सिहोरा में विकास रोजगार एंव सुविधाओं का सपना कब होगा साकार ?

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जबलपुर /सिहोरा :वर्ष 2003 में प्रदेश सरकार के मुखिया द्वारा सिहोरा तहसील सहित नगर के चहुंमुखी विकास के लिए सिहोरा से 7 किलोमीटर दूर स्थित हरगड़ में आदर्श औद्योगिक प्रक्षेत्र की सौगात प्रदान कर नगर को विकास का सपना तो दिखा दिया किंतु विकास का दंभ भरने वाली भाजपा सरकार के 20 वर्ष पूरे होने के बाद भी विकास तो कोसों दूर तक नजर नहीं आ रहा वहीं स्थानीय लोगों को रोजगार तक नसीब नहीं हो सका। गुणवत्ता को दरकिनार कर औद्योगिक क्षेत्र में बनाई गई सड़कें रखरखाव के अभाव में दम तोड़ रही हैं। वही मूलभूत सुविधाओं के अभाव के चलते औद्योगिक क्षेत्र को अनेक इकाइयां बंद हो गई। जिसके चलते औद्योगिक विकास का लाभ नगर को नहीं मिल सका। औद्योगिक क्षेत्र अनेक मूलभूत सुविधाओं की बाट बरसों से जोहते हुऐ शासकीय उपेक्षा का दंश झेल रहा है, जिससे औद्योगिक क्षेत्र के साथ-साथ क्षेत्र का विकास भी अवरद्ध हो गया है । जर्जर सड़कों में दौड़ते भारी वाहनों से उड़ती भूल से औद्योगिक क्षेत्र में निवासरत लोग भी परेशान है।

*क्षतिग्रस्त हो गई सड़कें*,

औद्योगिक क्षेत्र की सड़के जीर्ण जीर्ण अवस्था पर आंसू बहा रही हैं। सड़कों पर बड़े-बड़े गड्डे नजर आ रहे हैं। करोड़ों रुपए की खनिज रॉयल्टी वसूलकर सरकार अपना खजाना भर रही है वही खनिज उद्योगपति भी करोड़ों रुपए कमाकर तिजोरी भर रहे हैं लेकिन स्थानीय लोगों को नसीब में केवल उड़ती धूल और बीमारी ही नसीब हो रही है।

*रोजगार से वंचित स्थानीय युवा*

खनिज संपदा से लबरेज सिहोरा एवं तहसील के सैकड़ो ग्रामों में निवासरत आईटीआई इंजीनियर एमबीए शिक्षित युवा आज भी रोजगार की तलाश में पलायन पलायन कर रहे हैं स्थानीय युवाओं ने बताया कि क्षेत्र में संचालित खनिज प्लांट एवं खदानों के संचालक प्लांट लगाते समय स्थान स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की बड़ी-बड़ी बातें तो करते हैं लेकिन रोजगार मुहैया कराने की जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है अनेक कर्मचारी ने बताया कि लेवर को छोड़कर अन्य पदों पर बाहरी उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता दी जाती है।


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