सावित्री बाई न केवल एक समाज सुधारक थी बल्कि वह एक दार्शनिक ओर कवियत्री भी

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सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद : स्वामी विवेकानंद शासकीय महाविद्यालय स्लीमनाबाद मैं शुक्रवार को पहली महिला शिक्षक सावित्री बाई फुले की जयंती मनाई गईं!
जयंती पर व्याख्यान माला कार्यक्रम आयोजित हुआ!
कार्यक्रम की शुरुआत सावित्री बाई फुले के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया!अतिथि विद्वान मनोरमा चौधरी ने सावित्री बाई फुले के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पहली महिला शिक्षक सावित्री बाई ज्योतिबा फुले के जीवन का अनुसरण करना चाहिए!माता सावित्रीबाई फुले ने केवल महिलाओं के अधिकारों के लिए ही काम नहीं किया, बल्कि वह समाज में व्याप्त भ्रष्ट जाति प्रथा के खिलाफ भी लड़ीं! जाति प्रथा को खत्म करने के अपने जुनून के तहत उन्होंने अछूतों के लिए अपने घर में एक कुआं बनवाया था!वहीं डॉ अनिल शाक्य ने कहा कि सावित्री बाई का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था!सावित्रीबाई न केवल एक समाज सुधारक थीं, बल्कि वह एक दार्शनिक और कवयित्री भी थीं! उनकी कविताएं अधिकतर प्रकृति, शिक्षा और जाति प्रथा को खत्म करने पर केंद्रित होती थीं! हम सभी विशेष तौर पर महिलाओं को उनके जीवन का अनुसरण करना चाहिए।
समाज मे जन जागृति लाने का उन्होंने जो काम किया वह वंदनीय है!इस दौरान प्राचार्या डॉ सरिता पांडेय, डॉ प्रीत नेगी,डॉ प्रीति यादव, डॉ रंजना वर्मा, डॉ शैलेन्द्र जाट,डॉ पूनम पांडे, डॉ अशोक पटेल,डॉ प्रतीक चौबे, श्रेया मिश्रा कमलेश चौधरी सहित महाविद्यालय स्टॉफ व छात्र -छात्राओं की उपस्थिति रही!

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