वेन्टीलटर पर सिहोरा का सिविल अस्पताल,सत्तापक्ष का आश्वासन एंव विपक्ष का विरोध प्रदर्शन हवा हवाई

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जबलपुर /सिहोरा:,स्वास्थ्य सुविधाओं के विगड़ते हालात से उपजे जनाक्रोश के मद्देनजर विपक्ष ने जहां सात दिनों में समस्याओं के निराकरण का ज्ञापन सोपकर अपने कर्तव्यो की ईती श्री कर ली वहीं क्षेत्रीय विधायक ने दो दिन में परिणाम देखने को मिलेंगे का आश्वासन देकर वाहवाही तो लूट ली , लेकिन अस्पताल के हालात जस के तस बने हुए है।बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने अपग्रेड किया गया सिविल अस्पताल सिहोरा न केवल चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा है वल्कि साफ सफाई जैसी बुनियादी समस्याओं से भी जुझ रहा है। अस्पताल के हालात इतने बदतर हैं कि सिविल अस्पताल वेंटिलेटर पर है कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा।

न विशेषज्ञ न पैथोलॉजिस्ट फिर भी चल रहा 100 विस्तर अस्पताल

भगवान कण कण में समाये है इसका सबसे अच्छा उदाहरण सिविल अस्पताल सिहोरा हो सकता है जहां बगैर स्त्री रोग विशेषज्ञ, बगैर सर्जन बगैर एम डी मेडिसिन के एक माह में लगभग 130 डिलेवरी हो जाती है जिसमें एक दर्जन से अधिक क्रिटिकल सिजेरियन केस भी सम्मिलित हैं । ओर तो ओर बगैर स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सक के प्रतिदिन लगभग 50 से अधिक ई एन सी/ पीएनसी महिलाओं की जांच भी हो जाती है। हद तो तब हो जाती है जब जब साधारण बुखार में डाक्टर मलेरिया वायरल फीवर जैसी जांच के बाद इलाज शुरू करते हैं मगर सिहोरा सिविल अस्पताल तो बगैर पैथोलॉजिस्ट के भी लोगों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने का दंभ भर रहा है।
*एक दर्जन स्वीकृत आधे से ज्यादा रिक्त*
सिविल अस्पताल में एमबीबीएस 12 डॉक्टर द्वितीय श्रेणी के स्नातकोत्तर विशेषज्ञ चिकित्सक एक सिविल सर्जन, एक प्रबंधक का पद स्वीकृत है किंतु वर्तमान में चार चिकित्सक कार्यरत होने से अस्पताल की इमरजेंसी,ओपीडी चिकित्सा सेवा पूरी तरह से बाधित रहती है यहां पदस्थ तीन चिकित्सक में से एक की रात में ड्यूटी रहने से दूसरे दिन चिकित्सक का आफ रहता है इस रोस्टर के चलते अस्पताल में मात्र दो डॉक्टर ड्यूटी में रह जाते हैं दिन में यदि कोई पोस्टमार्टम कैस आ जाता है तो एक चिकित्सक वहां चले जाने से अस्पताल में इलाज के लिए मात्र एक चिकित्सक होता है ऐसे में उनके ऊपर ओपीडी एवं इमरजेंसी दोनों की जिम्मेदारी रहती है अस्पताल में महिलारोग ,बाल रोग ,हड्डी रोग नेत्र रोग चिकित्सा सर्जरी एवं एनेस्थीसिया के विशेषज्ञ के पद स्वीकृत हैं इसके बाद भी इनके भरने में शासन द्वारा कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
*पोस्ट पी जी,यूजी बाण्ड कि चिकित्सकों ने नहीं किया ज्वाइन*
सिविल अस्पताल से हो रहा न केवल राजनीतिक शून्यता का शिकार है बल्कि प्रशासनिक उपेक्षा का भी शिकार है प्राप्त जानकारी के अनुसार पोस्ट पी जी बाण्ड के तीन चिकित्सक एवं यूजी बाण्ड के तीन चिकित्सको ने आज दिनांक तक अस्पताल में सेवा देना तो दूर दर्शन तक उपलब्ध नहीं कराए हैं। इसके बावजूद भी ना तो जिम्मेदार जनप्रतिनिधि इस दिशा में कोई ठोस प्रयास करते नजर आ रहे और ना ही प्रशासनिक अधिकारी।
*जिले में रहा फिसड्डी प्रदर्शन*
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मध्य प्रदेश द्वारा आयोजित कायाकल्प कार्यक्रम 2024- 25 के राज्य स्त्री मूल्यांकन में सिहोरा सिविल अस्पताल का प्रदर्शन 75.3% रेटिंग रहा। उक्त मूल्यांकन रोजी केंद्रित सेवा अनुशासन गुणवत्ता स्वक्षता उपलब्ध संसाधन के आधार पर किया जाता है। सिविल अस्पताल ने क्वालीफाइंग रेटिंग तो हासिल कर ली लेकिन बेहतर प्रदर्शन में पीछे रह गया जिसके कारण अस्पताल को मिलने वाला फंड भी हाथ से निकल गया। बेहतर प्रदर्शन न कर पाने के काम अस्पताल को वर्ष भर में रखराव हेतु मात्र 1 लाख रुपए ही हासिल हो सकेंगे जिससे अस्पताल की व्यवस्थाओं साफ सफाई रंगाई पुताई मरम्त आदि को अमली जामा पहनाया जा सकेगा


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