राधा -कृष्ण से लागी लगन, बांके बिहारी भगवान को अर्पित किये 56 भोग

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सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद – लगत वृंदावन नीको, आली मोह लगत वृंदावन नीको, जिनके हम दासी बेई न मिले, आ जाऊंगी बड़ी भोर दहीरा लेके आ जाउंगी बड़ी भोर, तुलसा महारानी नमो नमो ऐसे एक से बढ़कर एक कार्तिक गीतों की गूंज से स्लीमनाबाद का रसिक बिहारी जू मंदिर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गुंजायमान हो उठा!ऐसा नजारा तो वैसे पूरे कार्तिक माह देखने को मिला, लेकिन कार्तिक पूर्णिमा पर धार्मिक छठा देखते ही बन रही थी!कार्तिक पूर्णिमा पर माह भर चले कार्तिक माह अनुष्ठान का कार्तिक व्रतधारी महिलाओं के द्वारा समापन किया!

सजाया मण्डप,56 भोग किये अर्पित-
कार्तिक पूर्णिमा के पावन पुनीत अवसर पर शुक्रवार को ब्रह्मा मुहूर्त मे स्नान कर  राधा कृष्ण की पूजा अर्चना के बाद कार्तिक व्रतधारी महिलाओं ने सिंहवाहिनी रसिक बिहारी जू मंदिर परिसर में आकर्षक झांकी के साथ मंडप सजाया।
इस दौरान महिलाएं माता यशोदा के रूप मे सोलह श्रंगार कर अपने -अपने घरों से भोग प्रसाद बनाकर साथ लेकर आई!
चौक बनाकर तुलसी रखकर श्रीकृष्ण व भगवान विष्णु की पूजा करते हुए मिष्ठान व पकवान भगवान को 56 भोग अर्पित कर दीपदान करते हुए विश्व कल्याण की कामना की गईं!
महिलाओं ने कार्तिक गीत गाये व नृत्य भी किया !
कार्तिक माह की समापन बेला पर सभी कार्तिक व्रतधारी महिलाओं ने सामूहिक रूप से एक -दूसरे को तिलक लगाकर उज्ववल भविष्य की कामना की व आरती उतारने के बाद भगवान को बैकुण्ट धाम के लिए विदा किया गया।

गोपियों ने पूरे कार्तिक महीने की थी पूजा-
पं दिलीप पौराणिक ने बताया कि कई संयोग बनने के चलते कार्तिक माह का विशेष महत्व रहा । गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण को पाने के लिए एक माह तक व्रत रहकर मां कात्यायनी की पूजा अर्चना की थी। इसके बाद भगवान ने उन्हें दर्शन दिया था और फिर बैकुण्ठ चले गए थे। उसी समय से यह परंपरा चली आ रही है। राधा कृष्ण के प्रति विशेष आस्था रखने वाली महिलाएं पूरे नियम के साथ एक माह तक कार्तिक स्नान व पूजा अर्चना करती है।12 माह में से कार्तिक माह मे भगवान का वास राधा के पास होता है। इस अवसर पर वृन्दा तुलसी का विशेष विधान है।भगवान विष्णु का कार्तिक मास प्रिय माह है, क्योंकि जगतपालन हार श्री हरि विष्णु चार माह की योग निद्रा से जाग्रत होकर सृष्टि का कार्यभार संभालेते है!

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