शारदेय नवरात्र विशेष :प्रजा की खुशहाली के लिए गर्म तेल मैं कूदते थे राजा,माता प्रसन्न होकर भेंट करती थी सवा मन सोना
सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद- शारदेय नवरात्र का पर्व चल रहा है।समूचा देश माँ आदिशक्ती की आराधना मैं डूबा हुआ है।श्रद्धालु अलग अलग ढंग से माता के प्रति अपनी आस्था प्रगट कर रहे है।जिला का एक ऐसा मंदिर जो अपनी कविंदतियो को लेकर जाना जाता है आज भी अपने रहस्य को संजोय हुए रखा है।जिले की धरा मैं पुष्पावती नगरी नाम से प्रख्यात बिलहरी जो कभी राजा कर्ण की राजधानी हुआ करती थी।यहाँ पर विराजी है माँ चंडी ।जो प्रतिदिन राजा कर्ण को सवा मन सोना दिया करती थी।जिसे राजा उसे जरूरतमंदों को दान कर देते थे।ऐसी कृपा बरसाने वाली मां के दर्शन पाने भीड़ उमड़ रही है।यहां के हरेक पत्थर पर नक्काशी व कलाकृतियां खुद व खुद अपने समग्र की सुंदरता का इतिहास उजागर कर रही है।इन्ही सब कलाकृतियों के बीच स्थित है माँ चण्डी का भव्य मंदिर।मंदिर के पंडा रोहित प्रसाद माली ने बताया कि यहां राजा कर्ण राज्य करते थे और प्रतिदिन प्रजा को सोना दान करते थे।राजा कर्ण सूर्योदय से पूर्व स्नान करके चंडी देवी मंदिर जाते थे।इसके बाद विशाल कड़ाह मैं तेल उबलता था जिसमे राजा कर्ण कूद जाते थे।इसके बाद देवी उनपर अमृत छिड़कर जीवित करती थी और ढाई मन सोना प्रदान करती थी।देवी से प्राप्त सोना राजा रोज सुबह सवा मन सोना गरीबों को दान मैं दिया करते थे।
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ऐसे खुला सोने का रहस्य
राज कर्ण रोज गरीबो को सवा मन सोना दान करते थे लेकिन इतना सोना उनके पास आता कहा से है था इस रहस्य को जानने की हिमाकत किसी ने नही की फिर इस रहस्य का खुलासा राजा विक्रमादित्य ने किया था।
वे एक बालक की खोज मैं बिलहरी आये हुए थे।विक्रमादित्य के राज्य मैं कोई बुढ़िया माई रहती थी जो रोज चक्की पीसते समय कभी रोती थी तो कभी हंसती थी।वेश बदलकर प्रजा का सुख दुख जानने जब रोज की तरह रात मैं विक्रमादित्य वहां से गुजरे तो माई से हँसने व रोने का कारण पूछा ।जिस पर बुढ़िया माई ने बताया कि उसका जवान बेटा 20 वर्षो से खोया हुआ है।जिसके बाद मैं वो रो पड़ती है ओर कभी आएगा इसी आस मैं हंस पड़ती है।राजा विक्रमादित्य ने फिर उस युवक की खोज मैं जुट गए।खोज के दौरान ही राजा विक्रमादित्य एक दिन तेल उबलता कड़ाह मैं कूद गए जहां से उन्हें मातारानी ने सवा मन सोना दिया।जिसके बाद सोना मिलने का रहस्य खुला।
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