वीरांगना रानी अवंती बाई लोधी का मनाया गया 167वां बलिदान दिवस

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स्लीमनाबाद : शौर्य, साहस और पराक्रम की प्रतिमूर्ति ,भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम मैं महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली वीरांगना रानी अवंतीबाई लोधी का 167 वां बलिदान दिवस बुधवार को मनाया गया।बहोरीबंद के मोहाई तिराहे व बाकल तिराहा पर वीरांगना रानी अवंती बाई लोधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया।इस दौरान ओबीसी महासभा के प्रांताध्यक्ष राकेश लोधी ने वीरांगना रानी अवंति बाई के जीवन पर विस्तृत व्याख्यान दिया। कहा कि  रानी अवंति बाई ने 1857 की स्वाधीनता संग्राम में अहम भूमिका निभाई ।भारतीय स्वाधीनता संग्राम में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी।1857 की क्रांति मैं जब देश के अच्छे अच्छे योद्धा अपना शौर्य, और पराक्रम खो चुके थे ,तब स्वाभिमान, आत्मसम्मान, परा देश भक्ति की प्रतीक महारानी वीरांगना अवंति बाई लोधी ने , त्याग की ऐसी मिसाल पेश की, जिसे देख कर अंग्रेजों ने भी वीरता की सराहना की। देश भक्ति की ये ज्वाला ,और प्रेरणा हर भारतवासी के रगों में लहू बनकर बहती रहे। हर देश बासी ये गाथा कहता रहे ।बलिदान दिवस कार्यक्रम पर अंग्रेजों से लोहा लेकर, डटकर की लड़ाई थी ।निज धरती, अभिमान, शान, सम्मान की जोत जलाई थी
मातृभूमि की आन की खातिर, लड़ी अवंति बाई थी जैसे नारे लगाए।बाकल सरपंच मनोज पटेल ने कहा कि वीरांगना अवंतीबाई लोधी शौर्य और की प्रतिमूर्ति थीं,जिन्होंने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश सेना के सामने हार नहीं मानी और बहादुरी से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
इस दौरान नारायण सिंह, विजय पटेल, रामसुजान पटेल, काशीराम लोधी, राजेन्द्र पटेल ,प्रेमचंद लोधी ,बिहारी लोधी, प्रीतम लोधी ,उम्मेद सिंह, गोविंद सिंह, राकेश दीवान, आफद यादव ,उजियार विश्कर्मा ,अनार सिंह सहित अन्य जनों की उपस्थिति रही।

 


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