सन्त श्री आशारामजी बापू के प्रकरण में न्याय सिद्धांतो के दुरुपयोग रोकने की मांग 

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भगवानदीन साहू छिंदवाड़ा ;सामाजिक कार्यकर्ता भगवानदीन साहू के नेतृत्व में बहुत से धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों ने महामहिम राष्ट्रपति , मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट , मुख्य न्यायाधीश हाई कोर्ट अहमदाबाद के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर सन्त श्री आशाराम जी बापू के प्रकरण में संविधान के दुरुपयोग रोकने की मांग की। ज्ञापन में बताया कि समाचार पत्रों और न्यूज चैनलों के माध्यम से ज्ञात हुआ कि राष्ट्रीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष एवं भाजपा के कद्दावर नेता ब्रजभूषण सिंह को सेशन कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट में लगी धारा बन्द कर दी । न्ययालय ने बताया कि आरोप लगाने वाली पहलवान नाबालिग लड़की ने पुलिस को बयान दिए थे कि उसने दबाव में आकर ब्रजभूषण सिंह पर झूठा आरोप लगाया है । पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर ब्रजभूषण सिह पर पॉक्सो एक्ट की धारा हटा कर केस बन्द कर दिया है । जबकि पॉक्सो एक्ट का नियम है कि आरोप दर्ज होते ही सबसे पहले आरोपी की गिरफ्तारी की जाती है बाद में जाँच । ठीक ऐसा ही प्रकरण सनातन संस्कृति के रक्षक सन्त श्री आशाराम जी बापू का है जिसमें एक महिला आरोप लगाती है कि 20 वर्ष पहले उसके साथ छेड़छाड़ हुई थी । सूरत पुलिस बिना जांच पड़ताल कर मामला पॉक्सो एक्ट में पंजीबद्ध कर पूज्य बापूजी को गिरफ्तार करती है । फिर कुछ दिन बाद आरोप लगाने वाली लड़की माननीय न्यायालय में शपथ पत्र देती है कि उसने दबाव में आकर पूज्य बापूजी पर झूठा आरोप लगाया है उसका केस बन्द किया जाए । उस महिला की बात ना पुलिस मानती है और ना ही सूरत सेशन कोर्ट । और इस फर्जी केस में जानबूझकर पूज्य बापूजी को उम्र कैद की सजा भी सुना देती हैं । भाजपा के बड़े नेता ब्रजभूषण सिंह पर पाक्सो एक्ट में 6 – 7 प्रकरण और दर्ज हैं पर आज तक गिरफ्तारी नहीं हुई ।संविधान – एक , एक्ट – एक और अलग – अलग राज्य की पुलिस या अलग – अलग राज्य के न्यायालय अपने – अपने हिसाब से उसकी व्याख्या कर रहे हैं । 89 वर्षीय बुजुर्ग निर्दोष सन्त पूज्य बापूजी को माननीय सुप्रीम कोर्ट इलाज के लिए जमानत देता है उसी जमानत का अहमदाबाद उच्च न्यायालय विरोध करता है । क्या गुजरात में जन्म लेना या निवास करना गुनाह है या गुजरात भारत सरकार का हिस्सा नहीं है । न्याय व्यवस्था के जानकार लोगों का कहना है कि न्ययालय में मौजूद न्यायाधीश न्याय नहीं कर रहे सिर्फ नौकरी कर रहें हैं वो भी राजनीतिक दबाव में । यह संविधान का घोर दुरूपयोग है ।इससे न्याय व्यवस्था की छवि खराब हो रही है । हाल ही में कोशांबी उत्तरप्रदेश में एक आरोपी को 43 वर्ष बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट से न्याय मिला और वो 103 वर्ष की आयु में जेल से बाईज्जत रिहा हुए । उधर माननीय सुप्रीम कोर्ट में लभगभ 90 हजार से अधिक याचिका विचाराधीन है और कपिल सिब्बल , अभिषेक मनु सिंघवी जैसे वकीलों की याचिका तुरंत क्यों सुनी जाती हैं ? लोग दबी जुबान से कहते है कोर्ट को शरिया घोषित कर देना चाहिए । क्योंकि न्याय व्यवस्था मजहब विशेष को जल्द सुनती है । जरूरी सुधार की मांग की ज्ञापन देते समय आधुनिक चिंतक हरशूल रघुवंशी , राष्ट्रीय बजरंग दल के नितेश साहू , कुंबी समाज के युवा नेता अंकित ठाकरे , साहू समाज के ओमी साहू , कुंबी समाज के मार्गदर्शक सुभाष इंगले ,कलार समाज के प्रमुख बबलू सूरज प्रसाद माहोरे ,आई टी सेल के प्रभारी भूपेश पहाड़े ,अशोक कराडे , नारायण ताम्रकार , अश्विन पटेल , ओमप्रकाश डहेरिया ,रामराव लोखंडे आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे ।

 

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