कहीँ दादी नानी की कहानी बनकर न रह जायें ये जल स्रोत ?
Water conservation and promotion limited to paper only:
सिहोरा नगर में परंपरागत जल स्रोतों की खासी उपेक्षा हो रही है।यदि इनकी ऐसे ही उपेक्षा होती रही तो इस बात से नकारा नहीं जा सकता की भविष्य में ये प्राचीन जल स्रोत दादी नानी की कहानी बनकर रह जायेंगे ।
इंडिया पोल खोल को आर्थिक सहायता प्रदान करने हेतु इस QR कोड को किसी भी UPI ऐप्प से स्कैन करें। अथवा "Donate Now" पर टच/क्लिक करें।
Click Here >>
Donate Now
जल संरक्षण व संवर्धन में भी मुख्य भूमिका,अब कूड़ेदान बनते जा रहे
वहीं देखा जाये तो कुएं, तालाब और बावड़ी जैसे ये स्रोत न केवल बर्ष भर पानी उपलब्ध कराते थे, बल्कि बारिश का पानी जमीन के भीतर पहुंचकर जल संरक्षण व संवर्धन में भी मुख्य भूमिका का निर्वाहन करते थे। लेकिन जबलपुर के सिहोरा में समय के साथ आए बदलाव ने इन जल स्रोतों को कूड़ेदान बना दिया। परिणाम स्वरूप नतीजा यह है कि जल स्तर लगातार पाताल की ओर जा रहा है और शहर हो या गांव हर तरफ जल संकट से लोग जूझ रहे हैं।दो दशक पहले तक कुएं, तालाब और बावड़ियां ही मुख्य जल स्रोत हुआ करती थीं। तालाब और कुएं लोगों को पीने और अन्य उपयोग के लिए पानी मुहैया कराते थे वहीं कुछ स्थानों पर बावड़ियां भी थी। नये बस स्टैंड के पास कई साल पहले तक एक बावड़ी का अस्तित्व था। यह बावड़ी तो सालों पहले ही लापता हो गई हैं वहीं अन्य स्थानों की बावड़ियां भी उपयोगविहीन होकर कूड़ेदान की शक्ल ले चुकी है। इसी तरह के हाल कुओं के भी हो चुके हैं। जानकारों के मुताबिक शहर में दो दर्जन से अधिक कुएं अस्तित्व में थे, लेकिन अब शायद ही कोई कुआं ऐसा होगा जिसका कि उपयोग हो रहा हो। अधिकांश कुओं को तो खुद लोगों ने ही कूड़ेदान बना डाला है। लोग इनमें कूड़ा-कचरा फेंकने लगे हैं। इससे कई कुओं का तो लगभग अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है। कुओं और बावड़ियों की उपेक्षा होने की मुख्य वजह यह है कि लोगों को नल-जल योजनाओं से जहां सीधे घर के भीतर पानी मिल रहा है वहीं घर-घर में नलकूप भी खनन हो गए हैं। यही कारण है कि व्यक्तिगत हो या सार्वजनिक कुओं की सुध किसी के भी द्वारा नहीं ली जा रही है। कुछ साल पहले तक स्थानीय निकायों द्वारा भी प्राथमिकता के साथ कुओं का गहरीकरण और साफ-सफाई करवाई जाती थी, लेकिन अब तो स्थानीय निकायों की भी यह प्राथमिकता नहीं रह गए हैं।
इंडिया पोल खोल के WhatsApp Channel को फॉलो करने के लिए इस WhatsApp आइकन पर टच/Click करें।
Google News पर इंडिया पोल खोल को Follow करने के लिए इस GoogleNews आइकन पर टच/Click करें।
*तालाबों के भी यही हाल*
केवल कुएं ही नहीं बल्कि तालाबों के भी यही हाल है। एक जमाने में दो दर्जन से अधिक तालाब थे और इन तालाबों के भी बेहाल हैं। अधिकांश तालाब तो भू माफियाओं की गिद्ध दृष्टि की भेंट चढ़ गए। उंगलियों पर गिने जा सकने वाले शेष बचे तालाबों के अस्तित्व पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। गंदगी से पटे इन तलाबो का न तो गहरीकरण हुआ है और न ही साफ-सफाई की गई है। इससे यह तालाब भी कचरा घर बनने के साथ साथ उथले होते जा रहे हैं और बहुत कम ही पानी का संग्रहण इनमें हो पाता है। जमीन के भीतर पानी भेजने की इनकी क्षमता भी साफ-सफाई के अभाव में कम होती जा रही है।
*नहीं हो पा रही रिचार्जिंग*
कुएं और तालाबों द्वारा केवल पानी ही उपलब्ध नहीं कराया जाता है बल्कि बारिश के दिनों में वर्षा जल को जमीन के भीतर पहुंचाने में भी यह मुख्य भूमिका का निर्वाहन करते थे। इनकी उपेक्षा और इनके लगातार बंद होने के कारण ही अब जमीन का पानी भीतर पहुंचने के लिए कोई जरिया ही नहीं बचा है। यही कारण है कि अब जल स्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है। लोग भी केवल पानी उलीचने का ध्यान रखते हैं, जमीन में पानी पहुंचाने की किसी को भी जरा भी फिक्र नहीं रह पाती है।
पड़ाव की वावली
नये बस स्टैंड के समीप पड़ाव की बावली नगर का प्रमुख पारंपरिक जल स्रोत रहा है स्थानीय लोगों के अलावा पुराने जमाने में बैलगाड़ियों से यात्रा करने वाले भी यहां रुककर बावली के जल का प्रयोग करते थे लेकिन समय में आए बदलाव में परंपरागत जल स्रोत को कचरा घर में तब्दील कर दिया स्थानी लोगों का कहना है कि पारंपरिक जल स्रोतों का उपयोग भले ही नहीं हो, लेकिन देख-रेख होना बेहद आवश्यक हैं। जमीन के भीतर बारिश का पानी पहुंचा कर वे पानी मुहैया कराने में अपनी अदृश्य लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका निर्वहन करते रहते हैं।
पुरातत्व विभाग ने किया था जिर्णोद्धार
मझोली वाईपास में गहोई मुक्तिधाम के समीप स्थित बावली के महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है की उक्त बावली का जीवन आधार पुरातत्व विभाग द्वारा किया गया था किंतु जीर्णोद्धार के बाद स्थानीय नगरीय प्रशासन की उपेक्षा के चलते एतिहासिक वालली भी दम तोड़ती नजर आ रही है।
इंडिया पोल खोल के YouTube Channel को Subscribe करने के लिए इस YouTube आइकन पर टच/Click करें।