बूंद बूंद पानी के लिए मशक्कत कर रहे लोग, पहली बार सूखकर मैदान बन गया जलाशय
सुग्रीव यादव :स्लीमनाबाद : ग्रीष्मकालीन समय चल रहा है!
बहोरीबंद विकासखंड का पठार अंचल भीषण पेयजल संकट से जूझ रहा है! पठार क्षेत्र में वैसे तो कमोबेश हर गांव में पानी का भीषण संकट बना हुआ है।लेकिन मसन्धा गांव में ये समस्या चरम पर पंहुच गई है।हैण्डपम्प बिगड़े पड़े हैं या फिर हवा फेंक रहे है।गांव का मुख्य जलस्त्रोत मसन्धा जलाशय पहली बार सूखकर मैदान बन गया है।लिहाजा जलस्त्रोत खुद प्यासे हैं।ऐसे में लोग बूंद बूंद पानी के लिए मशक्कत कर रहे हैं।पानी की मारामारी में खेतों के निजी बोर ही लोगों की उम्मीद बने हुए है।जहाँ पर सुबह तड़के से महिला पुरुष और बच्चे पानी के लिए कतारबद्ध हो रहे हैं।पानी पाताल पंहुच गया गई।गांव गांव में बूंद बूंद पानी के लिए लोगों को संघर्ष करना पड़ रहा है । जलस्तर करीब 400 फ़ीट नीचे पँहुचने के कारण गांव- गांव में पीने के पानी के लिए ग्रामीणों को जद्दोजहद करना पड़ रही है।समीपी ग्राम मसंधा में पानी की समस्या और भी गंभीर हो चली है।कहने को तो यहां 15 हैंडपंप हैं लेकिन एक दो को छोड़कर बाकी सभी हवा फेंक रहे है।कंठ तर हों और प्यास बुझे इसके लिए नौतपा की भीषण धूप में भी लोग पानी के लिए पसीना बहाने मजबूर हैं। लोग 1से 2 किलोमीटर चलकर कंठो की प्यास बुझा रहे हैं!
80 लाख की नलजल योजना ठप्प –
मसंधा गांव की आबादी 2500 है!जहाँ घर -घर नलों से पानी भेजने के लिए करीब 80 लाख की लागत से नल- जल योजना भी है। लेकिन बोर मे पानी न होने के कारण यह महज शो पीस बनकर रह गई है।ग्रामीण खुशीराम, रविदास आदिवासी,परम सिंह ठाकुर, प्यारेलाल यादव का कहना है जब से जलाशय बना तब से अब तक जलाशय नही सूखा! गांव का मुख्य स्रोत मसंधा जलाशय है!
इसमें पानी नहीं रहने के कारण गांव के हैंडपंप एवं बोरिंग में हवा आने लगी है!स्थानीय लोगों ने यहां तक आरोप लगाया है कि जल संसाधन विभाग द्वारा तालाब के अंदर खेती करवाकर पानी की बर्बादी की गई है!जिससे आज स्थिति यह है कि जानवरों को भी पीने के लिए पानी नहीं बचा!
मवेशियों को बूंद बूंद पानी के लाले-
ग्रामीण धनीराम,रामगोपाल चौधरी, शिवराज चौधरी, अनिल पटेल,गोपाल पटवा, गुलाब,आदि लोगों ने बताया कि हम लोग तो किसी प्रकार भागदौड़ करके पेयजल की व्यवस्था कर रहे हैं! लेकिन मनुष्यो के आसरे रहने वाले मवेशी और पशु -पक्षी भीषण संकट में है।यहां पर नदी तालाब और पोखर सूख चुके है।जिससे पानी के लिए भटकते पशु गांव छोड़कर निकल जाते हैं और व्यापारियों के हाथों चढ़ रहे है।यहाँ पर चोरी छिपे पशु मवेशी तस्करी बढ़ने की एक वजह यह भी मानी जा रही है।लोगों का कहना है कि हर साल यह स्थिति होना तय होता है फिर भी प्रशासन समय रहते कोई ठोस कदम नही उठाता है।जिसका खामियाजा पूरे पठार के लोगों को भुगतना पड़ता है।
इनका कहना है -एल एन तिवारी उपयंत्री
जल संसाधन विभाग
मसंधा जलाशय मे ग्रीष्म कालीन समय मे मात्र दो लोगों को पट्टे पर भूमि दी गई है!बाकी लोग अवैध रूप से जलाशय मे कब्जा किये हुए है!
वर्तमान मे जलाशय मे 2 से 3 फीट पानी की उपलब्धता है!
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