गजकेसरी योग मैं मनेगी अक्षय तृतीया,अबूझ मुहूर्त मैं बजेगी शहनाई

इस ख़बर को शेयर करें

सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद: भगवान विष्णु के छठवे अवतार परशुराम का जन्मोत्सव 10 मई को स्लीमनाबाद तहसील क्षेत्र मैं धूमधाम से मनाया जायेगा।परशुराम महर्षि जमदग्नि और रेणुका के पुत्र थे।ऋषि जमदग्नि सप्त ऋषियों मैं से एक ऋषि थे।परशुराम जन्मोत्सव को लेकर स्लीमनाबाद तहसील क्षेत्र के मंदिरों मैं तैयारियां पूरी हो गई है।अक्षय तृतीया पर शुक्रवार को मंदिरों मैं रामचरित मानस पाठ ,पूजा_अर्चना ,शोभायात्रा के साथ विविध धार्मिक कार्यक्रम होंगे।तहसील क्षेत्र के सिंहवाहिनी मंदिर,दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर,श्रीराम कुटी, कोडिया स्थित श्रीराम जानकी मंदिर,खिरहनी स्थित जगदीश धाम ,हरिदास ब्रजधाम कोहका मैं विविध कार्यक्रम होंगे ।वही घरों मैं भी जन्मोत्सव मनाया जायेगा।

बाजार मैं बढ़ी चहल_पहल_

अक्षय तृतीया मैं होने वाली शादियों के लिए बाजार मैं चहल_पहल बढ़ गई है।दुकानदार खुश नजर आ रहे है ।
क्योंकि विगत 28 अप्रैल से शादियों के मुहूर्त पर ग्रहण लग गया है।हालांकि अक्षय तृतीया पर शहनाई की गूंज सुनाई देगी।तेज धूप होने के बाबजूद भी लोग शादी विवाह की खरीददारी करने मै जुटे रहे।जिसमे आभूषण ,बर्तन,मोटर साइकिल शोरूम व कपड़ा दुकानों मैं भीड़ दिखी।
अक्षय तृतीया के मुहूर्त मैं ग्रामीण अंचलों मैं गुड्डे_गुडियों का विवाह रचाने की भी परंपरा है जो देखने को मिलेगी।
जिस कारण बाजारों मैं मटके,गुड्डे_गुड़ियों की भी बिक्री हुई।अक्षय तृतीया के चलते प्रजापति समाज के लोग गांव_गांव जाकर मटके,गुड्डे_गुड़ियों  की बिक्री की।

मांगलिक कार्यों के लिए अतिशुभ मुहूर्त_

पंडित दिलीप पौराणिक ने बताया कि अक्षय तृतीया वर्ष का अतिशुभ दिन माना गया है।इस दिन किसी भी कार्य को करने के लिए मुहूर्त देखने की आवश्यकता नही होती।सनातन धर्म मैं इस दिन को शुभ मुहूर्त मैं माना जाता है। अक्षय का अर्थ है जो कभी खत्म न हो।यह मुहूर्त मांगलिक कार्यों के लिए अतिशुभ माना गया है।वैसे तो वर्तमान मैं गुरु व शुक्र ग्रह अस्त है।जिस कारण शहनाई मई _जून माह मैं नही बजेगी।लेकिन अक्षय तृतीया अबूझ मुहूर्त है जिस पर शहनाई बजेगी।
जिस कारण शुक्रवार को अक्षय तृतीया पर शादी समारोह की धूम रहेगी।

गजकेसरी योग मैं मनेगी अक्षय तृतीया

पंडित रमाकांत पौराणिक ने बताया कि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है , इसे आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है।ग्रंथो के मुताबिक इसी दिन सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी।इसी दिन भगवान विष्णु ने नर और नारायण के रूप मै अवतार लिया था।इस दिन किया गया जप,तप,ज्ञान,स्नान,दान आदि अक्षय होते है।इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है ।
अक्षय तृतीया पर ही बद्रीनाथ धाम के पट खुलते है।
इस बार अक्षय तृतीया मैं गजकेसरी योग रहेगा।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया पर 100 वर्ष मैं गजकेसरी योग बना है।वही दूसरी ओर गजकेसरी योग के अलावा शुक्रादित्य योग,धन योग, शश योग, माल व्य राजयोग भी बन रहा है।

 


इस ख़बर को शेयर करें