जिन वेयर हाउसों में अनियमितता पाई गई उन्हीं को फिर से बना दिया गया उपार्जन केंद्र
जबलपुर: जिले की सिहोरा तहसील में मूंग खरीदी शुरू होने से पहले ही हाल ही में बनाये गए खरीदी केंद्रों को लेकर विवाद सुरु हो गया है ,एक तरफ प्रशासन द्वारा बनाये गए खरीदी केंद्रों से किसान सन्तुष्ट नहीं है वहीँ अब ऐसे में देखना होगा की कि क्या किसानों के आक्रोश के बाद प्रशासन खरीदी केंद्रों में बदलाव करेगा कि ऐसे ही इन्ही खरीदी केंद्रों में मूंग की खरीदी होगी ?
क्या है मामला ?
धान गेहूँ खरीदी में भारी गड़बड़ी के बाद अब मूंग और उड़द की खरीदी हेतु उपार्जन केन्द्रों के गठन में किसानों के हितों को दरकिनार करते हुए चहेतों को उपकृत करने कथित भ्रष्टाचार का आरोप भारतीय किसान यूनियन जिला इकाई ने लगाया है।जिसके चलते उड़द मूंग की खरीदी शुरु होने के पहले ही विवादों घिर गई है। जिले में मूंग खरीदी के लिए 21 केन्द्र बनाए गए हैं वहीँ सिहोरा तहसील हेतु बनाए गए उपार्जन केदो में तो सारे नियमों को दर किनार कर दिया गया बताया जाता है की जिन वेयर हाउस में पुर्व में अनियमितता पाई गई थी उन्हें पुनः उपार्जन केंद्र बना दिया गया वहीं वैध सोसाइटियों को दरकिनार करते हुए एफ पी ओ को खरीदी की कमान सौपे जाने से किसानों में भारी आक्रोश है। भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष एडवोकेट रमेश पटेल ने बताया कि उपार्जन केंद्र चयन को लेकर जमकर विवाद हो रहा है। मूँग खरीदी केन्द्र बनाने के लिए निर्धारित मापदंडों का पालन नहीं किया गया है। सिहोरा का एक खरीदी केंद्र मझौली तहसील के गोरहा में बनाया गया है इस बार मूँग की खरीदी कृषि विभाग और सहकारिता के जिम्मे है। सबसे पहले उपार्जन केन्द्रों का चयन किया गया और इसी में विवाद हो गया। सिहोरा और मझौली में बनाए गए केन्द्रों को लेकर किसानों में भी सबसे अधिक नाराजगी देखी जा रही है, क्योंकि केन्द्रों में गड़बड़ी का खामियाजा किसानों को ही भुगतना पड़ेगा।
वैध समितियां को दर किनार
किसानों का कहना है कि समिति एवं किसानों के बीच सीधा संबंध एवं संवाद होता है जिसके चलते किसान उपार्जडरन की पहली प्राथमिकता समितियां को ही देते हैं लेकिन सिहोरा तहसील की वैध समितियां को दर किनार कर उपार्जन की कमान न केवल एफ पी ओ को सोपा दी गई वल्कि उपार्जन केंद्र भी सिहोरा में वेयरहाउस होने के बावजूद मझौली के गोरहा में बनाया गया है जिसके चलते सिहोरा के किसानों को दूर दराज के ग्रामों से परिवहन करना होगा जबकि खरीफ फसल की तैयारी के चलते इस वक्त किसानों के पास बिल्कुल भी समय नहीं है ऐसे में दूर दराज क्षेत्रों में बनाए गए उपजन केदो को लेकर किसानों में भारी आक्रोश व्याप्त है।
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