जवा की खेती से कृषक करेंगे आमदनी,होंगे समृद्ध शील, कम लागत मैं अधिक आय का स्त्रोत बनेगी जवा(जौ)की खेती

इस ख़बर को शेयर करें

स्लीमनाबाद: कम लागत से कृषि कार्य पर अधिक आमदनी हो जिससे खेती को लाभ का धंधा बनाया जा सके,किसान आत्मनिर्भर बन सके इसको बहोरीबंद विकासखंड के कृषक जवा की खेती से चरितार्थ करने जा रहे है।क्योंकि बहोरीबंद विकासखंड मै इस रबी सीजन मैं 100 एकड़ भूमि पर जवा(जौ)की बोवनी हुई है।जवा की फसल अब पकने की स्थिति मैं आ चुकी है।जो कुछ दिनों बाद पककर तैयार हो जायेगी।

कम लागत से अधिक आय होगी किसानों को_

बहोरीबंद कृषि विभाग के एसएडियो आर के चतुर्वेदी ने सोमवार को स्लीमानाबाद तहसील अंतर्गत भेड़ा,स्लीमनाबाद मैं जवा की खेती करने वाले कृषको के खेतो पर पहुंचे और खेती को लेकर चर्चा की।जिसमे किसानों ने जवा की खेती को लेकर एसएडियो को बताया।जिसमे एसएडीओ ने किसानों को जवा की खेती के फायदे बतलाए व किसानों को समसामयिक सलाह दी। एसएडीओ आर के चतुर्वेदी ने बताया कि जवा की फसल 2 से 3 सिंचाई पर तैयार हो जाती है।जबकि गेंहू की फसल मैं 5 से 6 बार सिंचाई करनी पड़ती है।इस फसल का उत्पादन भी गेंहू की तरह 50 से 60 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होता है।साथ ही खाद का उपयोग भी गेंहू फसल की अपेक्षा आधा रहता है। जवा (जौ) फसल से कई उत्पाद बनाए जाते है।जैसे दाने,पशु आहार, चारा,पूजा_पाठ हवन सामग्री सहित अनेक औद्योगिक उपयोग जैसे शराब,बेकरी,पेपर, फाइबर पेपर, फाइबर बोर्ड जैसे उत्पादन बनाने के काम आता है। जौ की खेती कम उर्वरा शक्ति वाली भूमियों मैं क्षारीय और लवणीय भूमि मैं होती है।
इस वर्ष विकासखंड स्तर पर 13 किसानों ने कृषि तकनीक जानकर स्वय के व्यय पर इस नवाचार को अपनाया।
जौ फसल की बोवनी के लिए किसानों का रुझान ओर बढ़ेगा।


इस ख़बर को शेयर करें