धान को लेकर किसान परेसान,अधिकारियों की तो छोड़ो नेताओं को भी नहीँ रहा धान पर ध्यान

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जबलपुर:एक दिसंबर से होनी वाली धान की सरकारी खरीद एक सप्ताह होने के बाद भी अभी तक सुरु नहीं हो सकी है, ऊपर से मावठे की बरसात से किसानों की धान खराब हो रही है,लेकिन जिले के जिम्मेदार अधिकारियों को भी किसान की धान का ध्यान नहीँ रहा,वहीं जो नेता आज से 20 दिन पहले इन्हीं किसानों के घरों में हाथ जोड़ते किसानों का आर्शीवाद मांगते फिर रहे थे अब वही नेता चुनाव जीतने के बाद किसानों की चर्चा तक नहीँ कर रहे हैं,न ही उन्हें किसानों की धान की ध्यान है, बस चिंता है तो इस बात की उनके ऊपर पार्टी के आलाकमान खुश हो जायें तो मंत्री पद मिल जाये ,लेकिन वो शायद भूल गए की यदि किसानों की वोट न मिलती तो आज वो विधायक भी न बन पाते ।

मावठे की बरसात और सरकारी अधिकारियों की बेरुखी

कुछ दिनों से मौसम के बदले मिजाज ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है, तो वहीँ जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा धान की खरीद को लेकर कोई दिलचस्पी न दिखाने से किसान दोहरी मार झेलने विवश हैं। विगत दो दिन से रुक रुक कर हो रही बारिश ने किसानों की पिछली फसल को भिगोकर रख दिया वहीं अगली फसल की तैयारी पर भी ब्रेक लगा दिया है।

 

 

ओबीसी जितेन्द्र कुमार कुर्मी, विनीत पटेल, भरत, शत्रुघ्न, हरिओम, जुगल, बलराम, अखिलेश, संत कुमार, सहदेव, प्रदीप आदि किसानों ने बताया कि इस वर्ष बेमौसम बारिश व सरकार के द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदीं में विलम्ब के कारण, किसान भाईयों की धान सड़ रहीं हैं, खुले आसमान के नीचे लगे ढ़ेरों पर ही धान जमने लगी है, प्रत्येक किसान का 5 से लेकर 20 क्विंटल तक का नुकसान हो चुका है,
और काफी किसान भाईयों की गेंहू की बोवनी भी खराब हो चुकी है, काफी किसान भाईयों को बोवनी करने को भी नहीं मिल पा रहा है, यदि शासन ने 15 नवंबर से खरीदीं शुरू कर दी होती तो किसान भाई नुकसान से बच जाते, कृषि कार्य करने के लिए, पैसों की आवश्यकता है लेकिन धान की खरीदीं न होने की वजह से किसान भाई एक एक पैसों को मोहताज हैं,


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