पहली बार ईरान ने कबूली न्यूक्लियर साइट्स के नुकसान की बात,ट्रंप ने लिया युद्ध रोकने का श्रेय
For the first time Iran confessed to the loss of nuclear sites :ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाघेई ने बुधवार को पहली बार इस बात की पुष्टि की है कि सप्ताहांत में हुए अमेरिकी हमलों से देश के परमाणु प्रतिष्ठान ‘बुरी तरह से क्षतिग्रस्त’ हुए हैं।‘अल जजीरा’ से बात करते हुए बाघेई ने यह टिप्पणी की है। हालांकि उन्होंने परमाणु ठिकानों को हुए नुकसान पर विस्तार से जानकारी देने से इनकार कर दिया।गौरतलब है की अमेरिकी सेना ने रविवार (22 जून) को ईरान में तीन परमाणु सुविधा केंद्रों – नतांज़, फ़ोर्डो और इस्फ़हान पर अपने बी-2 स्टील्थ बमबर्षक विमानों से बंकर-बस्टर बम गिराए थे। इससे पहले इजरायल ने भी उन ठिकानों पर बम गिराए थे।बाघेई ने स्वीकार किया कि रविवार को अमेरिकी बी-2 बमवर्षकों द्वारा बंकर-बस्टर बम गिराए जाने से काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे परमाणु प्रतिष्ठानों को बुरी तरह से नुकसान पहुंचा है।’’ बता दें कि अमेरिकी सेना ने ईरान में तीन परमाणु सुविधा केंद्रों- नतांज़, फ़ोर्डो और इस्फ़हान पर रविवार (22 जून) को 30 हजार पाउंड के बंकर-बस्टर बम गिराने के लिए अपने बी-2 स्टील्थ बॉम्बर्स को तैनात किया था।
ट्रंप ने लिया युद्ध रोकने का श्रेय
ईरान का यह कबूलनामा देश के परमाणु कार्यक्रम के ‘विनाश’ की कई रिपोर्टों की पृष्ठभूमि में आया है। इससे पहले दिन में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान और इजरायल के बीच युद्ध को समाप्त करने का श्रेय लेते हुए उस ‘सफलता’ का जश्न मनाया। हेग में पत्रकारों से बात करते हुए, उन्होंने कहा कि ईरान-इजरायल के युद्ध में अमेरिका के शामिल होने और ईरानी ठिकानों पर बंकर बस्टर बम गिराने के उनके फैसले ने ही युद्ध को समाप्त कराया है।
ईरान अब नहीं बढ़ा पाएगा संवर्धन कार्यक्रम: ट्रंप
ट्रंप ने हेग में संवाददाताओं से कहा कि विपरीत इंटेलिजेंस इनपुट के बावजूद उन्होंने ईरानी ठिकानों पर हमले के आदेश दिए थे। उन्होंने कहा, “खुफिया जानकारी बहुत स्पष्ट और निर्णायक नहीं थी। खुफिया जानकारी कहती थी कि हम नहीं जानते। यह बहुत गंभीर हो सकता है। यह विनाशकारी है लेकिन अब ईरान के परमाणु कार्यक्रम को दशकों पीछे धकेल दिया गया है।” उन्होंने यह कहते हुए भी विश्वास जताया कि तेहरान अपनी परमाणु सुविधाओं को फिर से बनाने की कोशिश नहीं करेगा और इसके बजाय सुलह की दिशा में एक कूटनीतिक रास्ता अपनाएगा।
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