मौसम की बेरुखी से फसलों को होगा नुकसान, दलहनी फसलो सहित कृषि कार्य हो रहा प्रभावित

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कटनी/स्लीमनाबाद(सुग्रीव यादव ) मौसम के उतार चढ़ाव का क्रम जारी है। कभी आसमान में बदली तो कभी बारिश ने हर आम और खास को प्रभावित किया है। लोगों की दिनचर्या बदल गई है। मौसम की बेरुखी के चलते सबसे ज्यादा किसान परेशान है। कृषि कार्य प्रभावित हो रहा है। खेतों में लगी फसलों को नुकसान हो रहा है। इधर, तापमान में गिरावट होने से ठंड का प्रकोप बढ़ गया है। मौसम विभाग ने भी 8 दिसंबर तक मध्यम बारिश की चेतावनी दी है।
बहोरीबंद विकासखण्ड में मंगलवार से मौसम ने एक बार फिर से करवट बदली है। आसमान पर छाई बदली से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें नजर आने लगी। वहीं बुधवार को तो हल्की बूंदाबांदी होने से भी किसान परेशान हो गए। इससे दलहनी फसलों को काफी नुकसान की आशंका है।
वही विकासखण्ड में इस साल खरीफ सीजन में 25 हजार हेक्टेयर में धान का रकबा था। जिसमें से 90 प्रतिशत से अधिक किसानों ने धान की कटाई -मिसाई कर ली है।
लेकिन अधिकांश किसानों की धान की कटाई-मिसाई होने के बाद धान की उपज खेतो मैं पड़ी हुई है। ऐसे में तेज बारिश होती है तो खेतों में रखी धान की फसल को काफी नुकसान होगा।
किसान सुशील यादव,कृष्णकुमार कुशवाहा,जयदीप ठाकुर,हेमंत कुशवाहा ने बताया कि रबी सीजन के लिए किसान गेहूं, चना की बुआई करते हैं। लेकिन मौसम में परिवर्तन के चलते फिलहाल किसानों ने बुआई का कार्य रोक दिया है। दरअसल, लगातार मौसम में हो रहे बदलाव के कारण तापमान में गिरावट हो रही है। गेहूं, चना की बुआई के लायक तापमान नहीं मिल पा रहा है। बीते दिनों हुई बारिश के चलते जमीन अभी बहुत ज्यादा नम है। जिसके कारण किसान गेहूं, चना की बुआई नहीं कर पा रहे हैं।

दलहनी फसल,सब्जियों को सकता है नुकसान-
मौसम परिवर्तन का असर दलहनी फसलों के साथ-साथ सब्जियों में भी देखा जा रहा है। सबसे ज्यादा असर अरहर, मटर की फसल पर पड़ रहा है। अरहर और मटर की फल्लियां लगना प्रारंभ हो गई है। ऐसे में आसमान में बदली छाने से उन पर कीड़े लगना प्रारंभ हो गए है। इसी तरह सब्जियों के उत्पादन में भी असर पड़ रहा है। बैगन, गोभी, भिंड़ी सहित अन्य सब्जियों में इल्लियां लगना प्रारंभ हो गई है।

इनका कहना है- आर के चतुर्वेदी वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी बहोरीबंद

मौसम विभाग के द्वारा भी बारिश की संभावना जताई गई है।इसलिए मौसम पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह दी जा रही है कि वे सिंचाई के साथ-साथ किसी भी प्रकार के छिडक़ाव से बचें।यदि बारिश होती है तो रबी सीजन कृषि कार्य पिछड़ जाएगा।


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