स्व-सहायता समूह की महिलाओं को आर्थिक रूप से बनाया जायेगा समृद्ध

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सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद : महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने की दिशा में मध्यप्रदेश सरकार एक महत्वाकांक्षी पहल करने जा रही है। प्रदेश में महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत एक बगिया मां के नाम परियोजना का शुभारंभ किया गया है। इस योजना के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की निजी भूमि पर फलदार पौधों की बगिया विकसित की जाएगी। योजना का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को लंबी अवधि में आर्थिक संबल देना है।
इस योजना के अंतर्गत बहोरीबंद विकासखंड मे 100 के लक्ष्य के विरुद्ध 116 समूहों का पंजीयन हुआ है!पंजीयन महिलाओं ने एक बगिया मां के नाम ऐप के माध्यम से पंजीयन करा चुकी है । इस ऐप का निर्माण मनरेगा परिषद द्वारा एमपीएसइडीसी के माध्यम से किया गया है और केवल यहीं से लाभार्थियों का चयन होगा। कोई भी अन्य माध्यम मान्य नहीं होगा।

निजी भूमि पर लगेगा फलोद्यान, मिलेगा सहयोग

ग्रामीण आजीविका मिशन के बहोरीबंद विकासखंड प्रबंधक उभय श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए बतलाया कि परियोजना के अंतर्गत महिलाओं को फलदार पौधे, खाद, गड्ढे खुदाई, पौधों की सुरक्षा के लिए कटीले तार की बाड़बंदी और 50 हजार लीटर क्षमता का जल कुंड निर्माण के लिए आर्थिक सहायता दी जाएगी। जिन महिलाओं के नाम पर भूमि नहीं है, उनके पति, पिता, ससुर या पुत्र की भूमि पर सहमति के आधार पर बगिया लगाई जा सकेगी। इस योजना में पहली बार अत्याधुनिक सिपरी सॉफ्टवेयर की मदद से भूमि का चयन, परीक्षण और पौधों की किस्म तय की गई है। यह सॉफ्टवेयर जलवायु, मिट्टी की गुणवत्ता, पानी की उपलब्धता और पौधों की उपयुक्तता का वैज्ञानिक मूल्यांकन करता है।

ड्रोन ओर सेटेलाइट से होगी निगरानी

पौधरोपण की ड्रोन और सैटेलाइट इमेजिंग के ज़रिए निगरानी की जाएगी। एक विशेष डैशबोर्ड भी तैयार किया गया है, जिससे यह ट्रैक किया जाएगा कि कहां पौधरोपण हुआ है और कहां नहीं। प्रदर्शन के आधार पुरस्कार भी दिए जाएंगे।
परियोजना के अंतर्गत प्रदेश की 31,300 से अधिक स्वयं सहायता समूह की महिलाएं लाभांवित होंगी। इनकी निजी भूमि पर 30 लाख से अधिक फलदार पौधों का रोपण किया जाएगा। प्रत्येक विकासखंड से कम से कम 100 महिलाओं का चयन होगा। चयनित महिलाओं को वर्ष में दो बार विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे वे बगिया की देखरेख और कृषि संबंधी तकनीकों को समझ सकें।लाभ लेने के लिए महिला के पास न्यूनतम 0.5 एकड़ एवं अधिकतम 1 एकड़ भूमि होना अनिवार्य है। हर 25 एकड़ भूमि पर एक कृषि सखी की नियुक्ति की जाएगी, जो महिलाओं को जैविक खाद, कीटनाशक, सिंचाई और अंतरवर्तीय फसलें उगाने की जानकारी प्रदान करेंगी। परियोजना राज्य सरकार की एक अभिनव पहल है, जिसका उद्देश्य है महिलाओं को सिर्फ बगिया देना नहीं, बल्कि उन्हें आजीविका और आत्मनिर्भरता का एक स्थायी जरिया उपलब्ध कराना।

 

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