सकेंगे।ओल्ड पेंशन स्कीम पर भाजपा का स्टैंड साफ है, इसलिए बजट में इसे लेकर किसी को कोई उम्मीद नहीं थी। हां, कर्मचारियों को यह उम्मीद जरूर थी कि केंद्र के समान महंगाई भत्ते की घोषणा हो सकती है। 2022-23 के बजट में सरकार ने कर्मचारियों का डीए बढ़ाने का ऐलान किया था। सरकार के खजाने की स्थिति शायद अभी इसकी इजाजत नहीं दे रही है।

*5. धर्म पर इतना ध्यान क्यों?*

– यह कोर एजेंडा है। बजट में ऐलान किया गया है कि सरकार राम पथ गमन पर तो आगे बढ़ेगी ही, श्रीकृष्ण पाथेय पर भी चलेगी। राम पथ गमन योजना पर पहले से काम चल रहा है लेकिन भाजपा सरकार में ही यह आकार नहीं ले पाई। श्रीकृष्ण पाथेय योजना के मुताबिक उन जगहों पर साहित्य, संस्कृति से जुड़े काम किए जाएंगे जिनका पौराणिक संबंध श्रीकृष्ण से रहा है। प्राचीन मंदिरों को संरक्षित करने के लिए भी सरकार ने बजट में प्रावधान किया है। इसके अलावा 2028 में होने वाले उज्जैन सिंहस्थ के लिए 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इस राशि से उज्जैन और आसपास के 10 जिलों में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर काम होगा।

*6. किसानों का कितना ध्यान रखा?*

– सीधे लाभ का कोई नया ऐलान नहीं। केंद्र की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की तरह किसानों के लिए मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के तहत 6 हजार रुपए हर साल पात्र किसानों को मिलते रहेंगे। शून्य ब्याज दर पर कर्ज भी मिलता रहेगा। कृषि क्षेत्र में भी राज्य सरकार का फोकस इन्फ्रास्ट्रक्चर और अन्य सुविधाओं पर है।

*7. डिजिटल मध्यप्रदेश का जिक्र अलग से क्यों?*

– सरकार टेक्नोलॉजी के साथ भी कदम ताल कर रही है। रेवेन्यू से जुड़े मामलों में साइबर तहसील शुरू करने के बाद सरकार अन्य क्षेत्रों में इसी तरह आगे बढ़ रही है। दावा है कि साइबर तहसील से नामांतरण की प्रोसेस, फेसलेस, कॉन्टेक्टलेस और पेपर लेस हो गई है। नामांतरण आदेश की कॉपी वॉट्सऐप पर मिलने लगी है। इसी क्रम में ई-विधायक ऑफिस प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है। इसके लिए हर विधायक को पांच लाख रुपए उपलब्ध कराए जाएंगे जिससे वे जरूरी इंतजाम कर सके।

*8. बजट में नया क्या ?*

– सरकार ने अपना संवेदनशील चेहरा दिखाने का प्रयास किया है। शव वाहन के अभाव में अस्पतालों से शवों को खुली गाड़ियों या बाइक पर ले जाने की तस्वीरें सामने आती रही हैं। शायद इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने अस्पतालों के लिए शांति वाहन उपलब्ध कराने की घोषणा की है।सरकार ने जेल में बंद कैदियों को भी खुश होने का मौका दे दिया है। जेल में काम में लगे कैदियों को अब हर रोज के मेहनताना के तौर पर 120 रुपए से बढ़ाकर 154 रुपए मिलेंगे। यानी 28 फीसदी बढ़ोतरी।यही नहीं सरकार ऐसे गरीब कैदियों का भी ध्यान रखेगी, जो जुर्माना नहीं भर पाने के कारण बंद हैं। उनका जुर्माना भरकर उन्हें बाहर निकालेगी। वित्त मंत्री ने कैदियों से संबंधित घोषणा करते हुए कहा- हमारी सरकार कैदियों के कल्याण के लिए भी संवेदनशील है।

*9. बजट के दौरान कांग्रेस का हंगामे वाला रुख क्यों ?*

– नर्सिंग घोटाले को लेकर एक दिन पहले हुई चर्चा में सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने तय कर लिया था कि बजट को इतनी आसानी से पढ़ने नहीं दिया जाएगा। लगातार हंगामा होता रहा। यह अप्रत्याशित था। बजट भाषण खत्म होने के बाद सत्ता पक्ष ने विपक्ष के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाने की बात भी कही, लेकिन विपक्ष अपने रुख पर कायम है। इससे साफ है कि आने वाले दिनों में भी सदन में किस तरह की स्थितियां रहेंगी।

*10. शिवराज से कितना अलग है मोहन सरकार का बजट ?*

शिवराज सरकार ने जब 2023 को बजट पेश किया था तो उनके सामने प्रदेश में चौथी बार सरकार बनाने की चुनौती थी। इसलिए थोकबंद लोकलुभावन योजनाएं सामने आई थी। मोहन सरकार का पहला पूर्ण बजट है। उनके सामने अभी चुनाव जैसी को मजबूरी नहीं है। यही कारण है कि कोई नई योजना शुरू नहीं की, लेकिन पहले से चली आ रही योजना भी बंद नहीं की।

 

 

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