गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष आधी भी नहीँ हुई खरीदी,केंद्रों में पसरा रहा सन्नाटा 

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जबलपुर /सिहोरा :शासन की उपार्जन नीति एवं खरीदी केंद्रों में कथित शोषण के चलते किसानों ने अपनी नाराज़गी समर्थन मूल्य उपार्जन से दूरी बनाते हुए व्यक्त की। जिसके चलते इस बार गत वर्ष की तुलना में आधे से भी कम उपार्जन हो सका। प्राप्त जानकारी के अनुसार गत वर्ष सिहोरा तहसील के 10719 किसानों ने पंजीयन करते हुए लगभग 6.51 लाख क्विंटल गेहूं का उपार्जन किया गया था। वहीं वर्तमान में रवि सीजन में तहसील के 11524 किसानों ने पंजीयन तो कराया लेकिन कुल 3743 किसानों ने उपार्जन कर 292491 क्विंटल गेहूं का उपार्जन किया।समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के लिए सिहोरा में 19 खरीदी केंद्र बनाये गए थे। खरीदी प्रारंभ होने से खरीदी समाप्ति की नियत तिथि 31 मई गुजर जाने के बाद भी मात्र एक तिहाई से भी कम किसानों ने ही उपार्जन में रुचि दिखाई है। जिससे खरीदी केंद्रों में सन्नाटा पसरा रहा। केंद्र प्रभारियों सहित वेयरहाउस संचालकों का कहना है कि उपार्जन के कठिन नियमों एवं बाजार मूल्य समर्थन मूल्य के करीब होने के कारण किसानो ने खुले बाजार में अपनी उपज बेचना ही उचित समझा । समर्थन मूल्य पर गेहूं विक्रय के लिए पंजीयन कराने वाले किसान इस बार गेहूं विक्रय के मूड में शुरू से ही नजर नहीं आये। किसानों का कहना है कि सोचा था अच्छा उत्पादन होगा तो गेहूं विक्रय करेंगे, लेकिन अब मौसम की मार के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ है। थोड़ी बहुत जो विक्रय करना होगा स्थानीय स्तर पर ही व्यापारियों को विक्रय कर देंगे, खरीदी केंद्र ले जाने के झमेले में कौन पड़े।किसानों की सारी उपज खरीद उनका सही दाम दिलाने के लिए शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर की जाने वाली समर्थन मूल्य की खरीदी से किसानों का मोह लगातार भंग हो रहा है। इस बार समर्थन मूल्य की खरीदी की शुरुआत से ही खरीदी केदो में सन्नाटा पसरा रहा । और किसानों की अरुचि के कारण इस बार इस खरीदी प्रक्रिया सुस्त ही रही ।समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी के लिए बीते सालों की तुलना में अधिक किसानों ने अपना पंजीयन करवाया था, लेकिन मानक एवं अमानक के चलते फिल्टर करना छन्ना लगवाना आदि समस्याओं से बचने किसानों ने उपार्जन से दूरी बना ली।

*सुस्त खरीदी के संभावित कारण*

खुले बाजार में अधिक दाम : समर्थन मूल्य पर शासन द्वारा सभी किस्म के गेहूं की एक दाम पर खरीदी की जाती है, जबकि सीजन के बीतने के बाद गेहूं के दामों में तेजी से बढ़ोतरी होती है। वहीं सीजन के दौरान भी खुले बाजार में कुछ विशेष किस्म के गेहूं के दाम समर्थन मूल्य से कहीं अधिक दाम मिलते है।
भुगतान में देरी और परेशानी

समर्थन मूल्य पर उपज लेने के के बाद शासन द्वारा अधिकतम सात दिन के भीतर उसकी राशि किसानों को देने के निर्देश है, लेकिन पिछले सालों में कई बार अलग अलग कारणों से किसानों को उनका भुगतान काफी देर से मिला है। जबकि मंडी या खुले बाजार में बेचने पर भुगतान तुरंत मिल जाता बाजार में नकद भुगतान रेट भी अच्छे मिल रहे मंडी में किसानों को नकद भुगतान के साथ ज्यादा परेशानी भी नहीं है। रेट भी अच्छे मिल रहे हैं। बात यदि सिहोरा कृषि उपज मंडी की की जाए तो गेहूं का मॉडल रेट 2400 से 2475 रहा इसलिए किसानों का रुझान सरकारी खरीदी की ओर नहीं है। सरकार को गेहूं बेचने के लिए किसान को पहले स्लाट बुक करवाना है। निर्धारित केंद्र पर गेहूं बेचने के बाद कमीशन एवं 1 किलो 200 ग्राम अधिक की तोल आदि की समस्या से जूझना पड़ता है उसे तत्काल भुगतान भी नहीं होगा और कब होगा यह भी तय नहीं। यहीं सभी कारण है कि किसान समर्थन को समर्थन देने की जगह मंडी में भी गेहूं बेचना ज्यादा पसंद कर रहा है।
इनका कहना है,
निर्धारित तिथि 31 मई तक शासन की नीति अनुसार मानक स्तर के 292491 क्विंटल गेहूं का उपार्जन हुआ है।
रोशनी पांडे
कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी
सिहोरा

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