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क्या मध्यप्रदेश में भी दाखिल हो गई मसीह नीति ?मीरा के परचा खारिज होने पर किये जाने वाला सियापा नौटंकी जैसा

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अश्वनी बडगैया अधिवक्ता*स्वतंत्र पत्रकार :खरी – अखरी :खजुराहो लोकसभा क्षेत्र से इंडिया गठबंधन (कांग्रेस – समाजवादी) की साझा उम्मीदवार मीरा यादव का नामांकन पत्र खारिज कर जिला निर्वाचन अधिकारी पन्ना कलेक्टर सुरेश कुमार ने एक अनचाहे विवाद को जन्म दे दिया है। सुरेश कुमार ने भले ही विधि के तहत निर्णय लिया हो मगर विधि के तहत काम करने के मूल में स्थापित संवेदनशीलता की अनदेखी तो की ही है। कलेक्टर के निर्णय का भाजपा के अनुकूल होने की वजह से जहां भाजपाई खुश हो रहे हैं वहीं विपक्ष इसे कलेक्टर द्वारा सत्ता के दबाव में लोकतंत्र की हत्या बता रहा है।

राजनीतिक विश्लेषकों के एक वर्ग का मानना है कि निर्वाचन अधिकारी पन्ना का निर्णय भी एक तरह से मध्यप्रदेश में भी राजनीति की नई मसीह नीति का प्रवेश ही है जिसने चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर चुनाव से अपना सफर शुरू किया है। चंडीगढ़ में नगर निगम के मेयर चुनाव में प्रिसाइडिंग अधिकारी अनिल मसीह ने राजनीति में जिस नई नीति (मसीह नीति) को जन्म दिया है भले ही सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए कि यह लोकतंत्र की हत्या के समान है, उसका ईलाज कर दिया हो मगर लगता नहीं है कि वह पूरी तरह समाप्त हो जायेगी। वह तो केंसर के समान है जो आपरेशन करने के बाद भी नई जगह पैदा हो जाता है।

कलेक्टर पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की अनदेखी करने का आरोप

*सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और एमपी कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सुरेश कुमार के फैसले को डरी हुई भाजपा के ईशारे पर लोकतंत्र की हत्या कहा है। मीरा यादव के पति दीप नारायण यादव ने निर्वाचन अधिकारी पन्ना पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए उच्च न्यायालय से लेकर उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने की बात कही है। लोगों के बड़े वर्ग का कहना है कि यह भाजपा और उसके लिए समर्पित चुनाव आयोग के अधिकारियों का षडयंत्र है इसके सिवाय कुछ नहीं है क्योंकि नामांकन पत्र भरवाने और चैक करने में अपर कलेक्टर सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका होती है। इनके द्वारा जहां कमी होती है तो उसे पूरा कराया जाता है। फिर ये चूक कैसे हुई कहीं यह अनदेखी जानबूझकर तो नहीं की गई है। मध्य प्रदेश में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है इसके पहले भी इसी तरह का कारनामा विदिशा लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे दिग्विजय सिंह के खास सिपहसलारों में शुमार राजकुमार पटेल द्वारा भाजपा प्रत्याशी सुषमा स्वराज से दो – दो हाथ करने की तैयारी के दौरान किया जा चुका है जब वे अंतिम दिन नामांकन फार्म जमा करते वक्त फार्म बी को जानबूझकर घर पर ही छोड़ आये थे नतीजा रहा परचा खारिज।*

*मीरा यादव का परचा खारिज करने पर चुनाव अधिकारी पर करारा प्रहार करते हुए एमपी के पिछड़ा वर्ग विकास मोर्चा ने कहा है कि नामांकन पत्र निरस्त करना आपराधिक कार्य है। मोर्चा का कहना है कि जिला निर्वाचन अधिकारी कलेक्टर सुरेश कुमार ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 33 का मनमानी तरीके से उल्लंघन किया गया है। मोर्चे के मुताबिक धारा 33(4) (2) में प्रावधान है कि निर्वाचक नामावली में या नाम निर्देशन पत्र में किसी गलत नाम, अशुद्ध वर्णन या लेखन संबंधी तकनीकी त्रुटि या मुद्रण संबंधी मूल की अनुवीक्षा की जाय। जब नामांकन पत्र दाखिल किया जाय तो रिटर्निग आफीसर का कर्तव्य है कि वह नामांकन पत्र का पारशीलन करे। यदि कोई त्रुटि है तो उसे बताये। अभ्यर्थी को त्रुटियों का परिशोधन करने की अनुमति दे। धारा 33 (5) में कहा गया है कि निर्वाचक नामावली की प्रमाणित प्रति यदि नाम निर्देशन पत्र के साथ फाइल नहीं की गई हो तो समीक्षा के समय रिटर्निग आफीसर के समक्ष पेश की जाय। पिछड़ा वर्ग विकास मोर्चा एमपी के मुताबिक जिला निर्वाचन अधिकारी कलेक्टर पन्ना सुरेश कुमार ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 33 व उपधाराओं का जानबूझकर उल्लंघन कर मनमाने तरीके से सपा प्रत्याशी मीरा यादव का नामांकन पत्र निरस्त किया है इसलिए उन पर कार्रवाई की जानी चाहिए।*

*मीरा के परचा खारिज होने पर किये जाने वाला सियापा नौटंकी जैसा

*कलेक्टर सुरेश कुमार को जो करना था कर दिया अब जिसको जहां जाना हो जाता रहे। इस तरह के निर्णय हर चुनाव के दौरान किसी न किसी विधानसभा – लोकसभा चुनाव के दौरान निर्वाचन अधिकारी द्वारा लिए जाते रहे हैं और वह भी परदे के पीछे से दिए गये सरकारी ईशारे पर। कहा जाता है कि सफल कलेक्टर – एसपी वही है जो सरकार के अनकहे को समझ कर सत्ता पार्टी के फायदे के लिए काम करे। कलेक्टर को मालूम है कि निर्वाचन प्रक्रिया शुरू होते ही उनके पास असीमित अधिकार आ जाते हैं। न्यायालय भी चुनाव प्रक्रिया लागू हो जाने पर हस्तक्षेप करने से परहेज करता है। इसलिए खजुराहो लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन की कोई नुमाइंदगी नहीं होगी। फिलहाल कोर्ट से कोई राहत मिलेगी इसकी संभावना भी नगण्य ही है। खजुराहो लोकसभा की दलीय राजनीति पर करीबी नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इंडिया गठबंधन की साझा (समाजवादी पार्टी) उम्मीदवार मीरा यादव का नामांकन रद्द होना भाजपा प्रदेशाध्यक्ष और सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की जुगलबंदी का नतीजा है। वरना क्या कारण था कि पहले मनोज – फिर मीरा – फिर उसके बाद मीरा के नामांकन पत्र में छोड़ी गई कमियां जो परचा खारिज करने का आधार बनी। उस पर भी किसी व्यक्ति से डमी कैंडीडेट के रूप में नामांकन पत्र न भरवाना। यह सारे समीकरण इसी ओर ईशारा कर रहे हैं कि सारा खेल जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए खेला गया है। अब भाजपा और निर्वाचन अधिकारी कलेक्टर पन्ना का सियापा पढ़ने की नौटंकी जनता की समझ में भी आने लगी है।

हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम,
वो कत्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता

फिर भी सवाल यह है कि क्या विपक्ष कलेक्टर पन्ना के फैसले को राष्ट्र व्यापी चुनावी मुद्दा बना पायेगा ? जवाब भी यही होगा कि – निश्चित रूप से नहीं। विपक्ष को भाजपा से यह तो सीखना ही चाहिए कि बेमुद्दे को भी राष्ट्रीय मुद्दा कैसे बनाया जाता है। हाल ही में भाजपा ने पश्चिम बंगाल के संदेश खाली की अवांछित घटना को राष्ट्रीय मुद्दा बना डाला परन्तु विपक्ष अब तक मणिपुर में हुए नरसंहार और सार्वजनिक रूप से महिलाओं की आबरू लूटे जाने को राष्ट्रीय मुद्दा नहीं बना सका। विपक्ष इलेक्टोरल बांड्स के गोरखधंधे वाले खुलासे को भी अभी तक देशव्यापी मुद्दा नहीं बना सका है । पीएम केयर फंड की हकीकत देश के सामने लाने से परहेज कर रहा है। भाजपा ने तो प्याज की बढ़ती कीमतों को लेकर सत्ता परिवर्तन करा दिया था मगर विपक्ष वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ रही मंहगाई, बेरोजगारी, अराजकता, संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता पर मोदी सरकार के कसते, भृष्टाचारियों पर की जाने वाली मुंह देखी कार्रवाई जैसी अनेक ज्वलंत समस्याओं तक को देशव्यापी मुद्दा नहीं बना सका तो फिर वह एक प्रत्याशी के नामांकन पत्र को निरस्त किये जाने को खाक मुद्दा बना पायेगा। वह भी तब जब आज की राजनीति दुश्वारियों भर का नहीं दुश्चरित्रों का भी अड्डा बनी हुई है।

हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम, वो कत्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता अकबर इलाहाबादी का यह शेर इन दिनों राजनीतिक गलियारों में चौतरफा जीवंत दिखाई दे रहा है।

 

 

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