
विश्व में सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली पत्रिका बनी ऋषि प्रसाद साहित्य ,भगवानदीन साहू
छिंदवाड़ा ब्यूरो: सामाजिककार्यकर्ता एव राजनीतिक विश्लेषक भगवान दिन साहू ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि सम्पूर्ण विश्व की आबादी लगभग 7 अरब है । जिसमें 2.6 अरब इसाई हैं और 1.6 अरब मुस्लिम हैं । जिसमें से 125 देश में ईसाई धर्म को मानने वाले हैं वहीं 57 देश मुस्लिम आबादी के हैं । लगभग 3 अरब लोग हिन्दू हैं जो बौद्ध धर्म , सिक्ख धर्म और अन्य धर्मों में विभाजित हैं ।
हमारे देश में हिन्दुओं की संख्या लगभग 90 करोड़ है । अधिकतर ईसाई देशों वाले लोग सक्षम और सम्पन्न देश हैं । इन धर्मो की एक पत्रिका निकलती है अवेक जो लगभग 12 मिलियन लोगो द्वारा पढ़ी जाती हैं जो 252 भाषाओं में प्रकाशित होती हैं । वही परम पूज्य संत श्री आशारामजी बापू के आश्रम से एक साहित्य प्रकाशित होता हैं जिसका नाम ऋषि प्रसाद है जो समस्त मानव कल्याण के लिए है । जिसकी पूरे विश्व में 10 मिलियन याने 1 करोड़ लोग पाठक हैं । यह साहित्य देश में नम्बर 1 है ।
RNI की रिपोर्ट अनुसार ऋषि प्रसाद पत्रिका हिंदी ,गुजराती ,मराठी ,ओडिशा ,तेलगु ,कन्नड़ , अंग्रेजी और बंगाली भाषा में प्रकाशित होती हैं । देश में प्रकाशित कुछ अखबार जिसमे दैनिक जागरण , दैनिक भास्कर और मलयालम से एक पत्रिका निकलती हैं इनकी पाठक संख्या लगभग 10 लाख है ।पूरे विश्व में हिन्दू राष्ट्र की संख्या बहुत कम है । वही ऋषि प्रसाद पत्रिका एक करोड़ से अधिक लोगों द्वारा पढ़ी जाने वाली देश की प्रथम तथा पूरे विश्व की दूसरी पत्रिका है । इस पत्रिका को आज भी सभी लोग सम्भाल कर पूजा के रूम में रखतें हैं । जिसमें सनातन संस्कृति और सन्तों के उदगार होतें हैं जो समस्त मानव कल्याण की बात करती हैं । विश्व की आबादी के हिसाब से गुणा भाग करे तो यह पत्रिका विश्व में नम्बर एक है । गत 12 वर्षो से सन्त श्री आशाराम जी बापू जोधपुर जेल में बन्द है । उनके आध्यात्मिक उदगार है । आज पूरे विश्व के लोग अपने अपने जीवन मे अनुसरण कर अपना जीवन धन्य कर रहें हैं । अवेक पत्रिका सिर्फ ईसाई धर्म के अनुयायी ही पढ़तें हैं और उसका उपयोग धर्मांतरण में किया जाता हैं । सन्त आशाराम जी बापू जेल में होने के बावजूद उनके अनुयायियों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होना सनातन संस्कृति की जीत है और पूज्य बापूजी की लोकप्रियता का उदाहरण है । एक प्रकार से उनके निर्दोष , बेगुनाह होने का स्पष्ट प्रमाण भी है । यह सारे आंकड़े गूगल से जुटाए गए हैं, जिसे सर्च किया जा सकता है । संस्था से जुड़ी साध्वी रेखा बहन और साध्वी प्रतिमा बहन ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों और उच्च अधिकारियों को ऋषि प्रसाद साहित्य के महत्व से अवगत कराया ।
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