दुनिया का सबसे बुद्धिमान बैल,जो खुद करता है गौशाला के पूरे काम
लुधियाना (पंजाब):दुनिया के सबसे बुद्धिमान बैल के विषय मे आज हम आपको बताने जा रहे हैं जो खुद ही गौशाला के पूरे काम करता है, बताया जा रहा है की संत श्री आशारामजी बापू आश्रम गौशाला (लुधियाना, पंजाब) का यह रामू नाम का बैल अद्भुत बेल है इस बैल की सभी जगहों पर भूरी भूरी प्रशंसा की जा रही है।
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महिंद्रा ग्रुप के मालिक आनंद महिंद्रा ने भी की है इस बैल की तारीफ
देश के जाने माने उद्योगपति और महिंद्रा ग्रुप के मालिक आनंद महिंद्रा ने हाल ही में एक ट्वीट किया है जिसमें संत श्री आशारामजी बापू आश्रम गौशाला (लुधियाना, पंजाब) के एक रामू नाम के अद्भुत बेल की भूरी भूरी प्रशंसा की है। उन्होंने लिखा है की “यदि रामू बोल पाता तो, में शर्त लगाता हूं की “जीवन को पॉजिटिव कैसे बनाए” इस विषय पर आज के स्वघोषित मोटिवेशनल स्पीकरों से बहुत अच्छी सलाह देता।
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If Ramu could speak, I bet he would give better advice on how to be ‘Life-Positive’ than every other self-proclaimed motivational speaker in the world. 👏🏽👏🏽👏🏽 pic.twitter.com/Cc62GtTZJp
— anand mahindra (@anandmahindra) January 30, 2024
संत आशारामजी बापू के आश्रम का बैल इतना अद्भुत है तो उनके शिष्य कैसे होंगे! जो आज इतनी विकट परिस्थिति में भी समाज की सेवा नहीं छोड़ते और आदिवासी एवं गरीबों में भंडारा, गौसेवा, आयुर्वेदिक चिकित्सा, तुलसी पूजन, मातृ पितृ पूजन जैसे कार्यक्रमों के द्वारा भारतीय संस्कृति की सुवास चारों ओर फैला रहे है। जिनके निर्दोष गुरु राजनैतिक साजिशों की वजह से 10 वर्ष से कारावास में हो फिर भी उनके शिष्य इस प्रकार समाज सेवा करते रहते हो तो सोचना पड़ेगा की उनके गुरु पूज्य संत श्री आशारामजी बापू कितने महान होंगे।
कारावास में बापू फिर कैसे चल रहे 450 से ज्यादा आश्रम ?
यदि देश के किसी बड़े उद्योगपति पर आरोप लगे, हिमालय जितनी उनकी बदनामी हो, तो उनके कर्मचारी कितने दिन तक उनकी कंपनी में काम करेंगे?!जवाब है की एक साल में कंपनी ही बंध हो जायेंगी क्योंकि सैलरी कोन देगा! पर आशारामजी बापू निर्दोष होते हुए पिछले 10 साल से कारावास में है फिर भी उनके 450+ से ज्यादा आश्रम, 1400 योग वेदांत समितियां, 22000 बाल संस्कार केंद्र, 50+ गुरुकुल, अनेक गौशालाएं, ऋषि प्रसाद और लोक कल्याण सेतु मासिक पत्रिकाएं…. यह सब का सब आज चालू है, और पते की बात यह है की इसमें कोई भी सैलरी से काम करनेवाले लोग नहीं है बल्कि समर्पित भाव से सेवा करनेवाले शिष्य है! यह स्वचलित बैल किसी चमत्कार से कम नहीं है।
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