होली में चंद्रग्रहण: इस दौरान किए जाने वाले ये खास उपाय दिलाएंगे आपको हर समस्या से मुक्ति
ज्योतिषचार्य निधिराज त्रिपाठी :ग्रहण काल की कुल अवधि में यानी कि ग्रहण के स्पर्श कल या प्रारंभ होने से लेकर ग्रहण के मोक्ष यानी ग्रहण की समाप्ति तक आपको सच्चे मन से ईश्वर की आराधना करनी चाहिए आप ईश्वर के जिस भी स्वरूप को मानते हैं उनके किसी मंत्र का जाप कर सकते हैं अथवा मनी मां उनका ध्यान या भजन कर सकते हैं।
चंद्र ग्रहण के सूतक काल के दौरान आपको चंद्रमा के बीज मंत्र का जाप करना बहुत ज्यादा लाभदायक होगा क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति के लिए चंद्रमा अनुकूल होना आवश्यक है।
चंद्र ग्रहण 2024 के दौरान राहु और केतु का प्रभाव बढ़ने से आपको उनसे संबंधित मंत्रों का जाप करना चाहिए या फिर उनसे संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए।
चंद्र ग्रहण के दौरान आप मन ही मन में समर्थ अनुसार दान करने का संकल्प लें और चंद्र ग्रहण की समाप्ति के साथ थी दान योग्य वस्तुओं को अवश्य ही दान में दे दें।
चंद्र ग्रहण के मोक्ष कल के बाद ही स्नान करें और उसके बाद भगवान की मूर्तियों को गंगाजल आदि से शुद्ध करें।
आपके पूरे घर में चंद्र ग्रहण की समाप्ति के बाद गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए इसके साथ आप गोमूत्र का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
चंद्र ग्रहण 2024 के दौरान भगवान शिव जी के महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना उन लोगों के लिए बहुत ही लाभदायक साबित हो सकता है जो किसी बड़ी बीमारी की चपेट में हैं।
यदि आप किसी ग्रह जनित बड़ा से पीड़ित हैं तो चंद्र ग्रहण 2024 के दौरान आप उसे ग्रह के मंत्र का जाप कर सकते हैं।
अत्यधिक विपदा ग्रस्त होने पर आपको चंद्र ग्रहण की अवधि में हनुमान जी के मंत्र का जाप करना चाहिए।
चंद्र ग्रहण के मोक्ष कल के बाद विशेष रूप से कल वेस्टन काले तिल साबू थोड़ा आटा दाल चावल चीनी सफेद वस्त्र सतनजा आदि का दान अवश्य करना चाहिए।
ग्रहण के मोक्ष के बाद आप पवित्र नदी में भी स्नान कर सकते हैं।
चंद्र ग्रहण के सूतक काल से लेकर ग्रहण की समाप्ति तक गर्भवती स्त्रियों को कुछ भी काटने सिलने या बनाने से परहेज करना चाहिए और अपने उदर पर गेरू से स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए।
आपके लिए और भी बेहतर होगा यदि आप अपने सिर पर चुन्नी या साड़ी का पल्ला ओढ़ लें और उस पर भी गेरू से स्वास्तिक या ॐ का चिन्ह भी बना सकती हैं।
ग्रहण काल के दौरान खाने-पीने की वस्तुएं अशुद्ध हो जाती हैं इसलिए ग्रहण का सूतक लगने से पूर्व ही तुलसी पत्र अथवा कुशा सभी पेय पदार्थों, विशेष रूप से दूध, दही, आदि में रख देना चाहिए।
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चंद्रग्रहण के दौरान भूलकर भी न करें ये काम
चंद्र ग्रहण का सूतक काल अशुद्ध समय होता है और इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए इसलिए आप कोई भी नया काम यदि शुरू करना चाहते हैं तो इस समय का परित्याग करें।
ग्रहण के सूतक काल से लेकर ग्रहण के मोक्ष तक चलने वाले सूतक को का ध्यान रखते हुए इस दौरान भोजन बनाने और भोजन खाने से बचना चाहिए यदि आप बीमार हैं यह छोटे बालक हैं तो केवल ग्रहण की अवधि को छोड़कर आप भोजन कर सकते हैं।
चंद्र ग्रहण की अवधि में किसी भी तरह के शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए।
चंद्र ग्रहण की अवधि में और सूतक काल के दौरान न तो किसी मंदिर में प्रवेश करना चाहिए और न ही किसी देवी देवता की मूर्ति का स्पर्श करना चाहिए।
ग्रहण काल की अवधि में काटना, सिलना, बुनना, आदि गतिविधियों से बचना चाहिए और कैंची, चाकू, सुई, तलवार, हथियारों, आदि का प्रयोग करने से बचें।
ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए इस दौरान सोना नहीं चाहिए।
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उपच्छाया चंद्र ग्रहण 2024
उपरोक्त बताए गए चंद्रग्रहण के अतिरिक्त एक अन्य उपच्छाया चंद्रग्रहण भी 2024 में लगेगा।
हिंदू पंचांग के अनुसार यह चंद्रग्रहण फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को लगेगा।
यह उपच्छाया चंद्र ग्रहण दिन सोमवार, दिनांक 25 मार्च 2024 को लगेगा।
यह चंद्रग्रहण प्रात: 10:23 बजे से अपराह्न 15:02 बजे तक लगेगा।
आयरलैंड, इंग्लैंड, स्पेन, पुर्तगाल, इटली, जर्मनी, फ्रांस, हालैंड, बेल्जियम, दक्षिण नॉर्वे, स्विटजरलैंड, उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका, जापान, रूस का पूर्वी भाग, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर शेष ऑस्ट्रेलिया और अधिकांश अफ्रीका में भी दिखाई देगा। वैदिक ज्योतिष के अनुसार यह चंद्रग्रहण कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में लगेगा।
यह चंद्रग्रहण लगभग 4 घंटे 39 मिनट की अवधि का होगा।
वास्तव में चंद्रमा के ग्रसित न होने के कारण उपच्छाया चंद्रग्रहण को ग्रहण की मान्यता नहीं दी जाती है इसलिए इसका कोई सूतक काल भी मान्य नहीं होगा इसलिए आप इस ग्रहण काल में अपने सभी कार्य आसानी से संपादित कर सकते हैं।
चंद्र ग्रहण 2024 के दौरान इन मंत्रों के जाप से मिलेगी सफलता
तमोमय महाभीम सोमसूर्यविमर्दन।
हेमताराप्रदानेन मम शान्तिप्रदो भव॥१॥
श्लोक अर्थ – अन्धकाररूप महाभीम चन्द्रमा और सूर्य का मर्दन करने वाले राहु! सुवर्ण तारा के दान से मुझे शान्ति प्रदान कीजिए।
विधुन्तुद नमस्तुभ्यं सिंहिकानन्दनाच्युत।
दानेनानेन नागस्य रक्ष मां वेधजाद्भयात्॥२॥
श्लोक अर्थ – सिंहिकानन्दन (सिंहिका के पुत्र), अच्युत! हे विधुन्तुद, नाग के इस दान से ग्रहण से होने वाले भय से मेरी रक्षा कीजिए।
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