आधा आषाढ़ बीता ,बारिश न होने से संकट मैं अन्नदाता
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सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद :, इस बार रुठे हुए मानसून ने खरीफ की बोवनी का गणित बिगाड़ दिया है।जिससे न सिर्फ बीज खराब हो रहे हैं बल्कि मेहनत पर पानी फिर रहा है। आधे आषाढ़ माह तक होने वाली बारिश का आंकड़ा भी पिछले साल से काफी कम है। स्लीमनाबाद तहसील मैं पिछले साल से इस बार कम बारिश हुई है जो कि फसलों के हिसाब से नाकाफी है।7 जुलाई तक स्लीमनाबाद तहसील मैं 133 मिमी.बारिश हुई जबकि गत वर्ष से कम है!बारिश न होने से फसलें खराब होने के कारण किसानों का रूटीन बिगड़ गया है। हर दिन खराब हो रही फसलों को देखकर दुखी होने वाले किसान अब रबी की फसल की तर्ज पर उसकी सिंचाई कर रहे हैं। खेत खराब न हो और बीज न बिगड़े इसके लिए वे उपज को पानी देने में लगे हुए हैं। तहसील के कई गांवों में ऐसे हालात बन रहे हैं। हालांकि ज्यादा जमीन वाले किसान भी ये नहीं कर पा रहे हैं और न ही वे लोग भी यह कर पा रहे जिनके पास सीमित संसाधन है।
किसान हर तरह के जतन कर फसल को बचाने मैं लगा हुआ ताकि मेहनत पर पानी न फिरे।हालांकि किसान परमेश्वर दयाल,नितिन कुशवाहा,जितेंद्र ठाकुर,मोहन यादव का कहना है कि यदि आगामी दो चार दिनों मैं यदि बारिश नही हुई तो फिर और संकट खड़ा हो जाएगा।धान की नर्सरी रोपणी के लिए तैयार हो चुकी है।रोपणी कार्य के लिए बारिश की नितांत आवश्यकता है क्योंकि बिजली की भी समस्या विकट है ।कृषि कार्य के लिए 10 घण्टे बिजली देने का प्रावधान है।लेकिन विद्युत विभाग दो शिफ़्ट मैं बिजली दे रहा है।जिससे जो सिंचाई के लिए पानी छुड़ा जाता है वह घण्टे भर मैं जमीन मैं समा जाता है।यदि 10 घण्टे रेग्युलर बिजली मिले तो कुछ हद तक रोपणी कार्य हो सकता है।वहीं जिन किसानों रोपणी कार्य कर दिया है उसे पानी की नितांत आवश्यकता है!
पानी न मिलने की स्थिति मे पौधे की ग्रोथ की कमजोर होगी!
जिससे उत्पादन प्रभावित होगा!इस संबंध मे कृषि विभाग के एसएडीओ आर के चतुर्वेदी ने बताया कि इस वर्ष बहोरीबंद विकासखंड मे खरीफ सीजन का लक्ष्य 25 हजार हैक्टेयर निर्धारित है!जिसमें 18 हजार हैक्टेयर मे धान की बोवनी है!
पर्याप्त बारिश न होने से किसानों के सामने जरूर संकट की घड़ी है!क्योंकि धान की रोपणी कार्य प्रभावित हो रहा है!
रोपणी कार्य की विलम्बता पर उत्पादन प्रभावित होता है!
जिससे किसान थोड़ा परेशान नजर आ रहे है!
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