संत आसाराम बापू को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत 

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नई दिल्ली:आखिरकार संत आसाराम बापू को 12 साल बाद सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल ही गई ।कोर्ट ने  मेडिकल आधार पर संत श्री आसाराम बापू को अंतरिम जमानत दे दी है। उन्हें 31 मार्च तक रिहा किया जाएगा। जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और राजेश बिंदल की बेंच ने यह आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 86 वर्षीय संत आसाराम बापू को सबूतों से छेड़छाड़ न करने और रिहाई के बाद अपने अनुयायियों से न मिलने का निर्देश दिया है।

बापू के वकील ने दी यह दलील

संत आसाराम बापू के वकील सीनियर वकील देवदत्त कामत ने वकील राजेश गुलाब इनामदार और शशवत आनंद के साथ मिलकर मामले की खूबियों और संत आसाराम बापू की मेडिकल हालात दोनों पर जोर दिया। उनका तर्क था कि दोषसिद्धि केवल अभियोजिका की गवाही पर आधारित थी, जिसमें कोई पुष्ट प्रमाण नहीं था। उन्होंने अभियोजन पक्ष के मामले में विसंगतियों की ओर भी इशारा किया। हालांकि, अदालत ने मामले की खूबियों पर विचार नहीं किया और याचिकाकर्ता के स्वास्थ्य के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। इसी आधार पर एसएलपी का निपटारा कर दिया गया।

मेडिकल आधार पर मांगी जमानत

वहीं मेडिकल आधार पर, कामत ने संत आसाराम बापू की बढ़ती उम्र, दिल के दौरे का इतिहास और अन्य गंभीर बीमारियों पर जोर दिया। उन्होंने तर्क दिया कि लगातार कैद में रहने से उनके जीवन को खतरा हो सकता है। उन्होंने अदालत से जेल के बाहर तत्काल मेडिकल सुविधा प्राप्त करने के लिए जमानत देने का आग्रह किया। गुजरात राज्य की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका का विरोध किया। उन्होंने संत आसाराम बापू की दोषसिद्धि की गंभीरता पर जोर दिया और कहा कि उन्हें हिरासत में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं।

कोर्ट ने 31 मार्च तक के लिए दी अंतरिम जमानत

सभी पक्षों को सुनने के बाद, अदालत ने 31 मार्च, 2025 तक चिकित्सा आधार पर जमानत दे दी ताकि संत आसाराम बापू आवश्यक इलाज करा सकें। बेंच ने स्पष्ट किया कि यह राहत पूरी तरह से मानवीय आधार पर दी गई है। अदालत ने जमानत अवधि के दौरान लगाई गई शर्तों का पालन करने का निर्देश दिया। अदालत ने यह भी संकेत दिया कि जमानत अवधि समाप्त होने के करीब आसाराम की चिकित्सा स्थिति का पुनर्मूल्यांकन किया जा सकता है।

 


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