जीवनदायिनी नदियां खो रही अपना स्वरूप,उत्थान की दरकार,कागजो मैं होता है जलसंरक्षण

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सुग्रीव यादव कटनी स्लीमनाबाद- ग्रीष्मकालीन समय चल आर है ।जिस कारण बढ़ता तापमान और गिरता भू-जल स्तर। नदी-नालों में पानी की जगह नजारा सूखा। हवा उगलते हैंडपंप, कुओं में नजर आती जमीन। जंगलों में सूखे नाले, गांवों में गहराता पेयजल संकट। ये समस्या अप्रैल माह मैं सामने आने लगी है और जैसे-जैसे गर्मी का प्रकोप आगे बढ़ेगा  वैसे-वैसे समस्या गहराते जाएगी।
इधर, जंगलों में पानी की कमी के चलते वन्य जीवों ने गांवों की ओर अपना रुख कर लिया है। ग्रामीण भी पानी के लिए परेशान हो रहे हैं।
गौरतलब है बहोरीबंद विकासखण्ड मैं मार्च माह से ही नदी-नालों का भू-जल स्तर तेजी से गिरने लगा था। आलम अप्रैल माह मे यह है कि विकासखण्ड की तीनों प्रमुख जीवनदायिनी कटनी व पतने नदी सूख गई है तो सुहार नदी मैं सूखने की कगार पर है। है। गिरते भू-जल स्तर के कारण नदियों के मुहाने बसे गांवों में सर्वाधिक पेयजल का संकट गहराने लगा। अभी अप्रैल माह समाप्ति कि ओर है  जबकि अभी मई और जून माह बीतना शेष है। ऐसे में आगामी समय में पानी की कैसी समस्या होगी, इसका अंदाजा सहर्ष लगाया जा सकता है।विकासखण्ड की आबादी ग्रामीण अंचलों में निवास करती है। मौजूदा समय में अधिकांश गांवों में पेयजल संकट उत्पन्न हो गया है।

जीवनदायिनी नदियों का भी कम हुआ जल-
जिले की जीवनदायी कटनी नदी स्लीमनाबाद से होकर गुजरती है।नदी कभी भी नही सूखती थी लेकिन इस वर्ष नदी के उद्गम स्थल से लेकर 30 से 35 किलोमीटर तक नदी सूखी पड़ी हुई है।
जिससे जल स्तर पर भारी गिरावट आई है।जिससे स्लीमनाबाद तहसील क्षेत्र प्रभावित हुआ है।
इस वर्ष कटनी नदी के सूखने से ग्रीष्मकालीन खेती पर संकट मंडरा रहा है।
गौरतलब है कटनी नदी के उत्थान के लिए नदी पुनर्जीवन अभियान मैं शामिल किया गया था। लेकिन सिर्फ यह अभियान कागजो तक सीमित रहा है।अभी तक अभियान के तहत कटनी नदी का उत्थान नही हो सका।वही कटनी नदी अपने पुनर्जीवन के लिए नर्मदा जल की राह तक रही है।जिसके लिए क्षेत्रवासियों के द्वारा लगातार चरणबद्ध तरीके से आंदोलन कर शासन-प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से मांग की जा रही है कि नर्मदा जल स्लीमनाबाद की जीवनदायिनी कटनी नदी को मिले जिससे जलसंकट की स्थिति दूर हो।वर्तमान मे
ग्राम भूला से ग्राम खिरहनी तक नदी सूखी पड़ी हुई है।

वही बहोरीबंद विकासखण्ड की जीवनदायिनी सुहार नदी के हाल भी कटनी नदी के जैसे है।कभी न सूखने वाली नदी मैं इस वर्ष पानी तक नही है।जिससे पानी की त्राहि त्राहि मचने लगी है।सुहार नदी कुआँ ग्राम से गुजरती हुई ग्राम अभाना मझौली तक जाती है।इस नदी के मुआने विकासखण्ड के दर्जनों भर गांव आते है।
जो जल स्तर से प्रभावित होंगे ।
यही हाल पठार अंचल की जीवनदायी पतने नदी का।
पतने नदी के सूखने से पठार अंचल मैं भी पानी की त्राहि त्राहि मचना शुरू हो गई है। हुई ।
जीवनदायिनी नदियाँ अपना स्वरूप खोने लगी है।जिससे जनता अब सवाल खड़ा करने लगी है।नदियों ,जल स्त्रोतों को संवारने सरकार और  प्रशासन के वादे दिखावे साबित हो रहे है ।यही कारण की अब नदियाँ अब अस्तित्व खोते नजर आ रही है।सवाल यह है की आखिर कौन इन नदियों के उत्थान के लिए भागीरथ बनेगा ।
नदियों के गहरीकरण व स्टॉप डैम निर्माण हो जाये तो जल संरक्षण हो जाये।

इनका कहना है- प्रणय पांडेय विधायक बहोरीबंद विधानसभा

बहोरीबंद विकासखण्ड मैं प्रमुख तीनो नदियों का उत्थान हो इसके लिए सार्थक प्रयास किये जायेंगे।
नदियों के उत्थान के लिए जिला पंचायत सीईओ व कलेक्टर से इस सम्बंध मैं चर्चा की जाएगी।
साथ ही आमजन भी जल के संरक्षण व संवर्धन के लिए सहभागिता दिखाए ।

 


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