हर्षोल्लास से मनाया भाई बहन के पवित्र स्नेह का पर्व भाईदूज
राजेश मदान बैतूल।भाई दूज के दिन भाई को अपने घर पाकर बहन अत्यन्त प्रसन्न होती है अथवा किसी कारण से भाई नहीं आ पाता तो स्वयं उसके घर चली जाती है। बहन भाई को इस शुभ भाव से तिलक करती है कि ‘मेरा भैया त्रिलोचन बनें।
तिलक करके अपने भाई को प्रेम से भोजन कराती है और बदले में भाई उसको वस्त्र-अलंकार, दक्षिणादि देता है तो बहन निश्चिंत होती है कि ‘मैं अकेली नहीं हूँ….मेरे साथ मेरा भैया है।’ इस दिन बहनों ने अपने भाई की दीर्घायु के लिए यमराज से अर्चना करके इन अष्ट चिरंजीवीयों के नामों का स्मरण किया मार्कण्डेय, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, अश्वत्थामा और परशुराम। ‘मेरा भाई चिरंजीवी हो’ ऐसी उनसे प्रार्थना की तथा मार्कण्डेय जी से भी इस प्रकार प्रार्थना की
“मार्कण्डेय महाभाग सप्तकल्पजीवितः।
चिरंजीवी यथा त्वं तथा मे भ्रातारं कुरुः।।”
‘हे महाभाग मार्कण्डेय ! आप सात कल्पों के अन्त तक जीने वाले चिरंजीवी हैं। जैसे आप चिरंजीवी हैं, वैसे मेरा भाई भी दीर्घायु हो।’ (पद्मपुराण)
इस प्रकार भाई के लिए मंगल कामना करने का तथा भाई-बहन के पवित्र स्नेह का पर्व भाई दूज जिले भर में हर्षोल्लास से मनाया गया। इसलिये भाईयों ने भाईदूज पर अपनी बहन के घर पहुँचकर तिलक लगवाया और स्नेहपूर्वक बहन के हाथों से बना सात्विक भोजन ग्रहण किया और उन्हें वस्त्र अलंकार व दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।
सभी भाईयों-बहनों ने एक दूसरे को भाईदूज की हार्दिक बधाई दी।
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