
बिरसा मुंडा जयंती केवल एक स्मरण दिवस नहीं बल्कि जनजातीय समुदाय की पहचान, संस्कृति व विरासत का है उत्सव
सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद – जनजातीय गौरव दिवस के रूप मे बिरसा मुंडा की 150 जयंती शुक्रवार को मनाई गईं!
बिरसा मुंडा जयंती पर बहोरीबंद विकासखंड की सभी ग्राम पंचायतों मे कार्यक्रम आयोजित किया गया! ग्राम पंचायतो मे कार्यक्रम की शुरूआत भगवान बिरसा मुंडा के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर की गईं!इसके बाद शहडोल व धार जिले से आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम का सीधा प्रसारण देखा गया!जहाँ राज्य स्तरीय कार्यक्रम मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वर्चुअली जुड़े!प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का संबोधन देखा व सुना गया!कार्यक्रम दौरान ग्राम पंचायतों मे विशेष ग्राम सभाएँ भी आयोजित की गईं!ग्राम सभा मे बिरसा मुंडा की जीवन गाथा पर प्रकाश डाला गया!
ग्राम पंचायत गौरहा मे नशा मुक्ति का लिया संकल्प –
बहोरीबंद जनपद की ग्राम पंचायत गौरहा मे बिरसा मुंडा जयंती मनाई गईं!जहाँ कार्यक्रम की शुरुआत बिरसा मुंडा के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर की गईं!सरपंच सुनील यादव ने बिरसा मुंडा की जीवन गाथा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बिरसा मुंडा जयंती, जिसे जनजातीय गौरव दिवस के नाम से भी जाना जाता है!हर साल 15 नवंबर को मनाई जाती है।
यह दिन वीर जनजातीय नेता और स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ उलगुलान आंदोलन का नेतृत्व किया और भारत में जनजातीय लोगों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। यह दिन जनजातीय विरासत, संस्कृति और भारत के इतिहास में जनजातीय समुदायों की महत्वपूर्ण भूमिका को सम्मानित करने का अवसर है।बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के उलिहातु गांव में हुआ।वे एक साधारण मुंडा परिवार में पले-बढ़े और आर्थिक कठिनाइयों का सामना किया।बाल्यावस्था में ही बिरसा मुंडा ने अपने लोगों पर विदेशी शासकों और जमींदारी प्रथा के अन्यायपूर्ण व्यवहार को देखा।इस अन्याय ने उनके भीतर जनजातीय समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ने का मजबूत संकल्प जगाया।बिरसा मुंडा केवल एक स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं, बल्कि एक सामाजिक सुधारक भी थे।उन्होंने जनजातीय समाज से कुप्रथाओं, अंधविश्वासों और नशे की आदतों को हटाने के लिए काम किया।अपने अनुयायियों को एकता, शिक्षा और सत्यनिष्ठा का संदेश दिया।उन्होंने बिरसाईट नामक धार्मिक आंदोलन की शुरुआत की, जो सरल और नैतिक जीवन जीने की प्रेरणा देता है।बिरसा मुंडा आदिवासियों के भगवान हो गए ओर उन्हें धरती आबा कहा जाने लगा!
बिरसा मुंडा जयंती केवल एक स्मरण दिवस नहीं, बल्कि जनजातीय समुदाय की पहचान, संस्कृति ओर विरासत का उत्सव है!भगवान बिरसा मुंडा के आदर्श न केवल जनजातीय, बल्कि देश के सभी समुदायों के युवाओं के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत हैं।बिरसा मुंडा ने सामंती व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन किया था। उन्होंने जमींदारी प्रथा और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई लड़ी। बिरसा ने मुंडा आदिवासियों को जल, जंगल की रक्षा के लिए प्रेरित किया और उलगुलान नाम से एक आंदोलन की शुरुआत की। यह आंदोलन अंग्रेजी शासन और मिशनकारियों के खिलाफ था!
कार्यक्रम समापन अवसर पर सभी उपस्थित जनो को नशा मुक्ति का संकल्प दिलाया गया!इस दौरान सचिव ओमकार गर्ग, रोजगार सहायक अजय राय सहित पंचो व ग्रामीणों की उपस्थिति रही!
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