मझगवां में कब होगी कच्ची शराब पर कार्यवाही ?
जबलपुर :कच्ची शराब की बिक्री जोरों पर है,सूत्रों की मानें तो कच्ची शराब को नशीली बनाने के लिए यूरिया नोसादर सहित अन्य चीजें मिलाई जाती है जो की मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है,बताया जा रहा है की मझगवां थाना क्षेत्र के ग्राम मझगवां ,प्रतापपुर सहित भंडरा ,खिरहनी, सेलवारा ,नयागांव और गिदुरहा में कच्ची शराब का अवैध कारोबार जमकर फलफूल रहा है, वहीं जिम्मेदार विभाग छुटमुट कार्यवाही कर अपनी पीठ खुद थपथपा रहा है।हलाकि इस बात की जानकारी आबकारी विभाग को होते हुए भी आज तक इस क्षेत्र में कोई बड़ी कार्यवाही नहीँ की गई जिसके चलते कच्ची पर पूरी तरह से नकेल नहीँ कसा जा सका है।और आज धड़ल्ले से मझगवां थाना क्षेत्र के इन गांवों में कच्ची शराब की बिक्री की जा रही है।
क्यों है कच्ची शराब खरतनाक ?
सूत्रों की मानें तो कच्चे आइटम्स को सड़ाने के लिए ऑक्सीटॉक्सिन का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें नौसादर, बेसरमबेल की पत्ती और यूरिया भी मिलाया जाता है. ये चीजें नपुंसकता व नर्वस सिस्टम पर दुष्प्रभाव डाल सकती हैं।वहीँ देसी या कच्ची शराब बनाने की प्रक्रिया के बारे में जानकर आप हैरान हो जाएंगे सूत्रों की मानें तो सामान्यत: देसी शराब बनाने के लिए महुआ के फूल, गन्ने या खजूर के रस, शक्कर, शोरा, जौ, मकई, सड़े हुए अंगूर, आलू, चावल, खराब संतरे वगैरह का इस्तेमाल होता है. स्टार्च वाली इन चीजों में ईस्ट मिलाकर फर्मेंटेशन कराया जाता है.इन्हें सड़ाने के लिए ऑक्सीटॉक्सिन का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें नौसादर, बेसरमबेल की पत्ती और यूरिया भी मिलाया जाता है. ये चीजें नपुंसकता व नर्वस सिस्टम पर दुष्प्रभाव डाल सकती हैं. इन्हें मिट्टी में गाड़ने के बाद भट्टी पर चढ़ाया जाता है और निकलने वाली भाप से शराब तैयार होती है. इन्हें और नशीला बनाने के लिए मेथेनॉल भी मिलाया जाता है.
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