दीपोत्सव पर्व पर जगमगाएंगे घर ,अहीरों की नृत्य टोलियां होंगी आकर्षण का केंद्र

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सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद- दीपोत्सव पर्व का आगाज मंगलवार धनतेरस आज से हो जाएगा।दीपोत्सव पर्व को तैयारियां जारी है।घरो का रंगरोगन अंतिम दौर पर चल रहा है।वही दीपोत्सव पर्व को लेकर स्लीमनाबाद तहसील मुख्यालय मैं बाजार भी सजधजकर तैयार हो गया है।
धनतेरस से खरीददारी के लिए बाजार मे चहल-पहल बढ़ेगी।

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बर्तनों की सजी दुकानें-
दीपोत्सव पर्व को लेकर एक ओर जहां दो पहिया वाहन,चार पहिया वाहन ,इलेक्ट्रॉनिक सामग्री,मिठाइयों की दुकानें,स्वर्ण -आभूषण की दुकानें तो सज गई है।वही बर्तनों की दुकानें भी सज गई है।पंडित रमाकांत पौराणिक ने बताया कि  भगवान धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।मान्यता है कि धनतेरस के दिन ही आयुर्वेद चिकित्सा पध्दति के जनक के रूप मे भगवान विष्णु धन्वंतरि देव के रूप मे समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।इसलिए धनतेरस को धन्वंतरि जयंती भी मनाई जाती है।धन्वंतरि देव जब समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे उस समय उनके हाथ मैं अमृत भरा कलश था।इसी वजह से धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की परंपरा भी पड़ी।धनतेरस पर्व से ही दीपावली की शुरुआत होती है।धनतेरस के दिन त्रिपुष्कर योग बन रहा है, यह योग खरीदारी आदि कार्यों के लिए शुभ माना जाता है!
इसके अलावा धन के देवता कुबेर की विशेष कृपा के लिए इस संयोग में उनका पूजन विशेष शुभफलदायक होता है। कुछ राशियों के लिए यह धनतेरस अत्यंत शुभ रहेगी। इनके अलावा अष्ट महायोग भी इस दिन रहेंगे।धनतेरस पर चांदी खरीदना अति शुभ रहेगा।धनतेरस पर खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त जो है उसमें पहला मुहूर्त 29 अक्टूबर को सुबह 6:31 बजे से 10:31तक, दूसरा मुहूर्त सुबह 11:42 बजे से 12:27 बजे तक, गोधूलि मुहूर्त शाम 5:38 बजे से शाम 6 बजे तक!साथ ही अष्ट महायोग में हर्ष, सरल, शंख, लक्ष्मी, शश, साध्य, मित्र और गजकेसरी बनेंगे जो बेहद शुभ माने जा रहे हैं।

अहीरों की नृत्य टोलियां रहेंगी आकर्षण का केंद्र-
कार्तिक मास की अमावस्या पर दीपावली का पर्व मनाया जाता है।जो इस बार गुरुवार को मनाया जाएगा।रात्रि दीपावली पर्व मनाने के बाद अहीरों की टोलियां गांव भ्रमण पर निकलती है जो आकर्षण का केंद्र होती है।
पारंपरिक परिधान से सुसज्जित अहीर दीवाली गीतों की धुन पर जब थिरकते है तो लोग अपने आप नाचने को आतुर हो जाते है।दीपोत्सव पर्व की रात मैं गांव गांव को जगाने अहीरों की टोलियां जाती है।इसके बाद महीनों तक अलग अलग गाँवो मैं दिवारी नृत्य की छठा देखने को मिलती है।

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