टाइप 1 डायबिटीज की पहचान के साथ व्यक्तियों के उपचार और देखभाल के विषय पर हुआ प्रशिक्षण
जबलपुर,राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मध्यप्रदेश के गैर संचारी रोग विभाग द्वारा होटल कल्चुरी रेजीडेंसी में टाइप 1 डायबिटीज पर आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण आज गुरुवार को संपन्न हुआ । इस कार्यक्रम में भोपाल और जबलपुर संभाग के 12 जिला अस्पतालों से आए शिशु रोग विशेषज्ञों, एम डी मेडिसिन एवं चिकित्सा अधिकारियों ने भाग लिया। प्रशिक्षण के आयोजन का उद्देश्य जिला स्तर पर कार्यरत चिकित्सकों की विशेषज्ञता को सुदृढ़ करना था, ताकि टाइप 1 डायबिटीज से प्रभावित व्यक्तियों को समय पर और उपयुक्त उपचार मिल सके।प्रशिक्षण में बताया गया कि टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून स्थिति है जो पेंक्रियाज की इंसुलिन उत्पादक कोशिकाओं को नष्ट कर देती है, जिससे शरीर में इंसुलिन का उत्पादन रुक जाता है। इस स्थिति से प्रभावित लोगों को जीवन भर इंसुलिन थेरेपी और ब्लड ग्लूकोज की नियमित निगरानी की आवश्यकत्ता होती है। बिना समुचित देखभाल के टाइप 1 डायबिटीज से रेटिना में नुकसान के कारण अंधापन, किडनी को नुकसान पहुंचाने वाली बीमारियां और तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याएं जैसी गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं। समय पर निदान, उपचार की शुरुआत और सतत ग्लूकोज निगरानी के माध्यम से प्रभावित व्यक्ति स्वस्थ और उत्पादक जीवन जी सकते हैं। प्रशिक्षण के दौरान जबलपुर संभाग के क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य डॉ. संजय मिश्रा ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य शासन के निर्देशानुसार स्वास्थ्य विभाग टाइप 1 डायबिटीज से प्रभावित लोगों के लिए सुलभ और गुणवत्तापूर्ण उपचार उपलब्ध कराने तथा निरंतर देखभाल सुनिश्चित करने के लिये प्रतिबद्ध है। डॉ मिश्रा ने बताया कि टाइप 1 डायबिटीज से प्रभावित व्यक्ति को जीवन भर निरंतर देखभाल, नियमित निगरानी और विशेषज्ञ परामर्श की आवश्यकता होती है। इस प्रशिक्षण सत्र के माध्यम से एक और महत्वपूर्ण पहल शुरू की जा रही है, जिसका उद्देश्य सभी स्तरों पर टाइप 1 डायबिटीज प्रबंधन की गुणवत्ता को सुदृढ़ करना है। यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि टाइप 1 डायबिटीज से प्रभावित कोई भी व्यक्ति देरी या जानकारी के अभाव में आवश्यक देखभाल से वंचित न रह जाए। उन्होंने सेवा प्रदायगी को सशक्त बनाने हेतु इस प्रकार के प्रशिक्षणों के निरंतर आयोजन पर भी बल दिया। प्रशिक्षण सत्रों का संचालन एम्स भोपाल के डॉ. महेश महेश्वरी, डॉ. मुहम्मद सलीक एवं डॉ. वैष्णवी अग्रवाल, गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल की डॉ शिप्रा मंडराहा तथा एल एन मेडिकल कॉलेज भोपाल की डॉ द्वारा किया गया। विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को टाइप-वन डायबिटीज की पहचान, उपयुक्त इंसुलिन थेरेपी, ग्लूकोज मॉनिटरिंग, पोषण प्रबंधन और दीर्घकालिक जटिलताओं से बचाव जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर प्रशिक्षित किया।