मध्यप्रदेश में हाईकोर्ट के आदेश के बाद जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल खत्म 

इस ख़बर को शेयर करें

जबलपुर :कोलकाता में महिला डॉक्टर से रेप और हत्या की घटना के विरोध में  शनिवार को इंडियन मेडिकल असोसिएशन ने 24 घंटे की देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया था।लेकिन मध्यप्रदेश में हाईकोर्ट के आदेश के बाद जूनियर डॉक्टर ने हड़ताल खत्म कर दी है।दरअसल जूनियर डॉक्टर्स ने 15 अगस्त की रात 12 बजे से काम बंद कर दिया था। इसके करीब 46 घंटे बाद हड़ताल खत्म करने का ऐलान किया।

क्या है मामला 

जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के प्रवक्ता डॉ. कुलदीप गुप्ता ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के सम्मान में हड़ताल तत्काल खत्म कर दी गई है। हालांकि पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। दरअसल, 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या की गई थी। 14 अगस्त की देर रात इसी अस्पताल में हिंसा हुई, जिसके बाद IMA ने देशभर में प्रदर्शन का फैसला किया था।

*हाईकोर्ट ने दिया था हड़ताल खत्म करने का आदेश*

इससे पहले शनिवार दोपहर में हाईकोर्ट ने जूनियर डॉक्टर्स को हड़ताल खत्म करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा कि 20 अगस्त तक अपनी हड़ताल वापस लें। एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सर्राफ की बेंच ने कहा कि हड़ताल का ये तरीका कतई ठीक नहीं है। अगर किसी की जान निकल रही होगी, तो कहिएगा दो दिन बाद दवाई देंगे? हाईकोर्ट ने डॉक्टरों की काम पर लौटने की सलाह दी थी।

*हाईकोर्ट में सुनवाई जो हुआ उसे पढ़ें -*

*कोर्ट रूम LIVE…*

जूनियर डॉक्टरों की ओर से एडवोकेट महेंद्र पटेरिया ने पैरवी की। वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट संजय अग्रवाल ने जिरह की।

*जूडा के वकील* – डॉक्टर्स को तो इन्होंने पार्टी ही नहीं बनाया। जूडा को पार्टी बनाया है।

*जज* – आप नंबर 3 की तरफ से हैं। स्ट्राइक वापस लीजिए।

*जूडा के वकील* – हमारे स्ट्राइक पर जाने से फर्क नहीं पड़ रहा। फिलहाल ऑपरेशन, कैजुअल्टी सब चालू है। ये तो सिर्फ स्टूडेंट हैं। उन्हें ही पार्टी बनाया है।

*जज* – अगर इनके हड़ताल पर जाने से फर्क नहीं पड़ता, तो हड़ताल पर क्यों हैं। विरोध के और भी तरीके हैं। उनको बोलिए कि सफेद कोर्ट के ऊपर काली पट्‌टी बांध सकते हैं।

*जूडा के वकील* – हमें एक कॉपी दे दें। मंगलवार को रख लेते हैं।

*जज* – मिस्टर पटेरिया, अगर किसी की जान निकल गई होगी ना तो उसको बोलिए कि दो दिन का समय दीजिए। आपको दवाई बाद में दूंगा मैं।

*जूडा के वकील*- साहब, सब सेवाएं चालू हैं। ऑपरेशन चालू है।

*जज* – कह दीजिए कि कोई काम नहीं रुकेंगे। हम आपको टाइम दे देंगे।

*जूडा के वकील*- जो काम करने वाले हैं, उन्हें तो पार्टी ही नहीं बनाया।

*जज* – हड़ताल की कॉल किसने दी, उन्होंने तो नहीं दी। आपने दी है।

*जूडा के वकील* – हम तो साहब स्टूडेंट हैं। पढ़ने वाले हैं। छात्र संगठन हैं।

*जज*- तो फिर हड़ताल की कॉल किसलिए दी? पेशेंट को कहिएगा कि अभी आप मरे नहीं हैं। दो दिन इंतजार करिए। हम जवाब फाइल कर दें, इसके बाद मरिएगा। ऐसा हो सकता है क्या? ऐसा कैसे कर सकते हैं आप?

*जूडा के वकील*- 20 लोगों का डेलिगेशन है, जो इस स्ट्राइक को कर रहे हैं। बाकी सभी स्टूडेंट पढ़ रहे हैं। कॉलेज जा रहे हैं।

*जज*- आप कैसे ऐसे कॉल दे सकते हैं हड़ताल के लिए। क्या मरीज इंतजार करेगा कि कोर्ट से फैसला आएगा, फिर हम अपनी जान देंगे।

*जूडा के वकील*- ऐसा नहीं है। हमें एक कॉपी दे दें। हम उसका रिप्लाई दे देते हैं।

*जज* – आप काम पर वापस जाइए, उसके बाद देखेंगे। सोमवार को रख लेंगे। आपको जवाब फाइल करना है, जो करिए। कॉपी आपको मिल जाएगी, लेकिन काम पर वापस जाइए। अपनी हड़ताल सस्पेंड करिए तीन दिन के लिए। उसके बाद देखते हैं। वैसे, ये हर नागरिक का मुद्दा है, तो क्या हर नागरिक हड़ताल पर चला जाए। और भी तरीके हैं। आप उनको समझाइए। कानूनी तरीके लीजिए।

*जूडा के वकील*- ये लोग तो सिर्फ स्टूडेंट आर्गनाइजेशन हैं। कुछ पीजी कर रहे हैं, कुछ स्टूडेंट हैं। इनका मिलाकर एसोसिएशन है। ये परमानेंट डॉक्टर नहीं हैं। डॉक्टर तो काम कर ही रहे हैं। ये तो सिर्फ असिस्ट करते हैं। अभी तो ये डॉक्टर बनेंगे।

*जज*- पटेरिया जी, असिस्टेंस जो देता है, उसका भी रोल होता है।

*जूडा के वकील*- एक कॉपी दे दें, तो स्टडी कर लें कि क्या लिखा है इन्होंने।

*जज*- आप उनसे बात करें। उनको बोलिए कि काम पर जाएं। जवाब दाखिल करना है, करें, सोमवार को देख लेंगे। अभी फिलहाल आप काम पर वापस जाएं। उन्हें बोलिए कि अदालत जो भी समस्या होगी, उसे सुनेगी। जो भी तकलीफ है, जो भी तरीका है, कोई रास्ता निकालेंगे।
हम सब परेशान हैं इससे। हम सबका दिल दुखता है, लेकिन काम राेकने से हल नहीं निकलेगा। पुलिस वाले भी हड़ताल पर चले जाएं, हम भी हड़ताल पर चले जाएं, क्या होगा काम का।

 


इस ख़बर को शेयर करें