बाल विवाह पर रोक लगाने सत्र न्यायालय जबलपुर ने जारी की गाइडलाइन
जबलपुर:बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए सत्र न्यायालय जबलपुर द्वारा एक गाइडलाइन जारी की गई है. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के निर्देश पर जिला अदालत ने सभी मैरिज गार्डनों, होटलों और पुजारियों को बाल विवाह रोकने के निर्देश दिए हैं. आदेश का पालन न होने पर दोषी को दो साल की सजा तो होगी ही, साथ ही उस पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया जाएगा.
क्या है आदेश ?
वहीँ इस संबंध में जिला सत्र न्यायालय जबलपुर के वरिष्ठ न्यायाधीश डी पी सूत्रकार ने एक आदेश जारी किया है. जिला न्यायालय ने आदेश में कहा है कि जबलपुर में कोई भी वैवाहिक आयोजन बिना वर-वधू की आयु के सत्यापन के नहीं हो सकता है. इसके लिए मैरिज गार्डन और होटल संचालकों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने यहां विवाह का आयोजन करने से पहले वर-वधू के जन्म प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेजों की जांच करें. आदेश का पालन करने की दिशा में उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
लड़के की 21 और वधू की 18 वर्ष से कम न हो उम्र
वहीँ जारी आदेश के मुताबिक शादी के लिए लड़के की उम्र 21 और वधू की उम्र 18 वर्ष से कम नहीं होना चाहिए हाईकोर्ट की तरफ से 20 नवंबर को जारी एक पत्र का हवाला देते हुए आदेश में कहा गया है कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम की धारा-13 में ऐसे विवाहों को रोकने के प्रावधान किए गए हैं. इस धारा के तहत सभी मैरिज गार्डन, होटल व पुजारियों को कहा गया है कि वे जन्म का दस्तावेज देखे बिना अपने यहां विवाह का आयोजन न होने दें. दस्तावेजों में लड़के की उम्र 21 वर्ष और वधू की उम्र 18 वर्ष से कम नहीं होना चाहिए. बाल विवाह कराने की जानकारी मिलने पर अपराध का स्वप्रेरणा से संज्ञान लिया जाएगा.
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