सांस्कृतिक, ऐतिहासिक ओर भौगोलिक स्थानों का छात्रों ने किया भ्रमण,जाना महत्व

सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद, स्वामी विवेकानंद शासकीय महाविद्यालय स्लीमनाबाद में प्राचार्या डॉ सरिता पांडे की अध्यक्षता में स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन योजना के अंतर्गत एक्सपोजर विजिट महाविद्यालय के विद्यार्थियों को कराया गया!विजिट के तहत ग्राम बिचुआ मैं ड्रैगन फ्रूट हाइब्रिड फसल का अवलोकन करवाया गया। साथ ही बहोरीबंद के प्रसिद्ध ग्राम तिंगवा स्थित भारतीय पुरातत्व स्थल का भ्रमण करवाया गया!ग्राम बिचुआ के फार्म में ड्रैगन फ्रूट की खेती का अवलोकन विद्यार्थियों द्वारा किया गया!
भ्रमण का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को नवीन कृषि पद्धतियों, व्यावहारिक जानकारी एवं अनुभव से परिचित कराना था।
इस दौरान डॉ. सरिता पांडेय ने कहा कि क्षेत्रीय भ्रमण छात्रों को जमीनी हकीकत समझाने का सर्वोत्तम माध्यम है, जिससे उन्हें नवाचार, आत्मनिर्भरता और उद्यमिता के प्रति प्रेरणा मिलती है।ड्रैगन फ्रूट फार्म हाउस के संचालक द्वारा ड्रेगन फ़्रूट की खेती की विधि, लाभ एवं बाजार संभावनाओं की जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि जुलाई माह से फल आना प्रारंभ होता है और यह फल डायबिटीज नियंत्रण इम्यूनिटी बढ़ाने पाचन में सुधार तथा हृदय स्वास्थ्यके लिए अत्यंत लाभकारी है। साथ ही इसकी खेती एक लाभदायक व्यवसाय के रूप में उभर रही है, जिससे लाखों रुपये की आमदनी प्राप्त की जा सकती है।ड्रेगन फ़्रूट फार्म हॉउस के सुपरवाइजर सुरेश पाटीदार ने बताया कि ड एक एकड़ भूमि पर ड्रेगन फ़्रूट की खेती पर 6-7 लाख रूपये का खर्चा आता है!साथ ही आमदनी दोगुनी हो जाती है! यह चार माह की खेती है!ड्रेगन फ़्रूट का पौधा एक सीजन मै 3 से 4 बार फल देता है! प्रत्येक फल का वजन लगभग 300 से 700 ग्राम होता है!एक पौधे पर 50 से 100 फल लगते है!ड्रेगन फ्रूट के पौधे की आयु 20 वर्ष तक की रहती है!ड्रेगन फ़्रूट उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो मधुमेह, कार्डियो-वैस्कुलर और अन्य तनाव संबंधी बीमारियों से पीड़ित हैं और प्राकृतिक उपचार को प्राथमिकता देते हैं!
ड्रैगन फ्रूट कॉलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में मदद करता है।
शुगर डायबिटीज़ के रोगियों के लिए फायदेमंद है।ड्रैगन फ्रूट फाइबर युक्त होता है, जो आपके शरीर में जरूरी पोषक तत्व की कमियों को पूरा करता है।इसके सेवन से कार्डियोवैस्कुलर रोग होने का खतरा काम हो जाता है।हार्ट अटैक जैसे गंभीर रोगों से बचाव करता है।ड्रैगन फ्रूट में एंटीअक्सीडेंट गुण भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।पोटैशियम और विटामिन सी ड्रैगन फ्रूट में प्रचुर मात्रा में होते हैं।
ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का तरीका
ड्रेगन फ्रूट की खेती कैसे की जा सकती है इस विषय जानकारी देते हुए बतलाया गया कि पिछले दो से तीन दशक में जलवायु में काफी बदलाव आया है। इससे वर्षा की अनियमितता और फसल खराब होने की संभावना भी बढ़ गई है। इन सभी समस्याओं को देखते हुए, कई किसानों ने ड्रैगन फ्रूट की खेती की ओर रुख किया है। क्योंकि यह सूखे की स्थिति में या खराब मिट्टी में भी हो सकता है। ड्रैगन फ्रूट में हीलिंग के अच्छे गुण होते हैं।ड्रैगन फ्रूट सफेद गुदे वाला लाल रंग का फल,सफेद गुदे वाला पीले रंग का फल व लाल गुदे वाला लाल रंग का फल ये तीन प्रकार का होता है!
बिचुआ मै ड्रेगन फ़्रूट की जो खेती की गईं वह लाल गुदे वाला लाल रंग का फल है!ड्रैगन फ्रूट के पौधे जून से अगस्त तक गर्म और आर्द्र वातावरण में प्रत्यारोपण कर सकते हैं।
तिंगवा पुरातत्व स्थल का जाना महत्व
स्लीमनाबाद महाविद्यालय का दल बहोरीबंद के प्रसिद्ध पुरातत्त्व स्थल तिंगवा पहुँचा!जहाँ 5 वीं सदी के बने माँ शारदा व कंकाली मंदिर का भ्रमण किया गया!साथ ही वहाँ के महत्व के बारे मै जाना गया!इस दौरान डॉ अनिल शाक्य, डॉ प्रीत नेगी,डॉ किरण खरादी, डॉ प्रीति यादव, डॉ शैलेन्द्र जाट, डॉ आशुतोष सोनी,डॉ भारती यादव, सत्येंद्र सोनी,अंजना पांडेय, कमलेश चौधरी सहित महाविद्यालय स्टॉफ व विद्यार्थियों की उपस्थिति रही!
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