महाशिवरात्रि विशेष:भगवान शिव ने प्यास बुझाने तीन कुंड किये थे निर्मित
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स्लीमनाबाद (सुग्रीव यादव ): देवाधिदेव महादेव व माता पार्वती के विवाहोत्सव का पावन पर्व महाशिवरात्रि शुक्रवार को है।महाशिवरात्रि पर्व पर जिले भर के शिव मंदिरों मैं विविध आयोजन होंगे।वही जिले के बहोरीबन्द मैं स्थित रुपनाथ धाम अपने अद्भुत रहस्यों को संजोय रखा है।जो अपनी कविंदतियो को लेकर जाना जाता है।रुपनाथ धाम मैं महाशिवरात्रि पर्व पर विविध आयोजन होंगे।बड़ी संख्या मे भक्तो का जनसैलाब उमड़ेगा।जहां पूजन अर्चन कर सुख समृद्धि की कामना की जाएगी।
रुपनाथ धाम की यह किवंदती है कि यहां पर भोले बाबा की गुफा देखने के लिए मिलती है।जिसमें शिवलिंग विराजमान है। रूपनाथ मंदिर में पार्वती माता का मंदिर भी बना हुआ है। यहां पर पहाड़ी के किनारे मंदिर बने है। यहां पर पहाड़ी के किनारे तीन कुंड देखने के लिए मिलते हैं। इन कुंड को राम कुंड, लक्ष्मण कुंड और सीता कुंड के नाम से जाना जाता है। रुपनाथ धाम मैं प्राचीन अभिलेख भी देखने के लिए मिलता है। यह अभिलेख सम्राट अशोक का है। बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार करने के लिए, सम्राट अशोक यहां पर आए थे।
वर्तमान मे पूरा परिसर पुरातत्व विभाग के अधीन है।
रुपनाथ धाम मैं है सुरँगी रास्ता जो पहुँचता है बांदकपुर धाम-
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रूपनाथ धाम में एक सुरंगी रास्ता है मौजूद है जो यह रास्ता बांदकपुर के जागेश्वरधाम तक पहुंचता है।
भगवान शिव इसी गुफा के रास्ते बांदकपुर के जागेश्वर नाथ गए थे। हालांकि यह रास्ता कई वर्षों से बंद है। लोगों को सुरंगी गुफा के भीतर जाना प्रतिबंधित है। एक ओर जहां रूपनाथ अर्थात भगवान भोलेनाथ का मंदिर है तो वहीं दूसरी ओर यहां श्रीराम, सीता व लक्ष्मण नाम के तीन कुंड भी हैं, जिनमें जल स्तर बारह महीनों बना रहता है। वहीं रूपनाथ धाम प्राकृतिक सौंदर्य से भी भरपूर है।
रूपनाथ धाम को लेकर एक धार्मिक किवदंती भी यह है कि यहां भगवान शिव की बारात रूकी थी। बारातिायों की प्यास बुझाने के लिए भगवान शिव की कृपा से यहां तीन कुंड निर्मित हुए थे जिन्हें आज श्रीराम कुंंड, सीता कुंड व लक्ष्मण कुंड के नाम से जाना जाता है। यह तीनों कुंड एक इमारत के पहले, दूसरे व तीसरे तल की तरह हैं।
इस स्थान पर प्राकृतिक सौंदर्य की छटा भी चारों ओर बिखरी हुई है। जहां एक ओर यहां धार्मिक आस्था से जुड़े लोग पहुंचते हैं तो वहीं दूसरी ओर सैलानियों का भी यहां आना जाना बना ही रहता है। वहीं यहां पर अशोक सम्राट के रहने के निशान और विशेष लिपि में लिखे गए शिलालेख पुरात्व की कहानी बखान रहे हैं।
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