आस्था के द्वार बहेगी भक्ति की रसधारा,विश्व कल्याण की कामना को लेकर सात दिनों तक उमड़ेगा भक्तो का सैलाब

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स्लीमनाबाद- ग्राम पंचायत स्लीमनाबाद के आश्रित ग्राम कोहका मैं स्थित हरिदास ब्रजधाम मंदिर मे सात दिवसीय बसन्तोत्सव पर्व का आगाज गुरुवार से होगा।सात दिनों तक विविध प्रकार के भक्तिमय कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।हरिदास ब्रजधाम मैं भक्तो का तांता बड़ी संख्या मे मत्था टेकने पहुचेंगे।बसंतोत्सव पर्व का आगाज गुरुवार को भव्य कलश शोभायात्रा के साथ होगा।इस अवसर पर सात दिनों तक संगीतमय भागवत कथा आयोजित की जाएगी।
कथा का वाचन पंडित रमाकांत पौराणिक के मुखारविंद से किया जाएगा।कथा वाचक पंडित रमाकांत पौराणिक ने बताया कि 14 फरवरी  को बसंतपंचमी के पावन अवसर पर बसन्तोत्सव पर्व मनाया जाएगा।दिनभर धार्मिक आयोजन और मध्यरात्रि मैं विश्व कल्याण की कामना को लेकर धर्म ध्वजा अर्पित करते हुए प्रातःकाल हरिदास जी महाराज की सखियों के द्वारा रासलीला की जाएगी।अपनी मन्नतो को लेकर भक्त वैसे तो प्रतिदिन मंदिर पहुँचते है लेकिन बसंत पंचमी के अवसर पर दूसरे राज्यो से भी लोग पहुँचते है।

दुल्हन की तरह सजा मंदिर की गई आकर्षक साज_सज्जा_

हरिदास ब्रजधाम कोहका मैं बसंतोत्सव पर्व को लेकर ग्राम कोहका दुल्हन की तरह सज गया।1 किलोमीटर तक मार्ग के दोनो और आकर्षक लाईटिंग की गई है।साथ ही मंदिर मैं भी आकर्षक साज _सज्जा की गई हैं।

स्लीमनाबाद नगर स्थापित करने मे मंदिर का अहम योगदान-

मंदिर के पुजारी गुलाब यादव ने बताया कि यह मंदिर 500 वर्षो पुराना है।जब हमारा भारत देश पराधीन था और अग्रेजो का गुलाम था।तब सन 1820 मैं बिट्रिश गर्वनर कर्नल विलियम हैनरी स्लीमैन स्लीमनाबाद आये जो जबलपुर मैं कमिश्नर का कार्यभार सँभाल रहे थे।कर्नल स्लीमनाबाद के कोई संतान नही थी ।उन्हें जानकारी लगी और कर्नल ने हरिदास मंदिर मे आकर अपनी मन्नत की।कुछ समय बाद कर्नल स्लीमैन को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।तब कर्नल स्लीमैन ने 96 एकड़ जमीन गोविंद मालगुजार से खरीदकर अपने नामकरण पर स्लीमनाबाद नगर बसाया ।आज भी कर्नल स्लीमैन के वंशज सालभर मैं एक बार इंग्लैंड से मंदिर दर्शन करने आते है।आज भी स्लीमैन का स्मारक एसडीओपी कार्यालय स्लीमनाबाद मैं बना हुआ है।हरिदास जी महाराज के इस धार्मिक उत्सव पर दूरदराज से भक्तो का तांता उमड़ता है।मंदिर मैं आज भी देशी घी से पुड़ी बनती है जो प्रसाद स्वरूप श्रद्धालुओ को दी जाती है।

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