फॉलोअप:प्रशासक और प्रबंधक की कृपा से फल फूल रहा सिहोरा में फर्जी लिपिक
जबलपुर/सिहोरा :एक फर्जी लिपिक प्रशासक और प्रभारी प्रबंधक का ऐसा चहेता बन गया कि उसका राज खुलने के बाद भी प्रशासक और प्रबंधक उसे सर आंखों पर बैठाकर रखते हैं,अब ऐसे में 181 की शिकायत भी काम नहीँ आ रही है, एक कहावत तो आपने सुनी होगी कि पैसा बोलता है,कुछ इसी तरह का कारनामा सिहोरा विपड़न समिति में देखने को मिल रहा है, जहाँ पर एक कमाऊ पूत आठवी पास व्यक्ति अधिकारियों की नाक के नीचे लिपिक बनकर काम करता रहा और किसी को भनक तक नहीं लगी,वहीं जब कई साल बाद इस बात का खुलासा हुआ तो कार्यवाही के नाम पर उसे लिपिक से चपरासी बना दिया गया।जबकि उस फर्जी लिपिक के विरुद्ध फर्जीवाड़े का मामला दर्ज होना था लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
यह है मामला
मामला जबलपुर जिले के सिहोरा का है,जहाँ पर एक तरफ तो मुख्यमंत्री बेईमानों के खिलाफ कार्यवाही की बात कर रहे है तो वहीँ दूसरी तरफ सिहोरा की विपड़न समिति में बेईमानी से काम करने वालो को अभयदान दिया जा रहा है,आरोप है की सहकारी विपणन समिति सिहोरा में देवेंद्र कुमार साहू जो की इसी संस्था में कई वर्षों तक जय कुमार साहू के बनकर बिक्री लिपिक के पद पर कार्य कर रहा था।और सबसे बड़ी बात तो यह है की विभाग के सँयुक्त आयुक्त को इस बात की जानकारी होते हुए भी कोई कार्यवाही नहीँ हो रही है, अब ऐसे में लोग न्याय की उम्मीद कैसे करेंगे ?
कार्यवाही के नाम पर बना दिया चपरासी
वहीं बताया जा रहा है की जब अधिकारियों द्वारा देवेंद्र साहू की व्यक्तिगत फाइल देखी गई तो मात्र आवेदन पत्र फाइल में मिला तो उस कर्मचारी के योग्यता संबंधी दस्तावेज मांगे गए तो वह मात्र आठवीं की अंक सूची की फोटो कॉपी ही उपलब्ध करा पाया जबकि बिक्री लिपिक के लिए कम से कम 11वीं पास होना चाहिए था,
दिखावे का डिमोशन
वहीं फर्जी रूप से लिपिक का काम करने वाले के खिलाफ अधिकारियों ने कोई कानूनी कार्यवाही नहीँ की और कार्यवाही के नाम पर सिर्फ लिपिक को चपरासी बना दिया गया,जो कि अभी भी नियुक्ति पत्र न होने के बाद भी संस्था में काम कर रहा है जिसका नाम वेतन पत्रक में नाम शामिल कर वेतन बकायदा बैंक के माध्यम से किया जा रहा है,
प्रभारी प्रबंधक और प्रशासक का सरंक्षण
वहीं आरोप तो यह भी है की देवेंद्र साहू के ऊपर प्रबंधक और प्रशासक की कृपा दृष्टि है जब तो संस्था में कार्य करने के लिए किसी भी प्रकार का नियुक्ति पत्र न ही संस्था के बैठक रजिस्टर में प्रस्ताव ठहराव किया गया,सबसे बड़ी बात तो यह है की इसके पास उपायुक्त सहकारी संस्थायें जबलपुर द्धारा भी किसी तरह का अनुमोदन प्राप्त नहीँ है।उसके बाद भी कोई कार्यवाही नहीँ की जा रही है,हलाकि इस बात की जानकारी संस्था के प्रभारी प्रबंधक सहित प्रशासक योगेश दुबे को भी है लेकिन इसके बावजूद भी प्रशासक और प्रबंधक द्वारा खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कि जा रही है।
इनका कहना है, कोर्ट के काम मे व्यस्त था जल्द ही दिखवाता हूँ।
सँयुक्त आयुक्त सहकारी संस्थायें जबलपुर,पी के सिद्धार्थ
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