खेतो मैं लहलहा रही सरसो की फसल,तिलहन फसलों की ओर किसानों का बढ़ा रुझान
सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद- खेती को लाभ का धंधा बनाया जाए,खेती से कृषक आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाए इसके लिए सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही है।लेकिन ऐसे भी क्षेत्र जहाँ पानी की समस्या रहती है उन क्षेत्रों के किसानों को भी खेती की ओर आगे बढाने कृषि विभाग के द्वारा सतत रूप से कार्य किया जा रहा है।बहोरीबन्द विकासखण्ड क्षेत्र का पठार अंचल जो पानी की कमी से जूझता है वहां के किसानों ने इस वर्ष तिलहन फसलों की रुझान बढ़ाया है।बाकल के अलावा बहोरीबंद व स्लीमनाबाद क्षेत्र मे भी तिलहन फसल के तहत सरसो की बोवनी हुई है।लेकिन सबसे अधिक सरसो की बोवनी पठार अंचल मैं हुई है।
इस वर्ष विकासखण्ड क्षेत्र मे 3 हजार हैक्टेयर मैं सरसो की बोवनी है जो गत वर्ष की अपेक्षा 500 हैक्टेयर बढोत्तरी है।
क्योंकि गत वर्ष तीन हजार हैक्टेयर भूमि पर सरसों की खेती हुई थी।कृषि विभाग के एसएडीओ आर के चतुर्वेदी ने बताया कि गेंहू की अपेक्षा सरसो मैं कम सिंचाई ,कम खाद व कम लागत लगती है।राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत विकासखण्ड के 900 किसानों को सरसों का बीज भी वितरण किया गया।
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कृषकों को बतलाया कीट व्याधि से फसल बचाने के उपाय
मौसम मैं हो रहे बदलाव के कारण सरसो फसल पर कीट व्याधि का प्रकोप देखा जा रहा है।किसान कीट व्याधि से सरसो की फसल को बचा सके इसके लिए कृषि विभाग का अमला इन दिनों बहोरीबंद विकासखण्ड क्षेत्र के निरीक्षण पर है।गुरुवार को एसएडीओ आर के चतुर्वेदी विकासखंड क्षेत्र के ग्रामो मैं तिलहन फसलों का निरीक्षण कर किसानों से चर्चा की।जिसमे किसानों को तिलहन फसलों पर लगने वाले मैनी माहू व आरा मक्खी रोग से बचाने क्लोरोफ़ायरी फास या इमीडाक्लेयर दवा छिड़काव करने कृषकों को बतलाया गया।
एसएडीओ ने कहा कि सरसो फसल की जो बोवनी सितंबर व अक्टूबर माह के मध्य हो जाती है उसपर कीट व्याधि नही लगता है।अक्टूबर के बाद हुई बोवनी पर कीट व्याधि प्रकोप की संभावना बढ़ती है।
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