पॉक्सो एक्ट के भयानक दुष्प्रभाव रोकने मांग सौपा ज्ञापन 

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भगवानदीन साहू छिंदवाड़ा : सामाजिक कार्यकर्ता एव राजनीतिक विश्लेषक भगवानदीन साहू के नेतृत्व में बहुत से धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों ने महामहिम राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर पॉक्सो एक्ट के भयानक दुष्प्रभाव रोकने की माँग की। ज्ञापन में बताया कि एक षड्यंत्र के तहत भारत विश्वगुरु ना बने , सनातन संस्कृति का प्रचार प्रसार पूरे विश्व में ना हो , विश्व के समस्त प्राणी सुखी , स्वस्थ और समानित जीवन ना जिएं , हिन्दुओं की घर वापसी ना हो , इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए धर्मांतरण के पक्षधर रहे लोगों ने 14 नवम्बर सन 2012 को बाल दिवस के दिन सभी राजनीतिक पार्टियों के सहयोग से संसद में पॉक्सो एक्ट कानून बनाया। उसका नाम दिया बाल उत्पीड़न रोकने के लिए। इसमें आरोप सिद्ध हो जाने पर 10 वर्ष अधिकतम सजा का प्रावधान रखा गया । प्रथम शिकार बनाया सनातन संस्कृति के रक्षक सन्त श्री आशारामजी बापू को। जिन पर 31अगस्त 2013 को पॉक्सो एक्ट में प्रकरण पंजीबद्ध किया ।उस समय केंद्र में , दिल्ली में और राजस्थान में धर्मांतरण का सपोर्ट करने वालों की सरकारें थी । सन 2001 में पूरे देश में बलात्कार के लगभग 16 हजार प्रकरण पंजीबद्ध थे । सन 2014 से लेकर 2017 तक इनमें भारी वृद्धि हुई और इन प्रकरणों की संख्या 4 लाख 20 हजार से अधिक हो गई ।यह आंकड़े सिर्फ 3 वर्ष के अंतराल के है । इसमें पुलिस का और न्याय व्यवस्था का बोझ ज्यादा बढ़ा। महिलाओं के पक्ष में कड़े कानून का परिणाम यह हुआ है कि अब हनीमून कांड , नीला ड्रम कांड , सासु जी और दामाद का विवाह जैसे कांडो का चलन बढ़ गया । महिलाओं द्वारा पैसे ऐंठने में भी इस कानून का दुरुपयोग ज्यादा हुआ । इस कानून की एक बहुत बड़ी विशेषता यह भी है कि इसमें राजनेताओं को इससे दूर रखा है जिसमें भाजपा के कद्दावर नेता पहलवान ब्रजभूषण सिंह , कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदुरप्पा , सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई , विदेशों से आर्थिक सहायता प्राप्त न्यूज चैनलों के प्रतिनिधि जैसे दीपक चौरसिया जो हिन्दू साधु संतों को बदनाम करें , ऐसे कई नाम हैं इन पर भी आरोप लगे पर गिरफ्तार नहीं किये गए । यह कानून सिर्फ सनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार करने वाले हिन्दू धर्म पर आस्था रखने वालों पर लागू होता है । कई लोगों ने डर के मारे आत्महत्या तक कर ली जिसमें भय्यू जी महाराज , अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र गिरी प्रमुख् हैं । अब हालात यह है कि हिन्दू युवा विवाह करने से परहेज कर रहा है । यह कानून पुरुष और महिलाओं के प्रति वैमनस्यता प्रदान कर रहा है । पहले के समय जो पूज्य भाव महिलाओं के प्रति होता था।अब खत्म होने की कगार पर है । हालातों से स्पष्ट है कि पहले की सरकार धर्मांतरण के पक्षधर थी वर्तमान की सरकार भी इसी ओर अग्रसर है । पूर्व की सरकार के जैसे वर्तमान सरकार के हालात ना हो जाये। विधि आयोग की रिपोर्ट भी सरकार के पास है जिसमें उन्होंने यह माना है कि इस एक्ट का बेजा इस्तेमाल हुआ । देश के लगभग 70 करोड़ पुरूष इससे प्रभावित हो रहे है और लाखों लोगों का जीवन बर्बाद हो चुका है ।जिम्मेदार लोग धर्मांतरण वालो के दबाव में काम कर रहे है ।स्थिति ज्यादा भयावह हो इसके पहले इस एक्ट में संशोधन की मांग की है । ज्ञापन देते समय आधुनिक चिंतन हरशूल रघुवंशी , राष्ट्रीय बजरंग दल के नितेश साहू , कुंबी समाज के युवा नेता अंकित ठाकरे , साहू समाज के ओमी साहू , कलार समाज के बबलू माहोरे , कुंबी समाज के मार्गदर्शक सुभाष इंगले , आई टी सेल के प्रभारी भूपेश पहाड़े , ओम प्रकाश डहेरिया , अश्विन पटेल , अशोक कराडे , नारायण ताम्रकार , रामराव लोखंडे आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे ।

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