खेतो मैं खुलेआम जल रही धान की पराली, कृषक नियमो से कर रहे खिलवाड़
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सुग्रीव यादव :स्लीमनाबाद- बहोरीबंद विकासखण्ड क्षेत्र मे खरीफ सीजन के बाद रबी सीजन की खेती का दौर चल रहा है।कृषको खेतो को तैयार कर रहे है।लेकिन खेतों को तैयार करने कृषक खेतो में फसल काटने के बाद खेत में आग लगाकर नरवाई अर्थात् पराली जला रहे है ।जिससे पर्यावरण प्रदूषण व मिट्टी की उर्वरा शक्ति खराब हो रही है।जबकि जिले मे गत दिनों अपर कलेक्टर ने जन सुरक्षा की दृष्टि से भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 एवं आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 30 मैं प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जिले मैं फसल कटवाई उपरांत किसानों द्वारा नरवाई जलाने को प्रतिबंधित किया ।जिसके बाद बहोरीबंद महज एक दिन ही राजस्व व कृषि विभाग के द्वारा अभियान चलाकर सात किसानों पर एफआईआर दर्ज की गईं ओर उसके बाद अब राजस्व व कृषि विभाग के अधिकारी बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहे है!जिस कारण बहोरीबंद विकासखण्ड के कृषक अपने खेतों में आग लगाकर गेहूं की बोवनी के लिए खेत जलाकर तैयार कर रहे हैं। धान कटने के बाद यह क्रम जोरों से आरंभ हो गया है। रोज जगह जगह खेतों से उठते धुंए एवं आग की लपटों से इसे आसानी से समझा जा सकता है।
बहोरीबंद विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम भेड़ा, बिचुआ, सलैया प्यासी, संसारपुर, बंधी स्टेशन,जुजावल,पड़वार सहित अन्य गाँवों मे रविवार को कृषको ने खेतो मैं पराली जलाई।जिससे धुंए से चारों ओर धुंध छाई रही। जबकि फसलों के छूटे अवशेषों को नष्ट करने के लिए कई आधुनिक उपकरण आ गए हैं। इसके बावजूद किसान नरवाई जलाकर ही खेत साफ कर रहे है। जिससे पर्यावरण तो दूषित होता ही है, खेतों के मित्र कीट भी नष्ट होते हैं।अपर कलेक्टर के द्वारा जारी प्रतिबंधात्मक आदेश का पालन बहोरीबंद विकासखंड क्षेत्र होते नहीं दिख रहा है, न ही जिम्मेदारी अधिकारी कोई ध्यान दे रहे!
इनका कहना है- आर के चतुर्वेदी एसएडीओ कृषि विभाग बहोरीबंद
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कृषको को पराली न जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है।फिर भी यदि कृषक नही मान रहे है तो निरीक्षण कर उनके खिलाफ कारवाई की भी की जा रही है ।
आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51 व 60 के तहत दण्डात्मक कार्रवाई का प्रावधान है।
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