भगवान श्रीकृष्ण के जन्म लेते ही ख़ुशी मै थिरके श्रद्दालु,बरसाए फूल
स्लीमनाबाद- खुल गए सारे ताले क्या बात हो गई, जब जन्मे कन्हैया वाह क्या बात हो गई। नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की। भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य अवसर पर जब व्यासपीठ से यह भजन गूंजे तो समूचा वातावरण आनंद से भर गया। अवसर था धरवारा स्थित बाहर के दीवाले मंदिर मे चल रहे सप्ताह ज्ञान मैं कथा के चतुर्थ दिवस मंगलवार का। इस मौके पर कथा व्यास नीलम मिश्रा की मौजूदगी में जन्मोत्सव का कथा रस बरसा।
बालकृष्ण की सुंदर झांकी देख श्रद्धालु विभोर हो गए।
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पांडाल को गुब्वारों और फूलों से सजाया गया
जन्मोत्सव के खास अवसर के लिए कथा पांडाल को गुब्वारों और फूलों से सजाया गया। नन्हें मुन्हें बच्चे भी कृष्ण रूप में श्रद्धालुओं को लुभा रहे थे। वसुदेव जब डलिया में बाल कृष्ण को डलिया में लेकर निकले तो उनकी एक झलक पाने के लिए श्रद्धालुओं में होड़ मच गई। श्रद्धालु कृष्णभक्ति में विभोर होकर नाच उठे। कथा वाचक ने कहा कि जीव जीवन भर अहंकार में जीता है, लेकिन जब अंत समय निकट आता है तो उसे भगवान याद आते हैं। जीवन भर किए गए पाप अंत समय की गुहार से नहीं कट सकते, इसलिए प्रतिपल भगवान का सुमिरन करते रहे, जिससे आप पाप कर्मों की ओर नहीं बढ़ेंगे और सत्कर्मों की प्रेरणा मिलती रहेगी।
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राजा बलि के दान से प्रसन्न होकर भगवान वामन ने दिया ये वरदान
वामन भगवान की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि तीन पग यानि धर्म, अर्थ काम हैं, यदि इनका ठीक प्रकार से निवर्हन हो गया तो मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। राजा बलि के दान से प्रसन्न होकर भगवान वामन ने जब वरदान देने को कहा तो बलि ने कहा कि भगवन आते जाते बस आपके दर्शन हो जाएं, मुझे और कुछ नहीं चाहिए, इस तरह बलि ने भगवान को अपना द्वारपाल बना लिया। बलि बाद में इंद्र बनकर इंद्र के सिंहासन पर विराजमान हुए। अर्थात भगवान की कृपा जब मिलती है तो संसार के सारे सुख भक्त की झोली में आ जाते हैं।सायकालीन आरती कर कथा को विश्राम दिया गया व प्रसाद का वितरण किया गया।इस दौरान बड़ी संख्या मे श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही।
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