खतरे में रेगुलेटर का आस्तित्व,कैसे होगा जल स्रोतों का संरक्षण ?

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Regulator’s existence in danger:विश्व पटल पर सिहोरा को पहचाने देने सन् 1965 में हरित कांति के तहत एशिया महादीप का प्रथम रेगुलेटर जैसी ऐतिहासिक धरोहर को जल स्रोतों के संरक्षण एवं पुनर्जीवन अभियान में शामिल किए जाने की मांग स्थानीय जनों द्वारा की गई है।ज्ञात हो बर्षो पहले बनाये गये रेगुलेटर के अस्तित्व भू माफियाओं के कारण खतरे में पड़ गया है।बताया जाता है कि यहां के कई गांवों के हजारों एकड़ खेतों की सिंचाई इसी रेगुलेटर से निकली नहर के माध्यम से होती थी एशिया के पहले रेगुलेटर का गौरव प्राप्त यह स्टापडेम रेगुलेटर नेशनल हाइवे क्रमांक 7 पर सिहोरा के बाह्य नाला पर बना है। जिसकी उपयोगिता अभी भी बरकरार है। बताया जाता है कि खसरा नंबर 1211 मैं रेगुलेटर स्थित है एवं मध्य प्रदेश सिंचाई विभाग के नाम दर्ज है तथा जल की आवक हेतु इससे बाह्य नाला लगा हुआ है पहाड़ों सहित नगर का वर्षा जल इसी वाह्य नाला के माध्यम से रेगुलेटर में संग्रहित कर नगर का भूजल स्तर बढ़ाया जा सकता है। लेकिन बाह्य नाला एवं रेगुलेटर की भूमि का रकवा लगातार सिकुड़ने के कारण वर्षा जल व्यर्थ बह जाता है।वर्षा जल को संग्रहित करने रेगुलेटर को संरक्षित करने की मांग क्षेत्र वासियों ने की है।

*पुर्व में हो चुके हे प्रयास 

बताया जाता है की पूर्व में नगर पालिका द्वारा बाह्य नाला के सौन्दर्यीकरण हेतु प्रयास किए गए थे जिसके तहत रेगुलेटर की भूमि में टापू बनाकर फव्वारा लगाने की योजना थी लेकिन यह योजना कागजों तक ही सीमित रह गई।

*5 से 15 जून तक चलना है अभियान*

नगरीय निकाय एंव पंचायतों में जल स्त्रोतों तथा नदी, तालाबों, कुओं, बावड़ी, सहित जल स्त्रोतों के संरक्षण एंव पुर्नजीवन के लिये 5 जून से 15 जून तक विशेष अभियान चलाने के निर्देश मध्य प्रदेश शासन द्वारा दिये गये हैं। इस अभियान में जल संग्रहण संरचना के जीर्णोधार के अंतर्गत मुख्य रूप से कैचमेन्ट क्षेत्र में अवरोध का चिन्हांकित कर उपस्थित अवरोधो तथा अतिक्रमण को हटाया जाना है। चल स्रोतों में वर्षा के पानी की आवक एंव वृद्धि सुनिश्चित किया जाना है। पूर्व निर्मित तालाव के गहरीकरण एवं रकवा अतिक्रमित होने की स्थिति में तालाब नाला के मूल स्वरूप में पुनः निर्मित किया जाना है। जल संरचना के किनारे पर यथासंभव बफर जोन तैयार किया किया जाना है, इस जोन में हरे क्षेत्र का विकास किये जाने के निर्देश दिये गये है। विगत वर्षों में अमृत सरोवर के अंतर्गत निर्मित तलावो में वर्षा जल की आवक एवं ठहराव सुनिश्चित किया जाना है।

*वाटर रिचार्जिंग की दिशा में होगा सार्थक प्रयास*

जल स्रोतों का संरक्षण एवं पुनर्जीवन वाटर रिचार्जिंग की दिशा में एक सार्थक प्रयास होगा। प्राचीन जल स्रोत कुआ तालाब बावड़ी के गहरीकरण से वर्षा जल संग्रहीत होने के साथ साथ भूजल स्तर में भी सुधार होगा विदित हो गत वर्षो में वाटर रिचार्जिंग की दिशा में की गई अनदेखी एवं अंधाधुंध भूजल खनन के चलते ग्रीष्म ऋतु के दौरान अनेक क्षेत्रों के हैंड पंप ट्यूबवेल हवा उगलने विवश हो गए थे। सरकार की मंशा अनुसार यदि नगर की जीवनदायनी हिरन नदी सहित परंपरागत जल स्रोत कुआ तालाब बावड़ीयो को संरक्षित एवं पुनर्जीवित किया जाता है तो भूजल स्तर में सुधार के साथ-साथ ग्रीष्म ऋतु में जल संकट की समस्या से निजात मिल सकती है।

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