साल 2024 में कब-कब बजेंगी शहनाईयाँ, कब-कब होगा गृह प्रवेश- जानें सिर्फ यहाँ!

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*ज्योतिर्विद अंकशास्त्री और वास्तु विशेषज्ञ**ज्योतिर्विद निधिराज त्रिपाठी के अनुषार-—-
माना जाता है कि, शुभ मुहूर्त में जब कोई कार्य किया जाता है तो इससे व्यक्ति को निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है। यही वजह है कि आज की तमाम आधुनिकता के बावजूद लोग शुभ मुहूर्त में विश्वास रखते हैं और इसे जानने के बाद ही अपने जीवन में कोई महत्वपूर्ण कदम उठाते हैं।
अगर आप भी इस बात में विश्वास रखते हैं और शुभ मुहूर्त के बारे में जानना चाहते हैं, यह ये जानना चाहते हैं कि साल 2024 में विवाह के लिए, अन्नप्राशन के लिए, विद्यारंभ के लिए, कर्णवेध के लिए, या उपनयन के लिए, मुंडन के लिए, गृह प्रवेश के लिए, नामकरण के लिए, कौन से शुभ मुहूर्त होने वाले हैं तो आप एकदम सही जगह पर आए हैं

शुभ मुहूर्त 2024: क्यों हैं महत्वपूर्ण?
जैसा कि हमने पहले भी बताया कि सनातन धर्म में ऐसा माना जाता है कि जब भी कोई कार्य शुभ मुहूर्त देखकर किया जाए तो व्यक्ति को उसके शुभ परिणाम मिलते हैं। शुभ मुहूर्त एक ऐसी अवधि को कहा जाता है जब सभी ग्रह और नक्षत्र अच्छी स्थिति में होते हैं। इस दौरान अगर कोई भी बड़ा कदम उठाया जाए या कोई मांगलिक कार्य किया जाए तो इसमें व्यक्ति को संपन्नता और सफलता अवश्य मिलती है।

वहीं इसके विपरीत अगर शुभ मुहूर्त की अनदेखी की जाती है या अशुभ मुहूर्त में कोई काम किया जाता है तो अक्सर देखा गया है कि लोगों को अपने कार्यों में रूकावटों और तमाम बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।

शुभ मुहूर्त की कैसे की जाती है गणना?
अगर सवाल किया जाए कि शुभ मुहूर्त की गणना कैसे की जाती है तो इसके लिए ज्योतिष का सहारा लेना पड़ता है। दरअसल शुभ मुहूर्त की गणना के लिए कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं जैसे: तिथि, वार, योग, नक्षत्र, ग्रहों की स्थिति, करण, शुक्र अस्त, गुरु अस्त्र, मलमास, अधिक मास, शुभ योग, अशुभ योग, राहु काल, शुभ लग्न, भद्रा आदि महत्वपूर्ण पहलुओं पर गौर किया जाता है और तब जाकर शुभ मुहूर्त का निर्धारण होता है।

जब भी शुभ मुहूर्त निकालना होता है तो इसके लिए तिथि का चयन किया जाता है। एक महीने में कुल 30 तिथियां होती हैं जिन्हें 15-15 के दो भागों में विभाजित किया जाता है। एक तिथि शुक्ल पक्ष कहलाती है और एक कृष्ण पक्ष तिथि। तिथि सूर्योदय से लेकर दिन के सूर्यास्त तक की अवधि होती है।

इसके बाद शुभ मुहूर्त के लिए वार या दिन की गणना भी की जाती है। वार अर्थात दिन। यह एक सप्ताह में कुल सात होते हैं जिन्हें हम सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार/गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार के नाम से जानते हैं। इनमें से गुरुवार और मंगलवार का दिन किसी भी तरह की शुभ काम को करने के लिए जहां शुभ माना जाता है वहीं रविवार के दिन किसी भी तरह के मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है।

इसके बाद नक्षत्र का जिक्र आता है। ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 नक्षत्र बताए गए हैं और जब भी शुभ मुहूर्त की गणना होती है तो नक्षत्र पर भी ध्यान अवश्य दिया जाता है।

इसके बाद आती है बारी योग की। चंद्रमा की स्थिति को ध्यान में रखते हुए वैदिक ज्योतिष में कुल 27 योगों का जिक्र किया गया है। 27 में से 9 योग अशुभ माने जाते हैं और 18 शुभ योग माने जाते हैं।

इसके बाद आखिरी बिंदु है करण जिसका शुभ मुहूर्त निकालने के लिए गणना करना अनिवार्य होता है दरअसल कारण तिथि के आधे भाग को कहा जाता है। तिथि का पूर्वार्ध और उत्तरार्ध एक-एक करण होता है। इस तरह से कुल 11 करण होते हैं जिनमें से चार स्थिर और साथ चर प्रकृति के करण कहलाते हैं।


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