घरो व मंदिरों मैं हुई घट स्थापना,पंडालो मैं विराजी मातारानी, शक्ति की भक्ति का महापर्व शारदेय नवरात्र का आगाज

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सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद :आश्विन शुक्ल प्रतिपदा पर गुरुवार को सर्वार्थ सिद्दि योग में शक्ति की भक्ति का महापर्व शारदीय नवरात्र शुरू हुआ । अभिजीत मुहूर्त के साथ श्रेष्ठ मुहूर्त में घर-घर घट स्थापना हुई। घर-घर, मंदिर- मंदिर सुबह से ही रामायण की चौपाइयों के साथ दुर्गा पाठों की गूंज सुनाई दी। स्लीमनाबाद के दुर्गा मंदिरों और हनुमानजी व श्रीराम मंदिरों में घट स्थापना के साथ दुर्गा शप्तशती और रामचरित मानस के पाठ शुरू हुए। अब पूरे नौ दिन माता की आराधना होगी।शारदेय नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की।अलसुबह से ही देवी मंदिरों मैं भक्तो का तांता लग गया।मातारानी को जल अर्पित कर विधि विधान से पूजा अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की गई।स्लीमनाबाद स्थित शारदा मंदिर,बडी माई,खेर माई, चंडी मंदिर मे घट स्थापना हुई।इसके बाद मंदिर के पट भक्तो के लिए खोले गए।देवी मंदिर माता के जयकारों के साथ जय मातादी,जय दुर्गे,जय अम्बे रानी के जयकारों से गूंज उठा।

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शैलपुत्री के रूप में माता की पूजा-

वही स्लीमनाबाद स्थित सिंहवाहिनी मंदिर मे अभिजीत मुहूर्त मैं घट स्थापना की गई। घट स्थापना के साथ ही माता के दर्शन के लिए पट खुले।
पंडित दिलीप पौराणिक के सानिध्य में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ ही अखण्ड ज्योति प्रज्जवलित कर घट स्थापना की गई। भक्त माता के दर्शनों के लिए पहुंचे।पंडित दिलीप पौराणिक ने बताया कि नवरात्र में पहले दिन शैलपुत्री के रूप में माता की पूजा की गई। 9 दिनो तक ब्रह्मचारिणी, चन्द्र घण्टा, कूष्माण्डेति स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्री, महागौरी व सिद्धीदात्री नवदुर्गा के रूप में पूजा की जाएगी। नौ दिनों तक सप्तशती के पाठ होंगे।नवमी तिथि पर 11 अक्टूबर को माँ सिध्दिदात्री की पूजा अर्चना कर महानवमी पर्व मनाया जाएगा।
12 अक्टूबर को दशमी तिथि पर दशहरा पर्व मना कर मां दुर्गा की प्रतिमाओं को विसर्जित किया किया जायेगा ।
देर शाम सभी देवी मंदिरों मैं ज्वारे कलश स्थापित किये गए।साथ ही मन्नत कलश भी स्थापित किये गए।

पंडालो मैं विराजित हुई मातारानी-

शारदेय नवरात्र के पहले दिन गुरुवार को सुबह से लेकर देर शाम तक देवी प्रतिमाओं को विराजित करने का क्रम चला।
विधि विधान के साथ पंडितों ने मंत्रोच्चारण के बीच देवी प्रतिमाओं को विराजित किया गया।देवी प्रतिमाओं को लेकर जाने का सिलसिला देर शाम तक चलता रहा।ढोल नगाड़े की धुन व देवी मातारानी के जयकारों के बीच मातारानी को लेकर भक्त चले।मातारानी को दो दिन पहले से लेकर आने का सिलसिला जारी रहा।गुरुवार को दिनभर पंडालो मैं घट स्थापना की गई व देवी प्रतिमाओं को स्थापित करने का क्रम शुरू हुआ जो पंचमी तक चलेगा।

 

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