6 हजार हैक्टेयर मैं होगी ग्रीष्मकालीन मूंग -उड़द की खेती,किसान होंगे समृद्ध

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स्लीमनाबाद: खेती को लाभ का धंधा बनाये जाए ।खेती से किसानों की आर्थिक स्थिति परिपक्व हो इसके लिए किसान अब वर्ष की तीसरी ग्रीष्मकालीन फसल की ओर भी रुख दिखा रहे है।किसानों की ग्रीष्मकालीन कृषि कार्य की ओर बढ़ती रुचि के कारण हर वर्ष बहोरीबंद विकासखण्ड मैं रकबे मैं बढोत्तरी हो रही है।इस बार बहोरीबंद विकासखण्ड मैं 6 हजार हैक्टेयर भूमि पर ग्रीष्मकालीन मूंग-उड़द का बोवनी कार्य होगा।जिसमे 3500 हैक्टेयर मैं मूंग व 2500  हैक्टेयर भूमि पर उड़द की खेती की जाएगी।जो गत वर्ष से 2 हजार ज्यादा रकबा है।गत वर्ष 4 हजार हैक्टेयर मैं ही ग्रीष्मकालीन खेती कार्य हुआ था।

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मूंग-उड़द बोवनी कार्य शुरू

रबी सीजन की दलहन व तिलहन फसलों का कटाई मिसाई का कार्य अंतिम दौर पर है।साथ ही कुछ क्षेत्रों मैं जहां गेंहू की फसल पक गई है कटाई-मिसाई का दौर चल रहा है।जिन किसानों की चना,मसूर की कटाई-मिसाई हो गई है वो वर्ष की तीसरी ग्रीष्मकालीन मूंग-उड़द की बोवनी कार्य मैं जुट गए है।खेतो मैं जुताई करवाकर बोवनी कर रहे है।वही जिन कृषकों ने गेंहू की बोवनी पहले कर ली थी उनके द्वारा कटाई-मिसाई कार्य कर मूंग -उड़द की बोवनी शुरू कर दी गई।
कृषकों का कहना है कि ग्रीष्मकालीन मूंग-उड़द का कृषि कार्य 2 माह का ही होता है।साथ ही सिंचाई की भी कम जरूरत पड़ती है।तीसरी फसल से किसानों को आर्थिक स्थिति परिपक्व हो जाती है।कृषि विभाग के अधिकारियों का दावा है कि विकासखण्ड मैं ग्रीष्मकालीन फसल का आंकड़ा और बढ़े,लेकिन पठार अंचल मैं पेयजल समस्या के कारण खेती नही हो पाती है।

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इनका कहना है- आर के चतुर्वेदी एसएडीओ कृषि बिभाग

ग्रीष्मकालीन मूंग-उड़द खेती का रकबा इस वर्ष बहोरीबंद विकासखण्ड मैं बढ़ा है।6 हजार हैक्टेयर मैं ग्रीष्मकालीन कृषि कार्य होगा।सरकारी बीज मूंग-उड़द की डिमांड शासन स्तर को भेजी गई थी, संभवत  दो तीन दिनों मै शासन स्तर बीज कृषि विभाग को प्राप्त हो जाए।

 

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