गुरु के बाद शुक्र ग्रह का भी हुआ उदय, अब गूजेंगी शहनाई, 2 जुलाई से शुरू होंगे शुभ मांगलिक कार्य सहित विवाह मुहूर्त
सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद : 2 जुलाई से 15 दिन तक एक बार फिर विवाह मुर्हुत शुरू हो रहे है। गुरु व शुक्र ग्रहों के अस्त होने से विवाह समारोहों पर अप्रेल के अंत से लगा विराम 29 जून शनिवार को समाप्त हो गया!गुरु ग्रह के उदय होने के बाद शनिवार को शुक्रोदय भी हो गया!शुक्रोदय होने के 3 दिन बाद ही शहनाइयों की गूंज सुनाई देने लगेगी।इसके बाद सभी शुभ और मांगलिक कार्य शादी-विवाह, नामकरण, जनेऊ, मुंडन, गृहप्रवेश, भूमि पूजन, भवन-वाहन, आभूषण की खरीदारी शुरू हो जाएगी। शुक्र ग्रह के उदय होने से विवाह आदि के लिए इंतजार कर रहे लोगों को 2 से 16 जुलाई तक लगातार शुभ मुहूर्त मिलेंगे। इसके चलते जिनके विवाह तथ हो चुके हैं। उन्होंने तैयारियां आरंभ कर दी हैं।जुलाई माह में 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8,9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16 जुलाई 15 दिन तक लगातार विवाह के शुभ मुहूर्त हैं। मैरिज गार्डन बारातघर के संचालकों के अनुसार जुलाई में विवाहों के आयोजन के लिए वर्षा के चलते बुकिंग मिली हैं। वर्षा को देखते हुए गार्डनों की विद्युत साज-सज्जा व आर्टिफिशियल फूलों से सजावट की जा रही है। इसके साथ ही लोगों ने बरसात के लिहाज से मैरिज गार्डनों की सजावट कराने के ऑर्डर दिए हैं।पंडित रमाकांत पौराणिक ने बताया कि विवाह के लग्न मुहूर्त देखते समय गुरु और शुक्र ग्रह का अच्छी स्थिति में होना जरूरी होता है। इनमें से एक भी ग्रह के अस्त होने या खराब स्थिति में होने पर उस तिथि में विवाह का मुहूर्त नहीं बनता है। देवगुरु बृहस्पति और शुक्र देव को विवाह के लिए कारक माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु और शुक्र ग्रह मजबूत स्थिति में होते हैं तो जल्द शादी के योग बनते हैं।इन दोनों ग्रहों के कमजोर होने पर विवाह में बाधा आने लगती है। यह भी माना जाता है कि गुरु और शुक्र तारा के अस्त होने पर विवाह नहीं किया जाता है। इस बार गुरु ग्रह 3 मई को अस्त हुए थे ओर 2 जून को उदय हो चुके थे!
वहीं शुक्र ग्रह 29 अप्रेल को अस्त हुए थे।जिनका 29 जून को शुक्रोदय हुआ । इसके बाद शुक्र की बाल्यावस्था समाप्त होने पर 2 जुलाई से विवाह आरंभ हो जाएंगे जो 16 जुलाई तक चलेंगे!
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17 जुलाई से फिर लग जायेगा चार माह के लिए विराम
पंडित दिलीप पौराणिक ने बताया कि 17 जुलाई देवशयनी एकादशी के बाद चार माह तक विवाह नही होंगे!
क्योंकि जगत पालन हार भगवान श्री हरि विष्णु चार माह के लिए सृष्टि का कामकाज भोलेनाथ को सौंप बैकुंठ धाम चले जायेंगे!देवउठनी एकादशी को फिर भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा से जागेंगे ओर सृष्टि का कार्यभार संभालेंगे!
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