सौरभ शर्मा तो केवल चूहा है, बड़े अजगर का बाहर आना बाकी है

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विजया पाठक, वरिष्ठ पत्रकार, :पूर्व परिवहन मंत्री और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी माने जाने वाले भाजपा नेता भूपेन्द्र सिंह की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। पहले नगरीय आवास विभाग में हुये भ्रष्टाचार को लेकर चर्चा में आये भूपेन्द्र सिंह एक बार फिर परिवहन विभाग में हुये महाघोटाले को लेकर फिर से संदेह के घेरे में खड़े हो गये हैं। चर्चा इस बात को लेकर भी है भूपेन्द्र सिंह का नाम सौरभ शर्मा एवं परिवहन विभाग में हुये भ्रष्टाचार को अव्वल नंबर पर आ रहा है। यह पूरा घोटाला परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह के इशारे पर हुआ है। इसका मास्टर भूपेन्द्र सिंह का दिमाग ही है। अब जब एक के बाद एक अधिकारियों और नेताओं के नाम सामने आने लगे तो प्रदेश सरकार से लेकर केंद्रीय मंत्री स्तर तक के नेताओं की नींदे उड़ गई हैं। सौरभ शर्मा मामले में पूर्व परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह की चुनौती के जवाब में कांग्रेस ने मामले से जुड़े दस्तावेज जारी किए हैं। विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने आरोप लगाया है कि “परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा की अनुकंपा नियुक्ति के मामले में पूर्व परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने ही नियम विरूद्ध तरीके से अनुशंसा की थी और इसके बाद विभाग में उसे नियुक्ति दी गई। हेमंत कटारे ने कहा कि वे इससे जुड़े दस्तावेज लोकायुक्त को सौंपेंगे। पूर्व परिवहन मंत्री और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध करने की मांग करेंगे। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि विभाग में नियुक्ति के पहले ही सौरभ शर्मा चेक पोस्ट पर उगाही का काम करता था। उसके इसी हुनर को देखकर पूर्व मंत्री ने उसे परिवहन विभाग में नियुक्ति कराई। अब एजेंसियां सौरभ शर्मा को इसीलिए खोजकर गिरफ्तार नहीं कर रहीं, ताकि बड़े लोगों की पोल न खुल सके।ई6Sएक

*बड़ा सवाल: सौरभ कहां है, पकड़ से बाहर क्‍यों है?

सौरभ शर्मा कहां है, यह प्रदेश की पुलिस अब तक पता ही नहीं कर पाई, या यह भी हो सकता है कि एजेंसियां उसे फरार रखे हुए हैं, ताकि बड़े लोगों की पोल न खुल सके। पूर्व परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह की कृपा से ही सौरभ शर्मा को परिवहन विभाग में पदस्थ किया गया। उनकी ही कृपा से ही आरक्षक होते हुए भी सौरभ शर्मा को बड़े चेक पोस्ट पर तैनात रखा गया। जिन चेक पोस्ट पर इंस्पेक्टर को तैनात होना चाहिए, ऐसे कई पोस्टों पर अकेले सौरभ शर्मा को प्रभार सौंपा गया। सूत्रों का कहना है कि भूपेंद्र सिंह परिवहन विभाग से नगरीय प्रशासन मंत्री बने, तब भी सागर के मालथौन चेक पोस्ट का जिम्मा सौरभ शर्मा को दिया गया। भूपेन्द्र सिंह के स्टाफ में पदस्थ सेंगर के माध्यम से सौरभ शर्मा से कलेक्शन किया जाता था। भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि उनका सौरभ शर्मा से कोई लेना-देना नहीं रहा और मंत्री को आरक्षक की नियुक्ति संबंधी अधिकार नहीं होते, तो फिर पूर्व मंत्री ने सौरभ शर्मा की अवैध तरीके से अनुकंपा नियुक्ति की अनुशंसा क्यों की थी?

*पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लगाये गंभीर आरोप*

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आरोप लगाया कि सरकार की अनुकंपा नियुक्ति नीति में प्रावधान है कि यदि अनुकंपा नियुक्ति के मामले में संबंधित विभाग में कोई पद खाली नहीं है तो ऐसे मामले में संबंधित को संविदा नियुक्ति पर रखा जाता है। जब विभाग में पद खाली होते हैं, तो उसे नियमित किए जाने का प्रावधान है। नियमों की अनदेखी करते हुए पूर्व मंत्री द्वारा नोटशीट लिखी गई थी। इसके बाद जब परिवहन विभाग ने सौरभ शर्मा की नियुक्ति संबंधी आदेश जारी किया तो उसमें तत्कालीन परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह की 14 सितंबर 2016 को भेजी गई नोटशीट का हवाला दिया था। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि वे इससे जुड़े दस्तावेज लोकायुक्त को सौंपकर कार्रवाई करने की मांग करेंगे।

*उमा भारती ने कहा, ये घोटाला व्यापमं से भी बड़ा घोटाला है*

उमा भारती ने कहा कि “जिस घोटाले में सिपाही करोड़ों बनाकर ले गए हों। आप उसमें अधिकारियों और नेताओं की सोचिए। उमा भारती ने इसे व्यापमं से भी बड़ा मामला बताया। उन्होंने कहा कि केवल फर्क इतना है कि व्यापमं का प्रकार अलग था और इसका प्रकार अलग है, लेकिन जिस तरह से सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है। बिना किसी दबाव और भय के जिस तरह से इस मामले में पकड़ा-धकड़ी की गई है, मोहन यादव इसके लिए प्रशंसा के योग्य हैं। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने मध्य प्रदेश के चर्चित परिवहन घोटाले पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि “जिस घोटाले में सिपाही करोड़ों बनाकर ले गया, उसमें अधिकारियों और नेताओं की तो सोचिए। उमा भारती ने कहा कि मुझे तो ये व्यापमं से भी बड़ा मामला लगता है। उन्होंने कहा कि सौरभ शर्मा तो इस मामले में चूहा है, बिल से अजगर का बाहर आना तो अभी बाकी है।

*सौरभ शर्मा चूहा तो उमा ने किसे कहा अजगर*

उमा भारती ने अपने मुख्यमंत्री काल का जिक्र करते हुए बताया कि “2003 दिसंबर में ही परिवहन को लेकर ये बात सामने आई थी। उन्होंने कहा कि उस समय मैंने तत्कालीन गुजरात के सीएम और मौजूदा प्रधानमंत्री मोदी से बात की और उनसे पूछा कि भाई कैसे करना है। जिससे हम इससे पूरा रेवेन्यू वसूल सकें। उन्होंने कहा कि तब रेवन्यू की प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने कहा था रेवेन्यू के लिए शराब नीति में परिवर्तन कीजिए, फिर उन्होंने कहा कि चेक पोस्ट को लेकर कहा कि यहां तो बहुत गड़बड़ियां हैं। हम उसके सुधार पर आ ही रहे थे। शार्ट नोटिस टेंडर जारी करेंगे। ये तैयारी थी कि तब तक मैं पद से हट गई।

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