खदान से नहर और नदी में गंदा पानी छोड़ने वाले खदान संचालक पर कब होगी कार्यवाही ?कुंभकर्णी नींद सो रहे जिम्मेदार,देखें वीडियो

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जबलपुर /सिहोरा :नियम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए कुछ खदान संचालको द्वारा खदान से गंदा पानी नहर के रास्ते नदी में छोड़ा जा रहा है,हलाकि इस बात की जानकारी जिले के आला अधिकारियों को होते हुए भी प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीँ की जा रही है, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय प्रबंधक मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जबलपुर आलोक जैन से इस विषय को लेकर विगत 15 दिन पूर्व हमारे द्वारा दूरभाष पर संपर्क हुआ था जिसपर उन्होंने खदान से निकलने वाले गंदे पानी के  मामले की जांच की बात कही थी लेकिन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की ढुलमुल रवैया के चलते धड़ल्ले से अभी भी खदान से गंदा पानी नहर के रास्ते नदी में छोड़ा जा रहा है,यहां तक कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय प्रबंधक आलोक जैन से उनके इस नंबर 94251 34338 पर कई सम्पर्क किया गया लेकिन वो अब फोन भी उठाने को तैयार नहीं है, अब ऐसे में सवाल उठना लाजमी हो जाता है की जो अधिकारी 15 दिन पूर्व मामले की जांच की बात कह रहे थे उन्होंने चुप्पी क्यों साध ली ?

 

वीडियो बनता देख कर्मचारी ने बंद कर ली मशीन 

वहीँ विगत दिवस सोमवार के दिन 29 अप्रैल 2024 को हमारी टीम एक बार फिर से गांधीग्राम पहुँची जहाँ पर खदान से गंदा पानी छोड़ा जा रहा था लेकिन वीडियो बनता देख खदान के कर्मचारी ने मशीन बंद कर दी ताकि गंदे पानी का वीडियो न बन सके ।

क्या है पूरा मामला 

दरसअल  गांधीग्राम (बुढागर )में रसूखदारों की खदान का गंदा पानी नहर के रास्ते नदी में छोड़ा जा रहा है,और प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है, इतना ही कुछ दिन पूर्व खसरा नंबर 1714 में स्तिथ एनएच 30 से बिल्कुल सटकर लगी हुई  खदान का गंदा पानी फूटी नहर से निकलकर किसान तीरथ पटेल की गेंहू की फसल में चला गया,जिसके कारण किसान को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है,वैसे तो खसरा नंबर 1714 में आयरन और लेटराइड कि तीन खदानें है जो कि सड़क से बिल्कुल लगी हुई खदान जहाँ से पाइप के जरिये गंदा पानी नहर में छोड़ा जाता है वह खदान भाजपा नेता की बताई जा रही है,तो वहीं दूसरे नंबर पर संदीप बंसल और तीसरे नंबर की खदान कांग्रेस नेता की बताई जा रही है जहाँ से दो बड़े इन खदानों से भी पानी के दो पाइप के जरिये पानी छोड़ने की बात आई है,नियम तो यह भी कहता है की एनएच से लगभग ढाई सौ मीटर की दूरी पर कोई भी खदान होनी चाहिए ।लेकिन यहां पर नियम सिर्फ किताबों और कागजो तक ही सिमट कर रहा गया है।

क्या कहते हैं जानकार

वहीँ जानकारों की मानें तो खदान से निकलने वाले पानी के लिए खदान में ही वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाना पड़ता है,कोई भी खदान संचालक खदान से निकलने वाला टेली युक्त गंदा पानी को ऐसे ही बाहर नहीँ छोड़ सकता है,लेकिन गांधीग्राम के खसरा नंबर 1714 में स्तिथ एनएच 30 से लगी एक रसूखदार की खदान का टेली युक्त गंदा पानी नहर के रास्ते नदी में छोड़ा जा रहा है,

किसान की नहीं हुई अभी तक कोई सुनवाई 

वहीँ गांधीग्राम निवासी किसान तीरथ पटेल का कहना है खदान का गंदा  पानी नहर के रास्ते उनकी 4 एकड़ खेत मे पकी खड़ी गेंहू की फसल में जाने से उन्हें भारी भरकम नुकसान हुआ था, जिसकी शिकायत उनके द्वारा सीएम हेल्पलाइन 181 में की गई है, लेकिन इस हेल्पलाइन में उन्हें कोई हेल्प नहीं मिली,

 

 


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