बेमौसम बरसात ने बढ़ाई किसानों की चिंता,जिम्मेदारो को नहीं है परवाह
जबलपुर :बेमौसम बरसात ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है ,मावठे की बरसात धान के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है। विगत तीन-चार दिनों से अचानक मौसम के करवट लेने से किसान दोहरी मार झेलने विवश हैं। शुक्रवार की सुबह से हुई तेज बारिश ने किसानों की पिछली फसल को भिगोकर रख दिया वहीं अगली फसल की तैयारी पर भी ब्रेक लगा दिया है।इलाके के अनेक गांवों में धान की फसल कटकर खेतों में पड़ी है। लेकिन खरीदी शुरू न हो पाने के चलते किसनों की मेहनत पर पानी फिरता जा रहा है। सिहोरा के भीखाखेड़ा ,फनवानी ढकरवाह भनपुरा नुंजा नुंजी, मझगवां दर्शनी पोडा़ तलाड़, धनगवा सहित अनेक गांवों में धान की फसल खेतों में कटी पड़ी है। यही नहीं बेमौसम हुई बारिश से फसल खराब भी हो रही है। वहीं कई किसान अपनी फसल को व्यापारियों के हाथों औने पौने दाम में बेच भी चुके हैं। लेकिन खरीदी का कोई अता-पता नहीं है। लिहाजा किसान अपनी फसल को बर्बाद होते देखने को मजबूर हैं।
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*जिम्मेदारो को नहीं परवाह*
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विदित हो की गत वर्ष सिहोरा तहसील में धान का रकवा लगभग 21457 हैक्टेयर था एंव लगभग 10700 किसानों ने उपार्जन हेतु पंजीयन कराया था इसी प्रकार मझोली में धान का रकवा लगभग 30458 हेक्टेयर था एंव किसानों की संख्या लगभग 12579 थी। जानकारों की मानें तो इस वर्ष धान के रकवे में बढ़ोतरी हुई है। फिर भी जिम्मेदार उपार्जन के प्रति गंभीर नजर नहीं आ रहे। धन उपार्जन केंद्र सहित अन्य जानकारी हेतु जब कनिष्ठ खाद्य आपूर्ति अधिकारी सिहोरा से संपर्क करना चाहा गया तो विगत दो दिनों से उन्होंने फोन रिसीव करना तक मुनासिब नहीं समझा वही कनिष्ठ खाद आपूर्ति अधिकारी मझौली दो दिनों से खरीदी केंद्र एवं अन्य व्यवस्थाओं की जानकारी देने का मात्र आश्वासन दे रहे हैं।
*बारिश में भीग रही धान*
मावठे की बारिश भले ही गेहूं किसानों के लिए अमृत रूप में बरस रही हो लेकिन धान के लिए के लिए आफत बन गई है खेत खलियानों में खुले आसमान के नीचे पड़ी हजारों मेट्रिक टन धान भीगने से उसकी गुणवत्ता प्रभावित हो रही है किसानों का कहना है कि पन्नी तिरपाल आदि से ढाकने के बाद भी जमीन की नमी से धान की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। साधन विहीन किसान मौसम एवं सरकार की बेरुखी के चलते अपनी मेहनत की कमाई ओने-पोने दाम पर बेचने विवश हो रहे हैं।
बेमौसम बरसात ने किसानों की बढ़ाई चिंता
जबलपुर :बेमौसम बरसात ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है धान हालत खराब कर दी है। विगत तीन-चार दिनों से अचानक मौसम के करवट लेने से किसान दोहरी मार झेलने विवश हैं। शुक्रवार की सुबह से हुई तेज बारिश ने किसानों की पिछली फसल को भिगोकर रख दिया वहीं अगली फसल की तैयारी पर भी ब्रेक लगा दिया है।इलाके के अनेक गांवों में धान की फसल कटकर खेतों में पड़ी है। लेकिन खरीदी शुरू न हो पाने के चलते किसनों की मेहनत पर पानी फिरता जा रहा है। सिहोरा के फनवानी ढकरवाह भनपुरा नुंजा नुंजी, मझगवां दर्शनी पोडा़ तलाड़, धनगवा सहित अनेक गांवों में धान की फसल खेतों में कटी पड़ी है। यही नहीं बेमौसम हुई बारिश से फसल खराब भी हो रही है। वहीं कई किसान अपनी फसल को व्यापारियों के हाथों औने पौने दाम में बेच भी चुके हैं। लेकिन खरीदी का कोई अता-पता नहीं है। लिहाजा किसान अपनी फसल को बर्बाद होते देखने को मजबूर हैं।
*जिम्मेदारो को नहीं परवाह*
विदित हो की गत वर्ष सिहोरा तहसील में धान का रकवा लगभग 21457 हैक्टेयर था एंव लगभग 10700 किसानों ने उपार्जन हेतु पंजीयन कराया था इसी प्रकार मझोली में धान का रकवा लगभग 30458 हेक्टेयर था एंव किसानों की संख्या लगभग 12579 थी। जानकारों की मानें तो इस वर्ष धान के रकवे में बढ़ोतरी हुई है। फिर भी जिम्मेदार उपार्जन के प्रति गंभीर नजर नहीं आ रहे। धन उपार्जन केंद्र सहित अन्य जानकारी हेतु जब कनिष्ठ खाद्य आपूर्ति अधिकारी सिहोरा से संपर्क करना चाहा गया तो विगत दो दिनों से उन्होंने फोन रिसीव करना तक मुनासिब नहीं समझा वही कनिष्ठ खाद आपूर्ति अधिकारी मझौली दो दिनों से खरीदी केंद्र एवं अन्य व्यवस्थाओं की जानकारी देने का मात्र आश्वासन दे रहे हैं।
*बारिश में भीग रही धान*
मावठे की बारिश भले ही गेहूं किसानों के लिए अमृत रूप में बरस रही हो लेकिन धान के लिए के लिए आफत बन गई है खेत खलियानों में खुले आसमान के नीचे पड़ी हजारों मेट्रिक टन धान भीगने से उसकी गुणवत्ता प्रभावित हो रही है किसानों का कहना है कि पन्नी तिरपाल आदि से ढाकने के बाद भी जमीन की नमी से धान की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। साधन विहीन किसान मौसम एवं सरकार की बेरुखी के चलते अपनी मेहनत की कमाई ओने-पोने दाम पर बेचने विवश हो रहे हैं।
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